परिचय
ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर क्या है?
ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर हड्डियों से संंबंधित समस्या है। जिसमें हड्डियां मुड़ जाती हैं और टूट जाती हैं। लेकिन, हड्डी दो भागों में टूट कर अलग नहीं होती है। इसलिए इसे इंकम्पलिट फ्रैक्चर भी कहते हैं। हरी छड़ी को तोड़ा जाता है तो वह मुड़ जाती है लेकिन, टूटती नहीं है। उसी आधार पर इस समस्या का नाम ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर पड़ा है। इसे पार्शियल फ्रैक्चर भी कहते हैं।
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कितना सामान्य है ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर होना?
ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर ज्यादातर 10 साल से कम उम्र के बच्चों में देखा गया है। क्योंकि बच्चों की हड्डियां मुलायम और लचीली होती है, इसलिए बड़ों की तुलना में बच्चों को ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर ज्यादा प्रभावित करता है। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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लक्षण
ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर के क्या लक्षण हैं?
ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। आपको एक या एक से अधिक स्थान पर फ्रैक्चर के कारण घाव हो जाते हैं। वहीं, अन्य मामलों में हाथों और पैरों में फ्रैक्चर वाले स्थान पर सूजन और दर्द होता है। कभी-कभी घाव लगने के कारण भी ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर हो जाता है। जो चलने-फिरने में दर्द करता है। इसके अलावा ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर के ज्यादा लक्षणों की जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
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मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
अगर आप में ऊपर बताए गए लक्षण सामने आ रहे हैं तो डॉक्टर को दिखाएं। साथ ही ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर से संबंधित किसी भी तरह के सवाल या दुविधा को डॉक्टर से जरूर पूछ लें। क्योंकि हर किसी का शरीर ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर के लिए अलग-अलग रिएक्ट करता है।
कारण
ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर होने के कारण क्या हैं?
ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर का आम कारण है बच्चों का गिराना। ज्यादातर बच्चे गिरते समय अपने हाथों का इस्तेमाल संभलने के लिए करते हैं तो ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर हो जाता है।
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जोखिम
कैसी स्थितियां ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर के जोखिम को बढ़ा सकती हैं?
निम्नलिखित कारणों की वजह से ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर हो सकता है:
- ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर फील्ड एथलीटों, डांसर, टेनिस और बास्केटबॉल खिलाड़ियों के लिए सामान्य है।
- वैसे लोग जो कभी एक्सरसाइज नहीं करते हैं और अचानक एक्सरसाइज शुरू कर देते हैं। ऐसे में ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर की समस्या हो सकती है।
- वैसे महिलाएं जिनमें पीरियड्स (मासिक धर्म) ठीक से नहीं आने की समस्या हो, तो ऐसी परिस्थिति में भी ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर का खतरा बढ़ सकता है।
- हथेली या कलाई में ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर की समस्या हो सकती है।
- सही जूते नहीं पहनने की स्थिति में भी ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर की समस्या हो सकती है।
- हड्डियों के कमजोर होने की स्थिति में भी ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर की परेशानी हो सकती है।
- अगर पहले कोई फ्रैक्चर हुआ ही, तो ऐसी स्थिति में भी स्ट्रेस फ्रेक्चर हो सकता है।
- पौष्टिक आहार का सेवन नहीं करना, विटामिन-डी और कैल्शियम की कमी की वजह से भी ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर हो सकता है।
ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर के जोखिम को जानने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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उपचार
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर का निदान कैसे किया जाता है?
ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर डॉक्टर्स मेडिकल हिस्ट्री देखकर और शारीरिक जांच के अलावा निम्लिखित टेस्ट कर फ्रैक्चर की स्थति को समझ सकते हैं:
- एक्स-रे (X-rays)- एक्स-रे से ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर की स्थिति को समझा जाता है। इसे ठीक होने में एक सप्ताह या एक महीने तक का वक्त लग सकता है।
- बोन स्कैन– बोन स्कैन के पहले इंट्रावेनस में रेडियोएक्टिव की खुराक (डोस) दी जाती है। इसे उन हिस्सों को समझने में आसानी होती है जहां ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर हुआ है। स्ट्रेस फ्रेक्चर होने पर अन्य टेस्ट भी किये जाते हैं।
- मेग्नेटिक रेजोनेंस इमेज (MRI)– इसमें रेडियो वेव्स का प्रयोग किया जाता है। इससे इंजरी के पहले सप्ताह ही फ्रैक्चर की जानकारी मिल सकती है। इससे स्ट्रेस फ्रेक्चर और सॉफ्ट टिशू में आई चोट को समझना आसान हो जाता है।
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ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर का इलाज कैसे होता है?
ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर का इलाज उसके लक्षणों के आधार पर किया जाता है। अगर हड्डी मुड़ गई है तो डॉक्टर इसे सीधा कर के ठीक करने का प्रयास करते हैं। इसके अलावा दर्द और सूजन से राहत देने के लिए दवाएं देते हैं। ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर से पूरी हड्डी टूटने का भी रिस्क रहता है। जिससे टूटे हुए भाग को बिल्कुल भी नहीं हिलाया जा सकता है।
कभी-कभी डॉक्टर टूटे हुए स्थान पर पट्टी बांध देते हैं। घाव भर जाने के बाद पट्टी को निकाल देते हैं। ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर को ठीक होने में लगभग छह से आठ हफ्ते लगते हैं।
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घरेलू उपाय
जीवनशैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो मुझे ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?
- ग्रीनस्टिक फ्रैक्चर कभी-कभी कैल्शियम की कमी से होता है। कैल्शियम की कमी का इलाज करना हो तो हर घर में पकने वाले पालक को नियमित रूप से अपने आहार में शामिल करें। इसमें 250 ग्राम कैल्शियम पाया जाता है। इससे शरीर में कैल्शियम का स्तर संतुलित रखा जा सकता है। कई लोगों को पालक की सब्जी या साग पसंद नहीं होता, उन्हें पालक से बनी सलाद का सेवन करना चाहिए।
- दूध तथा दही दोनों में अलग-अलग 125 मिलीग्राम कैल्शियम पाया जाता है। यह मात्रा शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में बहुत महत्वपूर्ण है। कम वसा वाले दही (योगर्ट) में कैल्शियम भरपूर मात्रा पाया जाता है।
- कैल्शियम की कमी का इलाज कई प्रकार की बीजों के सेवन से किया जा सकता है। इनमें से सबसे प्रमुख है शीशम के बीज, अलसी के बीज, तरबूज के बीज। इनमें से सिर्फ शीशम के बीज में लगभग 975 मिलीग्राम कैल्शियम पाया जाता है। जिससे हड्डियां मजबूत होंगी।
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।