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हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? जानिए दवा और प्रभाव

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 17/05/2021

हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? जानिए दवा और प्रभाव

परिचय

आयुर्वेद के अनुसार हर्निया क्या है?

आयुर्वेद के अनुसार हर्निया शरीर में होने वाली गैर जरूरी वृद्धि होती है, जिसे अंतर वृद्धि कहते हैं। हर्निया की समस्या होने पर पेट के हिस्से पर एक उभार आने लगता है, जैसे शरीर के एक हिस्से पर सूजन आने लगती है। हर्निया की समस्या पुरुष या महिला किसी को भी हो सकती है। हर्निया की परेशानी पेट, कमर और जांघों के हिस्से में ही ज्यादा होता है। अगर हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज ठीक से नहीं किया जाए, तो स्थिति गंभीर हो सकती है। जर्नल ऑफ महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस द्वारा किये गए रिसर्च के अनुसार हर्निया की समस्या ग्रामीण इलाकों में जानकारी के अभाव में हर्निया की समस्या ज्यादा होती है।

हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज संभव है, लेकिन सबसे पहले समझने की कोशिश करते हैं कि हर्निया कितने तरह का होता है।

इनगुइनल हर्निया (inguinal hernia)-  इनगुइनल हर्निया सबसे सामान्य हर्निया माना जाता है और यह विशेषकर जांघों में होता है। इनगुइनल हर्निया होने पर अंडकोष में सूजन की समस्या भी शुरू हो जाती है।

फेमोरल हर्निया (Femoral hernia) – फेमोरल हर्निया विशेषकर पेट पर और जांघ पर होता है।

अम्बिलिकल हर्निया (Umbilical Hernia)- नाभि पर होने वाले हर्निया को अम्बिलिकल हर्निया कहते हैं।

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कारण

हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज जानने से पहले समझने की कोशिश करते हैं कि हर्निया होने का कारण क्या है?

निम्नलिखित कारणों से हर्निया की समस्या हो सकती है। जैसे:-

  • आयुर्वेद के अनुसार जब किसी कारण पेट की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं, तो ऐसी स्थिति में हर्निया की समस्या शुरू हो सकती है।
  • अत्यधिक खांसी की समस्या होना। इसलिए अगर खांसी की परेशानी दूर नहीं हो रही है, तो इसका इलाज जल्द करवाएं।
  • जिस तरह से शरीर का कम वजन कई बीमारियों को न्योता देता है, ठीक उसी तरह बॉडी वेट ज्यादा होने से हर्निया की समस्या हो सकती है।
  • हेल्थ एक्सपर्ट की मानें, तो 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को भी हर्निया का खतरा होता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर की मांसपेशियां कमजोर पड़ने लगती है।
  • अगर कोई व्यक्ति किडनी की परेशानी या लिवर से जुड़ी परेशानी से पीड़ित है, तो उनमें हर्निया का खतरा ज्यादा हो सकता है या हर्निया का कारण बन सकता है।
  • कब्ज की समस्या रहना।

इन कारणों के अलावा हर्निया के अन्य कारण भी हो सकते हैं। इसलिए शरीर में होने वाले नकारात्मक बदलाव को नजरअंदाज न करें।

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लक्षण

हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज से पहले इसके लक्षण जान लेते हैं-

हर्निया के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:-

  • हर्निया की परेशानी होने पर सबसे पहले पेट पर सूजन की समस्या शुरू हो जाती है। पेट पर होने वाली सूजन खासकर उसी जगह पर होती है, जहां की मासपेशियां कमजोर हो जाती हैं।
  • कब्ज की शिकायत रहना हर्निया की परेशानी का कारण हो सकता है।
  • मल से खून आना।
  • सीने में दर्द की शिकायत रहने पर यह हर्निया के भी लक्षण हो सकते हैं। इसलिए सीने में दर्द की परेशानी होने पर जल्द से जल्द स्वास्थ्य विशेषज्ञों से मिलें।
  • पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द रहना।
  • बार-बार उल्टी होना। प्रायः उल्टी की परेशानी को डायजेशन से जोड़ कर देखा जाता है, लेकिन उल्टी की समस्या हर्निया की वजह से भी हो सकती है।
  • हर्निया होने पर ज्यादातर लोगों को चलने और बैठने में समस्या होती है।

इन लक्षणों के साथ-साथ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। इसलिए किसी भी शारीरिक परेशानी को नजरअंदाज न करें और जल्द से जल्द स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें।

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इलाज

हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?

आयुर्वेदिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ हर्निया के इलाज के लिए औषधीय तेल लगाने के साथ ही गर्म सिकाई करने की भी सलाह देते हैं। इसके साथ ही पेशेंट के डेली डायट में भी बदलाव किये जाते हैं और इसके बाद हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज निम्नलिखित तरह से शुरू किया जाता है:

स्नेहन

हर्निया के आयुर्वेदिक इलाज में शामिल स्नेहन के दौरान जड़ी-बूटियों और औषधीय तेल से शरीर की मालिश की जाती है। मालिश के दौरान घी या तिल के तेल का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं आयुर्वेद में हर्निया का इलाज सरसों के तेल, कनौला का तेल या अलसी के तेल का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब कफ की समस्या की वजह से हर्निया की परेशानी शुरू हुई हो।

विरेचन

शरीर में उत्पन्न हुए विषाक्त को दूर करने के लिए विरेचन पद्धति का प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेद में विरेचन की मदद से हर्निया का इलाज किया जाता है। वात दोष को खत्म करने के लिए नमक, अदरक या गर्म पानी का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद भूख न लगने या कम लगने की भी परेशानी दूर हो सकती है। अगर किसी व्यक्ति को अत्यधिक कमजोरी महसूस होती है या डायजेशन की समस्या हो रही है या बुखार है, तो ऐसी स्थिति में विरेचन कर्म नहीं किया जाता है। इसलिए विरेचन के पहले हर्निया के साथ-साथ कोई भी अन्य परेशानी होने पर इसकी जानकरी अपने आयुर्वेद डॉक्टर को अवश्य दें।

हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज – निरुह बस्ती

यह एक तरह का एनिमा प्रोसेस है। इसमें दूध में हर्बल काढ़े के साथ-साथ औषधीय तेल को मिलाकर मिश्रण तैयार किया जाता है और इसका प्रयोग किया जाता है। ऐसा करने से हर्निया की परेशानी दूर हो सकती है।

पिंड स्वेद

पिंड स्वेद की तहत हर्निया वाली जगह पर औषधीय तेल से मालिश की जाती है। मालिश के बाद चावल के गर्म पेस्ट की मदद से सिकाई की जाती है।

हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज ऊपर बताई गई, इन चार विकल्पों के साथ-साथ निम्नलिखित विकल्प भी अवश्य अपनाने चाहिए।

कैमोमाइल

कैमोमाइल में मौजूद एंटी-इंफ्लमेटरी तत्व शरीर के लिए कई तरह से लाभदायक होते हैं। लेकिन, अगर आपको हर्निया की परेशानी है, तो इस परेशानी को भी दूर करने में कैमोमाइल सक्षम है। इसलिए कैमोमाइल से बनी चाय का सेवन करने से परेशानी धीरे-धीरे ठीक हो सकती है।

अदरक

हर्निया की परेशानी को दूर करने के लिए आयुर्वेद में अदरक के सेवन की सलाह दी जाती है। दरअसल इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लमेटरी तत्व हर्निया की परेशानी दूर करने के साथ-साथ पेट दर्द से भी राहत दिलाने में मददगार होता है।

मुलेठी

मुलेठी में मौजूद एंटीबायोटिक प्रॉपर्टी शरीर को फिट रखने में मददगार होने के साथ-साथ हर्निया के इलाज में भी भूमिका निभाता है। मुलेठी के सेवन से पेट दर्द और सूजन की परेशानी भी दूर होती है।

एप्‍पल साइडर विनेगर

आयुर्वेद में हर्निया का इलाज एप्‍पल साइडर विनेगर से भी किया जाता है। आयुर्वेद से जुड़े जानकार मानते हैं कि एक या दो चम्मच एप्‍पल साइडर विनेगर को गर्म पानी में मिलाकर पीने से हर्निया की परेशानी दूर हो सकती है।

हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज- एलोवेरा

एलोवेरा में मौजूद फाइबर शरीर के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। अगर कब्ज की वजह से हर्निया की समस्या शुरू हुई है, तो एलोवेरा किसी रामबाण से कम नहीं माना जाता है। दरअसल एलोवेरा जूस के सेवन से कब्ज की परेशानी दूर होने के साथ-साथ हर्निया की भी परेशानी ठीक हो सकती है।

दालचीनी

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दालचीनी में मौजूद हाई फाइबर हर्निया के पेशेंट के लिए लाभकारी माना जाता है। इसमें उपस्थित फाइबर कॉन्स्टिपेशन की समस्या से भी निजात दिलाने में सक्षम है। दालचीनी में उपस्थित इन्हीं गुणों के कारण इसे औषधीय श्रेणी में रखा गया है।

हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज – हिंगु

आयुर्वेद में हिंगु को पाचन सुधारने वाली जड़ी-बूटी माना जाता है और इसमें भूख बढ़ाने वाले गुण होते हैं। इसे आम भाषा में हींग के नाम से भी जाना जाता है। इसके उपयोग से ऐंठन, गैस जैसी पेट की समस्याओं, बलगम से छुटकारा और पेट साफ करने की प्रक्रिया आसान बनाने में फायदा मिलता है। हर्निया की वजह से कब्ज जैसी परेशानी हो सकती है, जिसे दूर करने में हिंगु काफी मददगार साबित होती है।

सेन्ना

सेन्ना एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो आपके आंतों की मूवमेंट को बढ़ाने में मदद करती है। इसकी मदद से आपके आंतों की मांसपेशियां मजबूत बन जाती है और कब्ज जैसी समस्या से राहत मिलती है। कब्ज से राहत पाने के बाद आंतों पर पड़ रहे अत्यधिक दबाव को कम किया जा सकता है।

करंज

करंज के सेवन से एसिडिटी की परेशानी दूर होती है और हर्निया की बीमारी भी धीरे-धीरे ठीक हो सकती है।

इन ऊपर बताये गए तरीकों से हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज किया जाता है। लेकिन, ध्यान रखें कि अगर आपको या आपके किसी करीबी को हर्निया की शिकायत है, तो सबसे से पहले आयुर्वेद एक्सपर्ट से सलाह लें और फिर तभी किसी भी खाद्य या पेय पदार्थों का सेवन करें। अपनी मर्जी या इच्छा अनुसार इनके सेवन से नुकसान भी पहुंच सकता है। इसलिए बिना एक्सपर्ट की राय लिए खुद से इलाज शुरू न करें।

हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज अपनाने के साथ-साथ योगासन भी आपकी परेशानी को कम करने में मददगार हो सकता है। इसलिए हर्निया की परेशानी को दूर करने के लिए योगासन किये जा सकते हैं। रिसर्च के अनुसार निम्नलिखित योगासन हर्निया के पेशेंट के लिए लाभकारी हो सकते हैं। जैसे:

  1. वज्रासन- वज्रासन दोनों घुटनों को मोड़ने के बाद पैरों पर बैठकर किया जाता है। वज्रासन को डायमंड पोज के नाम से भी जाना जाता है। इस योगासन से शरीर को फिट रखने में मदद मिलती है और हर्निया की परेशानी भी दूर होती है।
  2. उष्ट्रासन- शारीरिक विकारों को दूर करने के लिए उष्ट्रासन अहम भूमिका निभाता है। इस आसान को भी बैठ कर किया जाता है।
  3. पश्चिमोत्तानासन- इस आसान को करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर बैठ जाएं और दोनों पैरों को सीधा फैला लें। अब गर्दन, सिर और पीठ को सीधा रखते हुए सिर को घुटनों के पास लाने की कोशिश करें।
  4. पवनमुक्तासन- इस आसान को करने के लिए सीधे लेट जाएं। पैर के घुटने को मोड़ते हुए हाथ को साथ रखते हुए अपने सीने की ओर लाएं और कुछ मिनट रुकते हुए वापस अपनी पुरानी पुजिशन में आ जाएं।
  5. सर्वांगासन- सर्वांगासन एक ऐसा अकेला योगासन है, जिसे करने से उंगलियों से लेकर मस्तिष्क को स्वस्थ रखा जा सकता है। इस आसान को करने की सलाह लिवर की परेशानी झेल रहे लोगों को भी दी जाती है।
इन ऊपर बताये गए योगासन से हर्निया की परेशानी दूर हो सकती है। लेकिन, किसी भी योगासन को करने से पहले इसे कैसे किया जाता है और योग के दौरान किन-किन बातों को ध्यान रखना चाहिए, इसे भी समझना बेहद जरूरी है। बेहतर होगा कि अगर आप योगा एक्सपर्ट की निगरानी में योग करें और उनके बताये गए निर्देशों का पालन करें।

और पढ़ें: अपेंडिक्स का आयुर्वेदिक इलाज कैसे किया जाता है?

घरेलू उपाय

हर्निया से बचने के क्या हैं घरेलू उपाय?

हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज होने के साथ-साथ निम्नलिखित घरेलू उपायों के साथ-साथ अन्य बातों का भी ध्यान रखना जरूरी है। जैसे:

  • अत्यधिक मसालेदार या तले-भुने हुए खाद्य पदार्थों का सेवन न करें
  • एल्कोहॉल का सेवन न करें
  • कैफीन युक्त पेय पदार्थों का सेवन न करें
  • कोल्ड ड्रिंक से भी दूरी बनाये रखें
  • फास्ट फूड या जंक फूड न खाएं
  • मांस का सेवन न करें
  • अत्यधिक फैट वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज करें
  • लहसुन और प्याज का सेवन भी कम से कम करें
  • अत्यधिक वजन न उठायें
  • स्मोकिंग न करें
  • वजन को संतुलित रखें
  • हर्निया के पेशेंट के लिए सलाद, गाजर, पालक, अंजीर, ब्राउन राइस, ब्रोकली, करेला, लहसुन फलों में शामिल केला, सेब और नाशपाती का सेवन लाभकारी होता है
  • आयुर्वेद के अनुसार हर्निया के पेशेंट को कभी-कभी फास्ट भी रखना चाहिए
  • एक बार पूरा खाना न खा कर थोड़ा-थोड़ा खाने की आदत डालें
  • मीठे का सेवन न करें या कम से कम करें
  • फाइबरयुक्त आहार का सेवन करें
  • आहार में अत्यधिक प्रोटीन शामिल न करें

हर्निया के आयुर्वेदिक इलाज में आयुर्वेदिक एक्सपर्ट सबसे पहले आंतो की सफाई करते हैं और उसके बाद डायजेशन की परेशानी को दूर करते हैं। ऐसा करने से आंतो से बैड बैक्टीरिया को दूर किया जाता है।

हमें उम्मीद है कि हर्निया के आयुर्वेदिक इलाज के बारे में आपको पर्याप्त जानकारी मिल गई होगी कि यह कैसे काम करता है और इसे कैसे अपनाया जा सकता है। लेकिन हैलो स्वास्थ्य एक सलाह देता है कि आयुर्वेदिक उपायों को अपनाने से पहले किसी एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। क्योंकि, आमतौर पर तो आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां सभी के लिए सुरक्षित होती हैं, लेकिन कुछ खास स्थिति या बीमारी के कारण लोगों को इसके दुष्परिणामों का सामना करना पड़ जाता है। कैंसर, डायबिटीज, किडनी रोग आदि क्रॉनिक बीमारी के मरीजों को भी आयुर्वेदिक उपाय बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं करने चाहिए। डॉक्टर आपके स्वास्थ्य का पूरा अध्ययन करके आपको उचित जानकारी उपलब्ध करवाएगा।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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डॉ. पूजा दाफळ

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Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 17/05/2021

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