गायनोकोलॉजिस्ट के अनुसार गर्भावस्था में देखभाल के लिए जरूरी टिप्स (Pregnancy care in hindi)
- गर्भावस्था में फोलिक एसिड की पर्याप्त मात्रा लेना बहुत जरूरी है। हरी पत्तियों में पाया जाने वाला फोलिक एसिड बच्चे से जुड़ी कई परेशानियों से बचा सकता है। यह बच्चे के ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड को विकसित करने में मदद कर सकता है। इन छोटी बातों को ध्यान में रखकर गर्भावस्था में देखभाल की जा सकती है।
- गर्भावस्था में फलों का सेवन बहुत जरूरी है लेकिन, कोई भी फल खाने से पहले यह जरूर ध्यान रखें कि फल अच्छी तरह से धुले हुए हों। इससे संक्रमण का खतरा कम हो सकता है।
- प्रेग्नेंसी के दौरान कच्चे मांस और कच्चे अंडे के सेवन से भी पहरेज करना चाहिए। क्योंकि इनमें मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया गर्भ में पल रहे शिशु की सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए पूरी तरह से पका हुआ मांस ही खाएं।
- गर्भावस्था में अल्कोहल और सिगरेट का सेवन न करें। शराब गर्भनाल के माध्यम से बच्चे के खून में प्रवेश करके शारीरिक और मानसिक विकास में कई तरह की बाधाएं पैदा कर सकती है। सिगरेट पीने वालों और स्मोकिंग जोन से भी दूर रहें।
- गर्भावस्था के दौरान 11 से 16 किलो तक वजन बढ़ना लाजमी है। इसलिए डाइटिंग न करें। एक्सपर्ट्स के अनुसार इस दौरान शरीर में आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन्स और कई तरह के खनिजों और पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। इसलिए पौष्टिक आहार का सेवन करना जरूरी है। डॉक्टर से सलाह लेकर डाइट भी बढ़ाई जा सकती है।
- प्रेग्नेंसी के दौरान किसी खास चीज को खाने का दिल ज्यादा करने लगता है। ऐसे में किसी एक ही चीज को बार-बार खाने के बजाए बाकी चीजों को भी खाने में शामिल करना चाहिए। इससे स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा।
- गर्भावस्था के दौरान जंक फूड खाने से परहेज करना ही बेहतर होगा। जंक फूड में फैट की मात्रा ज्यादा होती है, जिसकी वजह से कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का खतरा हो सकता है।
- इस दौरान अगर फीवर (बुखार) होता है तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें। फीवर होने की वजह से गर्भ में पल रहे शिशु पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
- गर्भावस्था के दौरान तनाव भी गर्भ में पल रहे शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है। गर्भावस्था की शुरुआत में कई कारणों के चलते महिलाएं तनाव में रहने लगती हैं, जिसका बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए गर्भावस्था में देखभाल करना बहुत जरूरी है।
- इस दौरान ज्यादा तला-भुना और मसालेदार खाना न खाएं। इससे गैस और पेट में जलन हो सकती है।
और पढ़ेंः गर्भावस्था के दौरान हिप पेन से कैसे बचें?
गर्भावस्था में देखभाल करने के लिए इन बातों का भी रखें ध्यान
गर्भवती महिला का स्वस्थ वजन (Healthy weight in pregnancy in hindi)
गर्भावस्था में देखभाल के दौरान जरूरी है कि प्रेग्नेंट महिला का उचित वजन बना रहे। ताकि गर्भ में पल रहे बच्चे को पूर्ण विकास करने में किसी भी तरह की कोई बाधा न हो। हालांकि, इस दौरान बहुत अधिक या बहुत कम वजन होने से भी प्रेग्रेंट महिला और गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं होने का खतरा बढ़ सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान बहुत अधिक वजन बढ़ने से गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज (मधुमेह) और गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) होने का जोखिम अधिक बढ़ जाता है। जिसके कारण भविष्य में टाइप 2 डायबिटीज और हाई बीपी होने की समस्या भी बढ़ जाती है। अगर गर्भवती होने के बाद किसी महिला का वजन अधिक बढ़ जाता है या वह मोटापे की समस्या से परेशान है, तो इसके कारण उस महिला को स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याएं हो सकती है। जिसका प्रभाव प्रसव पर भी पड़ सकता है। गर्भावस्था के दौरान होने वाले जोखिमों के कारण सीजेरियन सेक्शन (सी-सेक्शन) यानी ऑपरेशन की मदद से बच्चे को जन्म दिया जा सकता है। हालांकि, इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के वजन में वृध्दि होना एक स्वाभाविक और पूरी तरह से सुरक्षित बदलाव होता है, लेकिन इसके रखरखाव पर उन्हें ध्यान देना चाहिए।
और पढ़ें : पहली बार प्रेग्नेंसी चेकअप के दौरान आपके साथ क्या-क्या होता है?
प्रेग्नेंसी के दौरान मेरा वजन कितना होना चाहिए? (Bodyweight in pregnancy)
प्रेग्नेंसी के दौरान किसी महिला का वजन कितना होना चाहिए या उसके अपना वजन कितना बढ़ाना या घटाना चाहिए, यह पूरी तरह से महिला की प्रेग्नेंसी के पहले के बॉडी मास इंडेक्स (BMI) पर निर्भर करता है। आपकी उम्र और शारीरिक कद के आधार पर आपका वजन कितना होना चाहिए BMI इसे तय करने में मदद करता है। प्रेग्नेंसी में आपका वजन या आपका बॉडी मास इंडेक्स कितना होना चाहिए इसके लिए आप हैलो स्वास्थ्य का यह टूल इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करेंः
प्रेग्नेंसी वेट कैलक्युलेटर