backup og meta

Prenatal Massage: जानिए प्रीनेटल मसाज प्रेग्नेंसी के किस ट्राइमेस्टर के बाद करना चाहिए!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/03/2022

    Prenatal Massage: जानिए प्रीनेटल मसाज प्रेग्नेंसी के किस ट्राइमेस्टर के बाद करना चाहिए!

    प्रेग्नेंसी …देखभाल और हेल्दी लाइफस्टाइल दोनों ही है जरूरी। इसलिए आज इस आर्टिकल में प्रीनेटल मसाज (Prenatal Massage) से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातों को आपके साथ शेयर करने जा रहें हैं, जिससे प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती महिला अच्छा महसूस करें और इसका फायदा बेबी डिलिवरी के वक्त भी मिल सके।  

    • प्रीनेटल मसाज क्या है?
    • क्या गर्भवती महिलाओं को प्रीनेटल मसाज करवाना चाहिए?
    • प्रीनेटल मसाज के फायदे क्या हैं?
    • क्या प्रीनेटल मसाज घर पर किया जा सकता है?    
    • प्रीनेटल मसाज से पहले किन-किन बातों का ध्यान रखें?

    चलिए अब प्रीनेटल मसाज (Prenatal Massage) से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं, जिससे प्रेग्नेंसी को हेल्दी बनाने में मदद मिल सके। 

    और पढ़ें : प्रेग्नेंसी में पानी का सेवन गर्भवती महिला और शिशु के लिए कैसे लाभकारी है?

    प्रीनेटल मसाज (Prenatal Massage) क्या है?

    प्रीनेटल मसाज (Prenatal Massage)

    प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं ऐसे में प्रीनेटल मसाज गर्भवती महिला के लिए अत्यधिक लाभकारी होता है। अगर सामान्य बॉडी मसाज की बात करें, तो इस दौरान चेहरे और पेट के बल एवं सिर का पिछला हिस्सा और पीठ के बल रहकर बॉडी मसाज किया जाता है। वहीं प्रीनेटल मसाज विशेष रूप से डिलिवरी के कुछ हफ्ते या महीने पहले से शुरू की जाती है। प्रेग्नेंसी के दौरान प्रीनेटल मसाज के वक्त बॉडी को सपोर्ट देने के लिए खास तरह के तकिये का इस्तेमाल किया जाता है, जो विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं को ध्यान में रखकर ही डिजाइन की जाती है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार जिन गर्भवती महिलाओं ने प्रीनेटल मसाज (Prenatal Massage) करवाया उनमें डिप्रेशन (Depression), एंग्जाइटी (Anxiety), पीठ दर्द (Back pain) एवं पैर दर्द (Leg pain) की समस्या कम देखी गई। सिर्फ इतना ही नहीं रिसर्च रिपोर्ट में इस बात की भी जिक्र की गई है कि प्रीनेटल मसाज (Prenatal Massage) से समय से पहले शिशु के जन्म (Prematurity) की भी समस्या कम हुई है। इसलिए भी प्रीनेटल मसाज (Prenatal Massage) गर्भवती महिलाओं एवं गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी लाभकारी माना गया है।

    और पढ़ें : क्या प्रेग्नेंसी में रोना गर्भ में पल रहे शिशु के लिए हो सकता है खतरनाक?

    क्या गर्भवती महिलाओं को प्रीनेटल मसाज करवाना चाहिए? (Can pregnant women get Prenatal Massage?) 

    प्रीनेटल मसाज प्रेग्नेंसी के पहले ट्राइमेस्टर (First trimester) के बाद करवाना सुरक्षित माना जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान बॉडी मसाज के दौरान मसाज एक्सपर्ट से मालिश करवाना चाहिए, क्योंकि बॉडी के कुछ ऐसे प्रेशर पॉइंट्स (Pressure points) होते हैं, जिन्हें प्रेस नहीं करना चाहिए। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान प्रीनेटल मसाज (Prenatal Massage) करवाने से पहले डॉक्टर से सलाह लें एवं मसाज एक्सपर्ट को प्रेग्नेंसी की जानकारी दें और फिर मसाज करवाएं। 

    प्रीनेटल मसाज के फायदे क्या हैं? (Benefits of Prenatal Massage)

    अलग-अलग रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार प्रीनेटल मसाज से स्ट्रेस हॉर्मोन (Stress hormones) के लेवल में कमी आती है, जिससे गर्भवती महिला रिलैक्स महसूस करती हैं। इससे शरीर में ब्लड फ्लो भी बेहतर होता है और लिम्फैटिक सिस्टम (Lymphatic system) को ठीक तरह से काम करने में मदद मिलती है। ऐसा माना जाता है कि गर्भावस्था में मसाज करवाने से प्रेग्नेंट लेडी का ब्रेन, बॉडी एवं गर्भ में पल रहे बेबी के बीच एक बेहतर तालमेल भी बनता है। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि प्रेग्नेंसी में प्रीनेटल मसाज के फायदे कई और भी हैं, जो इस प्रकार हैं-     

    • अनिद्रा (Insomnia) की समस्या होती है दूर। 
    • जोड़ों में दर्द (Joint pain) से मिलता है राहत। 
    • गले और पीठ दर्द (Neck and back pain) की समस्या भी होती है दूर। 
    • पैरों में क्रैम्प (Leg cramping) की समस्या भी होती है दूर। 
    • साइटिका (Sciatica) की भी संभावना होती है कम। 
    • पैरों और हाथों में सूजन (Swelling in your hands and feet) की तकलीफ होती है कम। 
    • कार्पल टनेल पेन (Carpal tunnel pain) की भी संभावना होती है कम। 
    • सिरदर्द (Headaches) की समस्या होती है कम।  
    • साइनस कंजेशन (Sinus congestion) की समस्या होती है कम।  

    प्रेग्नेंसी के दौरान ऊपर बताई गई शारीरिक परेशानियां सामान्य होती हैं, लेकिन अगर यही परेशानी ज्यादा होने लगे तो यह गर्भवती महिला के लिए परेशानी का कारण बनने लगती है। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान प्रीनेटल मसाज एक्सपर्ट की देखरेख में करवाने से विशेष लाभ मिल सकता है।  

    और पढ़ें : गर्भावस्था के दौरान बेटनेसोल इंजेक्शन क्यों दी जाती है? जानिए इसके फायदे और साइड इफेक्ट्स

    क्या प्रीनेटल मसाज घर पर किया जा सकता है? (How to give a Prenatal massage at home)   

    प्रीनेटल मसाज घर पर निम्नलिखित तरह से किया जा सकता है। जैसे:

    • पैरों की मसाज (Gentle foot rub) आराम से करें। 
    • गर्भवती महिला के पीठ (Back rub) को सहलाएं। 
    • कंधें (Shoulder rub) को सहलाएं। 
    • स्कैल्प की मसाज (Scalp massage) करें। 

    नोट: गर्भवती महिला की पेट की मसाज (Belly massage) ना करें। इससे बेहतर होगा कि विटामिन ई ऑयल (Vitamin E oil) पेट पर लगाएं। ऐसा करने से स्ट्रेच मार्क्स कम पड़ सकते हैं। 

    प्रीनेटल मसाज से पहले किन-किन बातों का ध्यान रखें? (Tips to follow Prenatal massage)

    गर्भवती महिलाओं को मसाज करवाने से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे:

    1. मसाज करने वाली साफ कपड़े पहने हुए हों और हाइजीन रूल फॉलो कर रहीं हों। 
    2. मालिश करने वाली महिला के नाखून छोटे-छोटे होने चाहिए। 
    3. मालिश करने वाली महिला किसी इंफेक्शन (Infection) की शिकार न हो। 
    4. मालिश करने से पहले और बाद साबून से हाथ अवश्य धुलवाएं। 
    5. ऐसे मसाज ऑयल (Massage oil) से मालिश करवाएं जिससे एलर्जी की समस्या ना हो।  

    प्रेग्नेंसी के दौरान बॉडी मसाज करवाने से पहले ऊपर बताये पांच बातों का ध्यान अवश्य रखें। ऐसा करने से इंफेक्शन से बचने में मदद मिल सकती है। 

    और पढ़ें : hCG Levels and Twins: जानिए hCG लेवल और ट्विंस प्रेग्नेंसी से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी!

    प्रेग्नेंसी के दौरान किन-किन बातों का ध्यान रखें? (Tips to follow during Pregnancy)

    हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे:

    • प्रेग्नेंसी के दौरान फोलिक एसिड (Folic acid) का सेवन अत्यधिक जरूरी है। 
    • प्रेग्नेंसी के दौरान फलों का सेवन बहुत जरूरी है, लेकिन फलों को खाने से पहले उन्हें अच्छी तरह से धो लें ।
    • प्रेग्नेंसी के दौरान कच्चे मांस और कच्चे अंडे के सेवन से भी पहरेज करना चाहिए। 
    • गर्भावस्था में एल्कोहॉल (Alcohol in Pregnancy) और सिगरेट का सेवन न करें।
    • गर्भावस्था के दौरान 11 से 16 किलो तक वजन बढ़ना लाजमी है। इसलिए डाइटिंग न करें। 

    • गर्भावस्था के दौरान जंक फूड खाने से परहेज करना ही बेहतर होगा। 
    • इस दौरान अगर फीवर (बुखार) होता है तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
    • गर्भावस्था के दौरान तनाव भी गर्भ में पल रहे शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है। गर्भावस्था की शुरुआत में कई कारणों के चलते महिलाएं तनाव में रहने लगती हैं, जिसका बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए गर्भावस्था में देखभाल करना बहुत जरूरी है।
    • इस दौरान ज्यादा तला-भुना और मसालेदार खाना न खाएं। इससे गैस और पेट में जलन हो सकती है।

    प्रेग्नेंसी में महिला की इम्यून पावर कमजोर हो जाती है और इसका असर गर्भ में शिशु के स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है। इसलिए शिशु को बीमारियों एवं इंफेक्शन से बचाने के लिए गर्भ में और जन्म के कुछ समय बाद तक मां के जरिए दवा दी जाती है। वहीं नियमित एवं सही तरीके से की जाने वाली प्रीनेटल मसाज से गर्भवती महिला एवं शिशु दोनों को लाभ मिल सकता है।

    प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती महिला अपना ख्याल तो रखती हैं, लेकिन प्रेग्नेंसी के बाद भी गर्भवती महिला को अपने विशेष ख्याल रखना चाहिए। इसलिए नीचे दिए इस वीडियो लिंक पर क्लिक करें और एक्पर्ट से जानें न्यू मदर के लिए खास टिप्स यहां।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

    फार्मेसी · Hello Swasthya


    Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/03/2022

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement