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लिवर कैंसर के टाइप: एंगियोसार्कोमा (Angiosarcoma)
एंगियोसार्कोमा को हेमेनगियोकार्सिनोमा भी कहा जाता है। एक प्रतिशत लिवर कैंसर के मामले इस कैंसर के होते हैं। यह कैंसर लिवर के ब्लड वेसल्स से शुरू होता है जो बहुत जल्दी ग्रो होता है। ये आमतौर पर एडवांस्ड स्टेज पर डायग्नोस होता है। जोखिम कारकों में कुछ पर्यावरणीय रसायनों (जैसे विनाइल क्लोराइड, आर्सेनिक या थोरियम डाइऑक्साइड) या कुछ विरासत में मिली बीमारियों (जैसे वंशानुगत हेमोक्रोमैटोसिस) के संपर्क में शामिल हैं।
इस कैंसर के कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं या पेट में गांठ जैसा महसूस हो सकता है। इन कैंसरों का इलाज आमतौर पर बहुत मुश्किल होता है, लेकिन कीमोथेरेपी या रेडिएशन का उपयोग उनकी प्रोग्रेस को धीमा करने के लिए किया जा सकता है।
सेकेंड्री लिवर कैंसर, जिसे लिवर मेटास्टेसिस भी कहा जाता है, तब विकसित होता है जब शरीर के दूसरे भाग से प्राथमिक कैंसर लिवर में फैलता है। सेकेंड्री लिवर कैंसर प्राइमरी लिवर कैंसर से अधिक आम है। अधिकांश लिवर मेटास्टेसेज कोलन या कोलोरेक्टल कैंसर से उत्पन्न होते हैं। कोलोरेक्टल कैंसर के निदान वाले आधे से अधिक रोगियों में सेकेंड्री लिवर कैंसर विकसित होता है।
कैंसर फेफड़े, स्तन, पेट, अग्न्याशय, गुर्दे, अन्नप्रणाली (Esophagus) या त्वचा से भी लिवर में फैल सकता है। लिवर कैंसर के फैलने की सबसे आम जगहों में से एक है। लिवर कितना प्रभावित होता है, इसके आधार पर लक्षण अलग-अलग होते हैं।
संभावित लक्षणों में शामिल हैं:
- थकान
- भूख में कमी
- पीलिया
- बुखार
- पेट में सूजन या दर्द
- लिवर मेटास्टेसेज के इलाज के लिए सर्जरी, एब्लेशन या रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल किया जा सकता है।