अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं, तो आपका फर्ज है कि आप अपने ब्लडशुगर लेवल को रेगुलर मॉनिटर करते रहें। क्योंकि यह तो आप जानते ही हैं कि डायबिटीज के मरीज की देखभाल करने के लिए ब्लड शुगर टेस्टिंग सबसे जरूरी स्टेप होती है। अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं, तो उसको कंट्रोल करने के लिए या जटिलताओं को होने से रोकने के लिए ब्लड ग्लूकोज सेल्फ टेस्टिंग करना बहुत जरूरी होता है। चिंता न करें, इसके लिए रोज-रोज डॉक्टर के पास या टेस्टिंग लैब जाने की जरूरत नहीं है। आप घर पर ही आसानी से डायबिटीज टेस्ट स्ट्रिप्स से ब्लड शुगर की जांच कर सकते हैं। यह एक तरह का छोटा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता है, जिसको ब्लड शुगर मीटर कहते हैं। यह डायबिटीज टेस्ट स्ट्रिप्स के साथ आता है, जिसमें आप अपने ब्लड के जरिए शुगर टेस्ट कर सकते हैं।
ब्लड ग्लूकोज टेस्ट स्ट्रिप्स, ब्लड ग्लूकोज टेस्टिंग का अहम कंम्पोनेंट होता है। वैसे ब्लड टेस्ट दो तरह से होता है- एक डेली टेस्ट और दूसरा तीन महीने में टेस्ट। तीन महीने के अंतराल में जो टेस्ट होता है, उसको एचबीए1सी (HbA1C) कहते हैं। इस टेस्ट से 2-3 महीनों के अंतराल में कितना ब्लड शुगर है, इसकी जांच करके पता लगाया जाता है। एचबीए1सी टेस्ट से डॉक्टर्स को यह समझने में आसानी होती है कि इस अंतराल में ब्लड शुगर कितना कंट्रोल हुआ है।
इसके अलावा दूसरा टेस्ट होता है ब्लड ग्लूकोज टेस्ट। इससे भी ब्लड ग्लूकोज के स्तर की जांच की जाती है। डॉक्टर द्वारा बताए गए समय के अनुसार ब्लड शुगर की जांच करने से, आपको शुगर के लेवल को कितना नियंत्रित करना है, कितना नहीं, इसके बारे में स्पष्ट झलक मिल जाती है। यहां तक कि यह भी पता चल जाता है कि आपको कौन-सी दवा या डायट लेनी चाहिए। इसके अलावा आपकी शारीरिक गतिविधि का स्तर क्या होना चाहिए, इसके बारे में भी पता चल जाता है। अगर आपका ब्लड शुगर लेवल बढ़ता और घटता है तो घर पर ब्लड ग्लूकोज मॉनिटर होने पर बहुत लाभ मिलता है।
ब्लड शुगर का टेस्ट क्यों करना चाहिए?
ब्लड शुगर टेस्ट का पहला फंक्शन होता है, ब्लड शुगर लेवल के बारे में सही जानकारी देना। वह इन सब मामलों में मदद करता है-
– ब्लड शुगर हाई है या लो, इसका पता लगाने में करता है मदद
-डॉक्टर ने जो दवा दी है उसका शुगर पर कैसा प्रभाव पड़ रहा है,
-ब्लड शुगर लेवल पर निर्भर करता है कि आपकी शारीरिक गतिविधी क्या होगी,
-इसके अलावा स्ट्रेस या दूसरी बीमारियों का असर शुगर लेवल पर कैसा पड़ रहा है,
डायबिटीज टेस्ट स्ट्रिप्स कैसे काम करती है?
चलिए, यूज करने के पहले डायबिटीज टेस्ट स्ट्रिप्स के काम करने का तरीका जान लेते हैं। डायबिटीज टेस्ट स्ट्रिप्स में बहुत तरह की तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। प्लास्टिक स्ट्रिप्स पर सोने का लेप होता है। सोने के इस लेप को एक पैटर्न में काटा जाता है जो सर्किट की तरह काम करता है। स्ट्रिप के एक किनारे पर केमिकल का लेप होता है। वह स्पंज की तरह ब्लड के ड्रॉप सोख लेता है और ग्लूकोज को इलेक्ट्रिसिटी में बदल देता है। यह इलेक्ट्रिकल सिग्नल स्ट्रीप से मीटर तक जाता है। मीटर में जो नंबर दिखता है वह इलेक्ट्रिक करेंट की स्पीड के अनुसार होता है। जितना शुगर का लेवल ज्यादा होगा उतना सिग्नल स्ट्रॉन्ग होगा।
डायबिटीज टेस्ट स्ट्रिप्स पर टेस्ट के लिए, आम तौर पर 0.5 μl से 1 μl ब्लड की जरूरत पड़ती है।
ब्लड ग्लूकोज को कब मापना चाहिए?
-अध्ययनों के अनुसार, जब भी डायबिटीज का मरीज अस्वस्थ महसूस करें, उसे अपना ब्लड शुगर का लेवल माप लेना चाहिए।
– सर्जरी के पहले ब्लड ग्लूकोज का लेवल माप लेना चाहिए, ताकि सर्जरी के दौरान या जनरल एनेस्थेटिक के बाद मरीज अस्वस्थ न हो जाए। इसके बाद तब तक नियमित तौर पर जांच करते रहना चाहिए, जब तक कि मरीज खाना-पीना सही तरह से न कर रहा हो।
– जिनको डायबिटीज हाल ही में हुआ है, उनको अपना ब्लड ग्लूकोज का लेवल तब तक चेक करना चाहिए, जब तक कि ग्लूकोज का लेवल स्टेब्ल न हो जाए।
ब्लड ग्लूकोज टेस्ट करने के लिए क्या-क्या इस्तेमाल होता है?
– अल्कोहल स्वैब
-ग्लूकोमीटर
-कॉटन उल/गॉज
-टेस्ट स्ट्रिप्स ( डेट चेक कर लें और स्ट्रिप्स हवा के संपर्क न आएं हो इसकी भी जांच कर लें)
ब्लड शुगर टेस्ट करने का सही समय-
आप किस समय पर खाना खाते हैं, दवा लेते हैं और ब्लड शुगर को कंट्रोल करते हैं उसी आधार पर डॉक्टर, ब्लड शुगर टेस्ट करने का समय निर्धारित करते हैं। चेकअप के दौरान डॉक्टर मरीज को ब्लड शुगर चेक करने का चार्ट और किस लेवल तक कंट्रोल करना है इसका भी टार्गेट देते हैं। आपकी अवस्था के अनुसार ही डॉक्टर टार्गेट स्थिर करते हैं।
ब्लड शुगर मापने के पहले ग्लूकोज मीटर के डब्बे पर जो निर्देशन दिया गया है उसको अच्छी तरह से पढ़ लें। उसके बाद डॉक्टर ने जो सलाह दी है उसको फॉलो करने की पूरी तरह से कोशिश करें-
– टेस्ट करने के लिए सबसे पहले अपने हाथों को धोकर अच्छी तरह से सुखा लें।
-जिस जगह से ब्लड लेने वाले हैं उस जगह को अल्कोहल पैड से साफ कर दें। अधिकतर ग्लूकोज मीटर में फिंगरटिप से ब्लड सुई चुभोकर निकाला जाता है। इसके अलावा कुछ दूसरे मीटरों में, जांघ या हाथ में जहां चर्बी ज्यादा रहती है वहां से भी ब्लड लिया जाता है।
– आप खुद ही फिंगरटीप से ब्लड ले सकते हैं, इस तरीके से दर्द कम होगा।
– ब्लड की बूंद जो आप सुई चुभोकर ले रहे हैं, वह डायबिटीज टेस्ट स्ट्रिप्स पर रख दें। जैसा ग्लूकोज मीटर पर लिखा हुआ है, वैसे ही नियम पालन करना चाहिए।
– उसके बाद मीटर ब्लड शुगर लेवल बताएगा।
– यदि आपकी बीमारी की अवस्था गंभीर है, तो डॉक्टर नियमित रूप से टेस्ट करने की सलाह दे सकते हैं।
-टेस्ट हो जाने के बाद स्ट्रीप को डस्टबीन में फेंक दें। यूज किए हुए स्ट्रीप को न इस्तेमाल करें और न ही दूसरे से शेयर करें।
नोट-ऊपर दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। इसलिए किसी भी घरेलू उपचार, दवा या सप्लिमेंट का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
ग्लूकोज मीटर में एक टेस्ट स्ट्रिप फिट होता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि यह हमेशा काम करेगा। जब आप गलत स्ट्रिप्स का उपयोग करते हैं, तब-
-टेस्ट का रिजल्ट गलत हो सकता है।
-आपको कोई रिजल्ट ही नहीं मिलेगा।
– हो सकता है मीटर ऑन ही नहीं होगा।
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हमेशा टेस्ट स्ट्रिप के वजह से ही रीडिंग गलत आए, यह भी जरूरी नहीं है-
-मीटर गंदा हो सकता है
-हाथ साफ नहीं होगा
-टेम्प्रेचर कम या ज्यादा होगा
-टेस्ट स्ट्रिप पर ब्लड की मात्रा कम होगी
-उंगलियां गीली होंगी
डायबिटीज टेस्ट स्ट्रिप्स कब तक काम करते हैं?
डायबिटीज टेस्ट स्ट्रिप्स के ऊपर या उसके बॉक्स के ऊपर यूज करने की डेट लिखी हुई रहती है। टेस्ट स्ट्रिप ब्रांड के आधार पर या बॉक्स के निर्देश के अनुसार ही इस्तेमाल करना ठीक होता है। बॉक्स खोलने के 3-6 महीने के अंदर टेस्ट स्ट्रिप का इस्तेमाल कर लेना सही होता है। अगर आपके पास एक से ज्यादा टेस्ट स्ट्रिप का बॉक्स है तो, पुराने वाले को सबसे पहले इस्तेमाल कर लेना अच्छा होता है।
डायबिटीज के मरीजों के लिए ब्लड ग्लूकोज टेस्ट करना जितना जरूरी है, उतना ही उसका रिजल्ट भी सही आना आवश्यक है। इसलिए जरूरी है कि ऊपर बताए गए टिप्स के मदद से डायबिटीज टेस्ट स्ट्रिप्स का इस्तेमाल सही तरह से करें और टेस्ट का रिजल्ट सही पाएं। इससे आप डायबिटीज को आसानी से कंट्रोल कर पाएंगे और स्वस्थ एवं फिट रहेंगे। आपकी स्वस्थ जीवन की कामना के साथ, यह भी समझ लें कि ऊपर दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। इसलिए किसी भी घरेलू उपचार, दवा या सप्लिमेंट का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
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