एथलिट्स फुट एक फंगस है जो पैरों मेंं खुजली, लालिमा या त्वचा के फट जाने का कारण बनती है। कीटाणु इस फटी हुई त्वचा से अंदर प्रवेश करते हैं जिससे संक्रमण हो सकता है। दवाइयों से इस रोग का इलाज संभव है। परेशानी अधिक हो तो इसके लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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नाखूनों का फंगल इंफेक्शन
जो नाखून फंगस से संक्रमित होते हैं, उसका रंग बदल जाता है, वो अधिक सख्त हो जाते हैं और बिलकुल टूट भी सकते हैं। जूतों की नमी और गर्मी फंगल के विकास को बढ़ावा देती है। इस तरह के इंफेक्शन का उपचार मुश्किल है। अगर समस्या कम है तो उन मामलों मेंं दवाईयां दी जाती है। लेकिन, अगर गंभीर है तो खराब नाखूनों के टिश्यू को निकाला जा सकता है।
कॉलेसिस (Callesis)
डायबिटिक फुट मेंं अगली समस्या है कॉलेसिस। कॉलेसिस वो सख्त त्वचा है जो पैर के नीचे होती है। कॉलेसिस का कारण रोगी का असामान्य वजन, जूतों की सही फिटिंग न होना आदि हो सकता है। पैरों मेंं कॉलेसिस होना बहुत ही सामान्य है लेकिन अगर इनसे समस्या हो तो डॉक्टर की राय लें। दवाईयां इसे नरम बना सकती हैं। लेकिन, इसे किसी तेजधार वाली चीज से काटने की कोशिश न करें।
कॉर्न्स
कॉर्न्स पैर की अंगुली या अंगूठे के बीच की हड्डी के पास की कठोर त्वचा का बनना है। कॉर्न्स की परेशानी जूते से बने दबाव के कारण हो सकती है। इसके उपचार के लिए डॉक्टर की सलाह लें।
छाले (Ulcer)
जब आपके जुड़े या जुराबें आपके पैर की एक ही जगह पर रगड़ खाते हैं। तो उनसे छाले हो सकते हैं। इसके अलावा, सही फिट के जूते या जुराबें न पहनने से भी यह समस्या हो सकती है। इन छालों को कभी भी खुद से न फोड़ें। इसके लिए डॉक्टर की सलाह के बाद एंटीबैक्टीरियल क्रीम का प्रयोग किया जा सकता है।
पैर के अंगूठे की सूजन (bunion)
इसे बोनी लम्प भी कहा जाता है। यह बड़े अंगूठे के नीचे जोड़ पर बनता है। इसका कारण तंग जूते या कोई चोट हो सकती है। लेकिन कई बार हड्डी की सरंचना के कारण भी यह हो सकता है। पैर पर मुलायम पैडिंग का प्रयोग करके आप इस परेशानी मेंं राहत पा सकते हैं। अगर इसमेंं समस्या बढ़ जाए तो सर्जरी भी करानी पड़ सकती है।
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रूखी त्वचा (Dry skin)
रूखी त्वचा तब हो सकती है, जब आपके पैरों और पैरों की नसों को पसीने के लिए आपके मस्तिष्क से संदेश नहीं मिलता है। सूखी त्वचा फट सकती है, जिससे उसमें कीटाणु प्रवेश कर सकते हैं। आपकी त्वचा को नम और मुलायम बनाए रखने मेंं मदद करने के लिए मॉइस्चराइजिंग साबुन और लोशन का उपयोग बेहतर साबित हो सकता है।
पैर का अल्सर
पैर का अल्सर त्वचा मेंं लगने वाला कट या गहरा घाव है, जो संक्रमित हो सकता है। पैर का अल्सर मामूली चोट भी हो सकती है जो धीरे-धीरे ठीक होती है। इस स्थिति मेंं अपने डॉक्टर की सलाह लें। यह डायबिटिक फुट का सामान्य प्रकार है।
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पैरों की उंगली का मुड़ना (Hammertoe)
पैरों की उंगली के मुड़ने की समस्या मांसपेशियों के कमजोर होने से हो सकती है। इसका कारण सही फिटिंग वाले जूते न पहनना या आनुवंशिक भी हो सकता है । यह समस्या होने पर चलने मेंं परेशानी होती है जिससे अन्य रोग जैसे छाले या कॉलेसिस आदि भी हो सकते हैं। गंभीर मामलों मेंं सर्जरी की जा सकती है।
नाखून का त्वचा के नीचे बढ़ना (Ingrown toenail)
डायबिटिक फुट की यह समस्या होने पर नाखूनों के किनारे पर दबाव पड़ता है और दर्द होती है। इसके साथ ही सूजन, लालिमा और इंफेक्शन भी हो सकता है। इसे बचने के लिए नियमित रूप से अपने नाखूनों को काटें। इसके साथ ही आपको डॉक्टर की सलाह लें। गंभीर स्थिति मेंं सर्जरी भी करानी पड़ सकती है।
मस्से
यह भी कॉलेसिस की तरह लगते हैं। इनमेंं दर्द हो सकती है। इनका कारण हैं वायरस, जो त्वचा को संक्रमित करते हैं। इसके लिए खुद से कोई भी दवाई न लगाएं बल्कि अपने डॉक्टर से सलाह ले कर सही इलाज कराएं।
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डायबिटीज होने पर पैरों की देखभाल कैसे करें?
यदि आप अपने पैरों की देखभाल करते हैं तो पैरों की समस्याओं से बचा जा सकता। इसके साथ ही पैरों का सही समय पर उपचार कराना भी जरूरी है। आप अपनी फुट केयर अपने डॉक्टर से सम्पर्क करें और उनके बनाये निर्देशों का पालन करें। फुट केयर के कुछ टिप्स इस प्रकार हैं।