के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya
हाथ हमारे शरीर का वो हिस्सा है जिनके बिना हम कुछ भी करने में असमर्थ होते हैं। फिंगर इंफेक्शन एक सामान्य समस्या है लेकिन इसके होने से कोई भी काम करने में परेशानी हो सकती है। इंफेक्शन कम से लेकर बदतर तक हो सकता है।
अधिकतर मामलों में फिंगर इंफेक्शन कम होता है और आसानी से इनका उपचार हो सकता है। अगर आपको अपनी उंगलियों में इंफेक्शन के लक्षणों दिखाई देते हैं जैसे सूजन, लालिमा, मवाद जमना, दर्द आदि तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और इसका उपचार कराएं। इनका सही से उपचार न कराया जाए तो यह स्थायी अपंगता का कारण भी बन सकता है जिससे आप अपनी उंगलियों को भी खो सकते हैं।
फिंगर इंफेक्शन के कुछ प्रकार इस तरह से हैं:
पेरोनिसिया त्वचा का सबसे सामान्य इंफेक्शन है जो उंगलियों और अंगूठे के
नाखूनों के आसपास होता है। बैक्टीरिया या यीस्ट का एक प्रकार (जिसे कैंडिडा कहा जाता है) इस इंफेक्शन का कारण है। इस समस्या का एक अन्य कारण अपने नाखूनों को काटना या चबाना है लेकिन अधिकतर यह समस्या गीले में या केमिकल की उपस्थिति में काम करने के कारण होती है।
फेलॉन उंगली के टिप का एक संक्रमण है। यह संक्रमण उंगलियों के टिप के पैड और उनसे जुड़े नरम ऊतकों से जुड़ा होता है।
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हर्पेटिक व्हाइटलो फिंगरटिप के भाग में वायरस के कारण होने वाला इंफेक्शन है। यह भी उंगलियों में होने वाला बहुत सामान्य वायरल इंफेक्शन है। इस संक्रमण का अक्सर पेरोनिसिया या फेलॉन के रूप में गलत निदान किया जाता है।
यह त्वचा और मुख्य ऊतक का संक्रमण है। यह इंफेक्शन अधिकतर सतह पर होता है और इसमें हाथ या उंगली की गहरी सरंचनाएं शामिल नहीं होती।
यह संक्रमण टेंडन शीथ्स में होता है जो हाथ को फ्लेक्स करने या बंद करने के जिम्मेदार होते हैं। यह डीप स्पेस इंफेक्शन है।
यह हाथ और उंगलियों का संक्रमण है। इसमें टेंडॉन्स, ब्लड वेसल्स और मसल्स भी शामिल होते हैं। इस इंफेक्शन में एक या अधिक संरचनाएं शामिल हो सकती हैं।
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जैसे हर तरह के इंफेक्शन के अलग-अलग कारण और प्रकार हो सकते हैं, वैसे ही लक्षण भी अलग हो सकते हैं। जो इस प्रकार हैं:
पेरोनिसिया के लक्षण हैं उंगली के नाखूनों के चारों तरह लालिमा और सूजन होना। इसके साथ ही प्रभावित स्थान पर मवाद जमा हो सकता है। यह मवाद तरल के रूप में घाव से बाहर भी आ सकता है। यह हिस्सा कठोर और छूने पर दर्दभरा हो सकता है।
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फेलॉन के लक्षण हैं सूजे हुए और दर्द भरे फिंगरटिप। इसमें सूजन कई दिनों तरह रह सकती है। छूने पर इन जख्मों में दर्द होता है। यह हिस्सा अधिकतर लाल होता है इसमें मवाद भी देखा जा सकता है। सूजन हुआ भाग नरम होगा। कुछ दिनों के बाद सूजन जारी रहती है तो यह कठोर हो जाता है।
हर्पेटिक व्हाइटलो के लक्षणों में लालिमा और प्रभावित स्थान का कठोर होना शामिल है। इस हिस्से में जलन और खुजली हो सकती है। प्रभावित स्थान पर एक या कई जख्म हो सकते हैं। कई लोगों को इस स्थिति में हल्का बुखार हो सकता है। इसके साथ ही उस स्थान में टेंडर लिम्फ नोड्स बन सकते हैं।
इसके लक्षण भी प्रभावित क्षेत्र में लालिमा और जलन हो सकती है। यह भाग थोड़ा सुजा हुआ और कठोर हो सकता है। यह आमतौर पर एक सतह पर होने वाला संक्रमण है जिसमे गहरी सरंचनाएं शामिल नहीं होती। इस संक्रमण में उंगलियों और हाथ को हिलाना कठिन या दर्दनाक नहीं होता। अगर दर्द होता है तो यह डीप स्पेस इंफेक्शन की तरफ इशारा हो सकता है।
संक्रामक फ्लेक्सर टेनोसाईनोवाइटिस के चार बड़े लक्षण होते हैं जिन्हे कनवेल कार्डिनल लक्षण कहा जाता है। यह इस प्रकार हैं:
डीप स्पेस इंफेक्शन उंगलियों के वेब स्पेस में होता है। डीप स्पेस इंफेक्शन के लक्षणों में दर्द और सूजन शामिल है। यह भाग छूने में लाल और जलन भरा हो सकता है। जैसे-जैसे फोड़ा बड़ा होता जाता है, उंगलियां बढ़ते हुए दबाव के कारण थोड़ी फैल सकती हैं।
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इंफेक्शन का मुख्य कारण होता है बैक्टीरिया। फिंगर इंफेक्शन का भी यह कारण है। यह इंफेक्शन किसी चोट लगने से हो सकता है। जानवरों के काटने, घाव आदि के कारण भी यह हो सकता है। हर एक इंफेक्शन के कारण इस प्रकार हो सकते हैं।
फेलॉन इंफेक्शन घाव के फटने से होता है जैसे उंगली की टॉप को किसी पिन से फाड़ देना। स्टेफिलोकोकल और स्ट्रेप्टोकोकल जीव अक्सर संक्रमण का स्रोत होते हैं। पंचर घाव से यह जीवाणु त्वचा की गहरी परतों में जा सकते हैं।
कोशिका शोथ का कारण भी बैक्टीरिया ही हैं। बैक्टीरिया खुले घाव के माध्यम से त्वचा की निचली परत में जा सकते हैं। संक्रमण रक्तप्रवाह के माध्यम से हाथों और उंगलियों के अन्य भागों में फैल सकता है।
यह इंफेक्शन उसी बैक्टीरिया से होता है जो फेलॉन इंफेक्शन का कारण होते हैं। हालांकि, बहुत कम मामलों में फंगस भी इसका कारण बन सकते हैं। इंफेक्शन आसपास के भागों में भी फैल सकता है। नाखूनों को काटना, खाना या छेड़ना भी पेरोनिसिया का कारण बन सकता है।
हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस I या II हर्पेटिक व्हाइटलो का जिम्मेदार होते हैं। यह वही वायरस है जो ओरल या जननांग दाद के प्रकोप का कारण बनता है। डॉक्टर, डेंटिस्ट या अन्य मेडिकल से जुड़े लोगों को यह इंफेक्शन होने की संभावना अधिक होती है।
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डीप स्पेस इंफेक्शन का कारण गहरा पंचर घाव या कट है जिससे बैक्टीरिया हाथ और उंगलियों के गहरे टिश्यूस तक पहुंच जाते हैं। जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर है या जिन्हे डायबिटीज है इन्हे यह इंफेक्शन होने की संभावना अधिक होती है।
यह बैक्टीरियल संक्रमण आमतौर पर पेनेट्रेटिंग ट्रामा का परिणाम है जिसके कारण बैक्टीरिया गहरी संरचनाओं और टेंडन शीथ्स में चले जाते हैं और जो टेंडॉन्स और संबंधित शीथ के साथ फैल सकते हैं।
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फिंगर इंफेक्शन के कई जोखिम हो सकते हैं, जैसे:
इन लोगों को फिंगर इंफेक्शन होने का जोखिम अधिक होता है, जैसे:
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डॉक्टर सबसे पहले रोगी से फिंगर इंफेक्शन के लक्षण और कारणों के बारे में पूछते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर यह भी जानना चाहेंगे कि यह फिंगर इंफेक्शन कैसे शुरू हुआ। इसके साथ ही रोगी की नाखूनों को काटने की आदतों या हर्पीस वायरस आदि के बारे में भी जाना जाएगा। इन सब सवालों से इस रोग के उपचार में मदद मिलती है।
फिंगर इंफेक्शन के दौरान होने वाले घाव को सुखाने और ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं। हर तरह के फिंगर इंफेक्शन के लिए उपचार भी अलग हो सकता है।
पेरोनिसिया के उपचार के लिए मवाद को सुखाया जाता है। यह कई तरीकों से किया जा सकता है। मवाद को निकालने के लिए चीरा लगाने के लिए स्कल्पेल का प्रयोग किया जाता है। अगर इंफेक्शन बड़ा है, तो नाख़ून का कुछ भाग भी काटा जा सकता है। इस प्रक्रिया के लिए एनेस्थीसिया भी दिया जा सकता है। इसके साथ ही रोगी को ओरल एंटीबायोटिक दिया जाता है। रोगी को घाव को घरेलू उपाय से ठीक किया जाता है।
फेलॉन के उपचार के लिए चीरा लगा कर मवाद को निकाला जाता है, क्योंकि फिंगरटिप पैड के नीचे कई कम्पार्टमेंट बन जाते हैं। इसके लिए घाव में एक इंस्ट्रूमेंट डाला जाता है। इस इंफेक्शन में भी एंटीबायोटिक आवश्यक है। घाव को तब डॉक्टर द्वारा निर्धारित विशिष्ट घरेलू देखभाल की आवश्यकता होगी।
इस समस्या में एंटीवायरल दवाईयां जैसे ऐसीक्लोविर लाभदायक होती हैं। दर्द दूर करने वाली दवाईयों का भी प्रयोग किया जाता है। सेकेंडरी बैक्टीरियल इंफेक्शन को रोकने और शरीर और दूसरे लोगों को इससे बचाने के लिए घाव को बहुत सुरक्षा करने की आवश्यकता होती है। इसमें चीरा लगाने और ड्रेनेज की सलाह नहीं दी जाती, और यदि ऐसा किया जाता है, तो इस फिंगर इंफेक्शन को ठीक होने में देरी हो सकती है।
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यह इंफेक्शन सतही है, और इसके लिए ओरल एंटीबायोटिक दवाएं पर्याप्त हैं। अगर यह समस्या उंगलियों के अधिक भाग में है या रोगी की इम्युनिटी कमजोर है, तो उसका IV एंटीबायोटिक दवाओं के साथ अस्पताल में इलाज किया जा सकता है।
यह एक आपातकालीन स्थिति है जिसमे सर्जरी की जाती है। इसमें जल्दी उपचार, अस्पताल में एडमिट होना और IV एंटीबायोटिक्स के साथ उपचार की आवश्यकता पड़ सकती है। इसमें सभी इन्फेक्टेड मेटेरियल और मवाद को बाहर निकालने की जरूरत है। सर्जरी के बाद कई दिनों तक IV एंटीबायोटिक्स और ओरल एंटीबायोटिक्स दी जा सकती है।
संक्रामक फ्लेक्सर टेनोसिनोवाइटिस की तरह, इसके लिए आपातकालीन देखभाल की आवश्यकता हो सकती है। अगर इंफेक्शन हल्का है तो केवल एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं। लेकिन यह अगर गंभीर है तो IV एंटीबायोटिक्स की सलाह दी जाती है। अक्सर इन घावों में चीरा लगाना और ड्रेनेज की आवश्यकता होती है, जिसके बाद एंटीबायोटिक दवाओं का कोर्स पूरा करना अनिवार्य होता है।
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