मूल बातों को जानें
रेडियोग्राफिक तकनीक की मदद से इसोफैगस (फूड पाइप) और पेट की बीमारियों और विकारों के बारे में पता लगाने की तकनीक बेरियम स्वालो कहलाती है। अगर आपको खाना निगलने में परेशानी हो या फिर पेट में असमान दर्द हो और उल्टी में खून आ रहा हो तो बेरियम स्वालो टेस्ट से इसका कारण पता लगाया जा सकता है। इस टेस्ट में बेरियम के मिश्रण को पिलाया जाता है और फिर ये मिश्रण शरीर के अंदर जाकर डाइजेस्टिव ट्रैक्ट के विकारों को उभार देता है जिससे एक्स–रे में वे साफ देखे जा सकते हैं।
बेरियम स्वालो टेस्ट को बेरियम एसोफैगोग्राम (Esophagogram) या एसोफैगराम (Esophagram) भी कहा जाता है।
 
बेरियम स्वालो टेस्ट की जरूरत क्यों पड़ती है ?
पेट या फिर शरीर के अंदर किसी भी विकार की स्थिति को पता करने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है। जैसे कि खाना निगलने में परेशानी होना या फिर खून वाली उल्टियां होना। इसके साथ ही अगर इंटेस्टाइन के ऊपरी हिस्से में कहीं अल्सर, ट्यूमर या फिर पोलिप्स के होने की संभावना है तो उसका पता भी लगाया जा सकता है।गलती से सिक्का निगलने या फिर किसी फसी हुई चीज के बारे में भी बेरियम स्वालो टेस्ट से लगाया जा सकता है।
बेरियम स्वालो टेस्ट से किन-किन बीमारियों की जानकारी मिल सकती है?
बेरियम स्वालो टेस्ट से निम्नलिखित शारीरिक परेशानियों की जानकारी मिल सकती है। जैसे:
- हाइटल हर्निया (Hiatal Hernia)- एसिडिटी एवं बदहजमी की परेशानी ज्यादा होना और दवाइयों के सेवन से भी राहत न मिलने पर हाइटल हर्निया की समस्या कहलाता है।
 - इंफ्लेमेशन- सूजन की समस्या होना। प्रायः सूजन आम परेशानी होती है। लेकिन, लंबे वक्त तक सूजन की समस्या बने रहना शारीरिक परेशानी को दस्तक दे सकता है।
 - ब्लॉकेज- हृदय संबंधित परेशानी।
 - मसल डिसऑर्डर- खाना चबाने में परेशानी महसूस होना।
 - गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (Gastroesophageal Reflux Disease)- पेट का एसिड वापस फूड पाइप में जाना, जिससे एसिड फूड पाइप की लाइनिंग को नुकसान पहुंच सकता है।
 - अल्सर- माउथ अल्सर की समस्या होना।
 - कैंसरस या नॉन-कैंसरस ट्यूमर
 
ऊपर बताई गई बीमारियों की जानकारी बेरियम स्वालो टेस्ट से मिल सकती है।
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टेस्टसे पहले क्या जानना है जरूरी
टेस्ट के कुछ खतरे हो सकते हैं जैसे कि:
- एलर्जी होना
 - कॉन्स्टीपेशन (Constipation)या अपच की परेशानी होना।
 - कई बार टेस्ट के दौरान बेरियम आपके फूड पाइप या फिर स्वास नली में फस जाता है जिससे कई समस्याएं हो सकती हैं। इसे एस्पिरेशन(Aspiration) कहते हैं। ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें और बेरियम को शरीर से निकलवाएं क्योंकि ये बहुत अधिक समय तक शरीर में रहने पर टॉक्सिसिटी पैदा कर सकता है।
 
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प्रक्रिया
बेरियम टेस्ट की तैयारी कैसे करें ?
टेस्ट के पहले हो सकता है आपके डॉक्टर डाइट में कुछ बदलाव करने को कहें। टेस्ट से लगभग चार घंटे पहले आपको कुछ भी खाने से मना किया जाएगा। साथ ही इस बीच कौन सी दवाएं ली जा सकती हैं इस विषय में भी डॉक्टर की सलाह जरूर लें। स्वयं कोई भी निर्णय न लें, हर छोटी चीज का ध्यान रखें।खासकर खानपान और दवाओं से जुड़ी हर बात डॉक्टर से जरूर करें। टेस्ट के समय बहुत अधिक आभूषण पहन कर न जाएं।
टेस्ट के दौरान क्या होता है ?
बेरियम मिश्रण पिलाने से पहले एक्स–रे किया जाएगा। इसके बाद धीरे–धीरे आपको बेरियम सोल्यूशन पीने के लिए कहा जाएगा। अंत तक आपको लगभग 240 मिलीलीटर (एक कप) मिश्रण पिला दिया जाएगा।
रेडियोलाजिस्ट शरीर के अंदर बेरियम को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट से गुजरते हुए देखेंगें। इस वक्त आपको हल्का झुकने के लिए कहा जाएगा ताकि मिश्रण पूरी तरह से फैल सके।इस दौरान हल्के हाथ से डॉक्टर पेट पर दबाव भी बनाएंगें जिससे खासी के दौरान भी शरीर के अंदर आने वाले बदलावों को देखा जा सके। अगर आपके शरीर के छोटे हिस्से को ही देखना है तो लगभग 30 मिनट का समय लगेगा। हर 30 मिनट में एक्स – रे निकाला जाएगा। कई बार गहरी जांच के लिए डॉक्टरआपको 24 घंटे बाद भी बुला सकते हैं ताकिऔर तस्वीरें ली जा सकें।
टेस्ट के बाद आपको लैक्सेटिव दिया जाएगा जिससे शरीर के अंदर का बेरियम निकल जाए। साथ ही खूब सारा पानी पिएं जिससे कि शरीर में बेरियम न रह जाए।
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बेरियम स्वालो टेस्ट के दौरान किन-किन बातों का ध्यान रखें?
बेरियम स्वालो टेस्ट के दौरान निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे:
- आरामदायक और ढ़ीले कपड़े पहनें।
 - बेरियम स्वालो टेस्ट करवाने के पहले आभूषण निकाल दें।
 - टेस्ट के पहले वाली रात हेल्दी डायट फॉलो करें।
 - अपने साथ कुछ खाद्य पदार्थ एवं पेय पदार्थ लेकर आएं और टेस्ट के बाद खा लें।
 - टेस्ट के पहले पानी का सेवन करें।
 - छोटे बच्चों को टेस्ट के 6 घंटे पहले से सॉलिड फूड न दें।
 - बेरियम स्वालो टेस्ट के दौरान गर्भवती महिला को नहीं रहना चाहिए।
 - जांच के दौरान 30 मिनट (आधे घंटे) का वक्त लग सकता है।
 
इन ऊपर बताये गए बातों को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर द्वारा दिए गए सलाह का भी पालन ठीक से करें।
परिणामों की व्याख्या
इस टेस्ट की मदद से आप इन स्थितियों के होने का पता लगा सकते हैं :
- इस टेस्ट से गले के पिछले हिस्से में ट्यूमर(tumour), पोलिप्स (polyps) या फिर अल्सर(ulcer) का पता लगाया जा सकता है। साथ ही कई बार हायटल हर्निया और धमनियों में विकारों को भी देखा जा सकता है।
 - आपकी तस्वीरों के आधार पर समस्या कहां है इसके अनुसार डॉक्टर आगे इलाज करेंगें और सलाह देंगें।
 
बेरियम स्वालो टेस्ट कब नहीं करवाना चाहिए?
बेरियम स्वालो टेस्ट निम्नलिखित परिस्थितियों में नहीं करवाना चाहिए या डॉक्टर से सलाह लें। जैसे:
- इंटेस्टाइन में ब्लॉकेज की समस्या होने पर
 - अत्यधिक कब्ज की परेशानी होने पर
 
बेरियम स्वालो टेस्ट के बाद कब डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए?
निम्नलिखित परिस्थिति होने पर डॉक्टर से संपर्क करें। जैसे:
- टेस्ट के 2-3 दिनों बाद भी मल से बेरियम आना
 - मल त्यागने में परेशानी होना
 - पेट के निचले हिस्से में दर्द होना
 
इन परेशानियों के अलावा अन्य परेशानी होने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें और घरेलू उपचार से बचें।
टेस्ट के बाद अगर पेट में दर्द हो या फिर ब्लीडिंग हो रही हो तो डॉक्टर तुरंत मिलकर सलाह लें।
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