शुगर की अधिक मात्रा बढ़ा देती है हार्ट बीट
खानपान के दौरान किसी भी चीज का संतुलित मात्रा में सेवन करना शरीर के लिए बेहतर रहता है। अगर आप किसी चीज की मात्रा को अधिक लेते हैं, तो हो सकता है कि इससे आपको स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़े। शुगर भी उन्हीं में से एक है। अगर आप शक्कर अधिक मात्रा में लेते हैं, तो ब्लड शुगर स्पाईक की समस्या हो जाती है। इस कारण से इंसुलिन को तेजी से काम करना पड़ता है और साथ ही स्ट्रेस की समस्या भी बढ़ जाती है। स्ट्रेस के कारण से शरीर में स्ट्रेस हॉर्मोन रिलीज होता है। ऐसा केवल प्रोसेस्ड शुगर में ही नहीं होता है बल्कि रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट जैसे कि वाइट ब्रेड, पास्ता आदि के कारण भी हो सकता है। इस कारण से हार्ट बीट बढ़ सकती है।
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ज्यादा कैफीन बढ़ा देती है दिल की गति
अगर कैफीन थोड़ी मात्रा में लिया जाए, तो यह आपके स्वास्थ्य को नुकसान नहीं पहुंचाएगा लेकिन अधिक मात्रा में लिया जाता है, तो हार्ड रेट को बढ़ा देता है। कैफीन चाय कॉफी और एनर्जी ड्रिंक में पाई जाती है। इसके कारण हार्टबीट तेजी से बढ़ने लगती है। साथ ही नींद ना आने की समस्या, बार-बार पेशाब आना, चिड़चिड़ापन आदि समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। अधिक कैफीन का सेवन रेसिंग हार्ट (Racing Heart) का कारण बन सकता है।
बुखार भी बन सकता है रेसिंग हार्ट का कारण
अगर किसी व्यक्ति को सर्दी या बुखार की समस्या होती है, तो इस कारण से भी हार्ट रेट तेज हो जाता है। हमारा शरीर तापमान को कंट्रोल में करने के लिए कुछ प्रोसेस को ट्रिगर करता है। बॉडी टेम्परेचर को सामान्य बनाए रखने के लिए शरीर को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, जिसके कारण हार्ट रेट बढ़ जाता है। अगर आपको बुखार हुआ है, तो हो सकता है कि आपको रेसिंग हार्ट (Racing Heart) जैसी समस्या का सामना करना पड़ जाए।
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नींद की कमी बढ़ा सकती है दिल की धड़कन
अगर आप पर्याप्त मात्रा में नींद लेते हैं, तो कई बीमारियां आपसे दूर रहती हैं। वहीं नींद की कमी के कारण कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है, जो लोग पर्याप्त मात्रा में रोजाना नींद नहीं लेते हैं, उनकी हार्टबीट बढ़ जाती है। ऐसे व्यक्तियों को रेसिंग हार्ट की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही कॉन्सन्ट्रेट करने में प्रॉब्लम होना, सिर दर्द होना आदि समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है।
रेसिंग हार्ट (Racing Heart) को कैसे किया जाता है डायग्नोज?
रेसिंग हार्ट को डायग्नोज करने के लिए डॉक्टर फिजिकल एग्जामिनेशन कर सकते हैं और साथ ही डॉक्टर आपसे उन लक्षणों के बारे में भी पूछेंगे, जो आपने कुछ ही दिनों में महसूस किए हैं। डॉक्टर कुछ टेस्ट जैसे की चेस्ट एक्स-रे, इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राम, इकोकार्डियोग्राम, एक्सरसाइज स्ट्रेस टेस्ट, कोरोनरी एंजियोग्राफी (coronary angiography) आदि करा सकते हैं। ऐसा करने से रेसिंग हार्ट के सही कारणों के बारे में भी जानकारी मिल सकती है। डॉक्टर आपको उचित उपायों के बारे में भी जानकारी देंगे। रेसिंग हार्ट के साथ ही सांस लेने में दिक्कत होना, चक्कर आना, छाती में दर्द होना आदि गंभीर बीमारी के लक्षण भी हो सकते हैं। हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर रेसिंग हार्ट की समस्या से बचा जा सकता है।
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रेसिंग हार्ट के साथ जागना आम तौर पर गंभीर नहीं माना जाता है और ट्रीटमेंट की आवश्यकता नहीं होती है। यदि यह कभी-कभी होता है या केवल कुछ सेकंड तक रहता है, तो बिल्कुल भी परेशान न हो। लेकिन अगर आप को इस समस्या का सामना लंबे समय से करना पड़ रहा है और इस कारण से कई दिक्कतें भी हो रही हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर को बताना चाहिए। हार्ट संबंधी बीमारियों के बारे में जानकारी जांच के बाद ही मिलती है। आपको डॉक्टर से बिना देरी किए मिलना चाहिए और उन्हें अपनी समस्या के बारे में बताना चाहिए।
इस आर्टिकल में हमने आपको रेसिंग हार्ट (Racing Heart) को लेकर जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।