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Pain: दर्द क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

Pain: दर्द क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

परिचय

दर्द (Pain) क्या है?

दर्द एक भावना है जिसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है और यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। असहज भावना है, यह एक ऐसी स्थिति है। जिसका अनुभव हर व्यक्ति को कभी न कभी होता है। कई बार ठोकर लगने, चोट लगने पर हमें इसका अहसास होता है। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि हमारे शरीर के सभी हिस्सों में नसें फैली हुई होती हैं। कई बार ठोकर लगने या कोई चोट लगने पर नसे क्षतिग्रस्त होती हैं। इससे रक्त का संचारण भी प्रभावित होता है, जिससे दर्द होता है। दर्द का अहसास तब होता है जब नसें इसका संदेश मस्तिष्क तक पहुंचाती हैं।.दर्द कई तरह के होते हैं और इसके कई कारण होते हैं। ये कारण मानसिक भी हो सकते हैं और शारीरिक भी। यह कम समय के लिए भी हो सकता है और लंबे समय तक भी रह सकता है। यह शरीर के किसी एक हिस्से में भी हो सकता है और पूरे शरीर में भी फैल सकता है। सटीक शब्दों में कहें तो दर्द की कोई परिभाषा नहीं है। किसी भी आंतरिक समस्या के संकेत को पेन (Pain) कह सकते हैं।

दर्द तब महसूस होता है जब नर्व्स जिन्हें नोसिसेप्टर कहते हैं, टिशू डैमेज का पता लगाए और इसकी जानकारी स्पाइनल कोर्ड के साथ मस्तिष्क तक पहुंचाए। उदाहरण के तौर पर, यदि हम किसी गर्म बर्तन को टच करते हैं तो स्पाइनल कोर्ड तक एक मैसेज जाता है। मांसपेशियों में तत्काल संकुचन होता है, जिससे हाथ को गर्म सतह से दूर कर लेगा और आपको अधिक चोट लगने से बचाता है।

यह रिफलेक्स इतनी तेजी से होता है कि यह संदेश तब तक दिमाग तक भी नहीं पहुंच पाता है। हालांकि दर्द का मैसेज ब्रेन तक जाता  है। एक बार जब यह मैसेज मस्तिष्क तक पहुंचता है तो एक अप्रिय सनसनी महसूस हो सकती है। मस्तिष्क के इन संकेतों और मस्तिष्क के नोसिसेप्टर के साथ संचार चैनल की दक्षता यह बताती है कि किसी व्यक्ति में पेन (Pain) का अनुभव कैसा हैता है। दर्द के अप्रिय अनुभव का सामना करने के लिए मस्तिष्क डोपामाइन फील-गुड केमिकल्स को छोड़ सकता है।

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जानें ये जरूरी बातें

पेन कितनी तरह का होता है? (Types of Pain)

हम सब अलग-अलग तरह से पेन (Pain) को महसूस करते हैं। इसलिए यह आपको दूसरों से अलग कैसा दर्द महसूस हो रहा है इसका वर्णन करना बेहद मुश्किल है। ऐसा भी मुमकिन है एक इंसान एक से अधिक दर्द का अनुभव करें, जो सिर्फ परेशानियों को बढ़ाता है। दर्द दो तरह के होते हैं। एक्यूट पेन (Acute pain) और क्रोनिक पेन (Chronic pain)

एक्यूट पेन (Acute pain):

इस तरह का पेन (Pain) आमतौर पर तीव्र और अल्पकालिक होता है। इस तरह शरीर किसी व्यक्ति को चोट या टिशू डैमेज के लिए सचेत करता है। अंतर्निहित चोट का इलाज आमतौर पर एक्यूट पेन को दूर करता है। हड्डी के टूटने या गर्म सतह को छूने से एक्यूट पेन हो सकता है। एक्यूट पेन के दौरान, छोटी अवधि के लिए तत्काल तेज दर्द होता है, जिसे कभी-कभी एक तेज चूभन सनसनी के रूप में वर्णित किया जाता है। एक्यूट पेन बॉडी फाइट-और-फ्लाइट मैकेनिज्म (Fight-or-flight mechanism) को ट्रिगर करता है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर तेज धड़कन और सास दर बढ़ जाती है।

अलग-अलग तरह के एक्यूट पेन (Different types of Acute Pain)

सोमैटिक पेन (Somatic pain): इसमें त्वचा की सतह पर पेन (pain) या त्वचा के ठीक नीचे नरम ऊतकों को महसूस किया जाता है।

विसकेरल पेन (Visceral pain): इसमें दर्द आंतरिक अंगों और शरीर में गुहाओं के अस्तर से उत्पन्न होता है।

रैफर्ड पेन (Referred pain): टिशू डैमेज के अलावा किसी एक जगह पर व्यक्ति को रैफर्ड पेन महसूस होता है। उदाहरण के लिए, लोगों को अक्सर दिल का दौरा पड़ने के दौरान कंधे में दर्द होता है।

क्रोनिक पेन (Chronic Pain)

एक्यूट पेन की तुलना में क्रोनिक पेन अधिक समय के लिए रहता है। अक्सर इसका कोई इलाज नहीं होता है। यह हल्का या गंभीर हो सकता है। क्रोनिक पेन में शरीर मस्तिष्क को लगातार दर्द के सिग्नल भेजता रहता है। क्रोनिक पेन आपकी गतिशीलता को सीमित कर सकता है। इसके साथ यह आपकी फ्लेक्सिबिलिटी और स्ट्रेंथ को कम कर सकता है। इसमें रोजमर्रा के कार्यों को करना भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। कम से कम 12 हफ्ते तक रहने वाले पेन (Pain) को क्रोनिक पेन कहा जाता है।

यह दर्द अक्सर कैंसर या गठिया जैसे रोगों से जुड़ा होता है। इसका पता लगाना और इलाज करना अधिक कठिन होता है। यह दर्द निरंतर हो सकता है जैसे गठिया में होने वाला दर्द। यह आंतरायिक भी हो सकता है जैसे माइग्रेन में होने वाला दर्द। आंतरायिक दर्द बार-बार होता है, लेकिन बीच-बीच में रुक जाता है।

क्रोनिक पेन में शामिल हैं:

  • सिरदर्द (Headache)
  • पोस्ट सर्जिकल पेन (Postsurgical pain)
  • पोस्ट ट्रॉमा पेन (Post-trauma pain)
  • अर्थराइटिस में होने वाला पेन (Arthritis pain)
  • न्यूरोजेनिक पेन- यह नर्व के डैमेज होने पर होता है (Neurogenic pain)
  • साइकोजेनिक पेन (Psychogenic pain)
  • निचली कमर में पेन (Lower back pain)
  • कैंसर में होने वाला पेन (Cancer pain)

अमेरिकन अकादमी ऑफ पेन मेडिसिन के अनुसार, दुनियाभर में 1.5 बिलियन से ज्यादा लोगों को क्रोनिक पेन की समस्या है।

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लक्षण

दर्द के क्या लक्षण हैं? (Symptoms of Pain)

पेन (Pain) अपने आप में कई अंदरूनी और बाहरी परेशानियों का लक्षण होता है। निम्नलिखित लक्षण इस बात का संकेत देते हैं कि कोई व्यक्ति भावनात्मक, शारीरिक या आध्यात्मिक दर्द में है:

इमोश्नल (Emotional):

  • कमजोर एकाग्रता (Poor concentration)
  • होश में न रहना (Dull senses)
  • सुस्त (Lethargy)
  • गुस्से में रहना (Anger)
  • बुरे सपने आना (Bad dreams)
  • चिड़चिड़ापन (Irritability)
  • घबराहट में हसना (Nervous laughter)
  • उदासी (Boredom)
  • काम न कर पाना (Low productivity)
  • नकारात्मक रवैया (Negative attitude)
  • चिंता (Anxiety)
  • मूड स्विंग्स (Mood swings)
  • दूसरों पर निर्भर रहना (Dependency on others)

शारीरिक (Physical):

  • भूख में बदलाव (Appetite changes)
  • नींद न आना (Poor sleeping)
  • लंबी सांसे लेना (Sighing)
  • हांफना (Heavy breathing)
  • रोजमर्रा गतिविधि में हिस्सा लेना कम कर देना (Decreasing activity)
  • चाल में बदलाव होना (hange in gait)
  • डरे हुए रहना (Fearful expression)
  • दातों को पीसना (Teeth grinding)
  • कराहना या चिल्लाना (Groaning or moaning)
  • रोना (Crying)

आध्यात्मिक (Spiritual)

  • खालीपन महसूस करना (Emptiness)
  • जीने के मतलब भूल जाना (Loss of meaning)
  • शक करना (Doubt)
  • शहादत (Martyrdom)
  • दिशा भूल जाना (Loss of direction)
  • उदासीनता (Apathy)
  • चिंता (Worry)
  • उम्मीद खो बैठना (Loss of hope)
  • अकेले रहना (Isolation)
  • किसी पर विश्वास न करना (Distrust)

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कारण

दर्द के क्या कारण हैं? (Cause of Pain)

एक्यूट पेन: 

आमतौर पर एक्यूट पेन 6 महीने से कम समय के लिए होता है। इसके कारण का इलाज करके इसे दूर किया जा सकता है। एक्यूट पेन धीरे धीरे ठीक होने से पहले तेज हो सकता है। इसके निम्न कारण हो सकते हैं:

  • हड्डी का टूटना (Broken bones)
  • सर्जरी (Surgery)
  • डेंटल वर्क (Dental work)
  • लेबर या चाइलड बर्थ (Labor and childbirth)
  • कटना (Cuts)
  • जलना (Burns)

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क्रोनिक पेन:

छह महीने से ज्यादा समय के लिए रहने वाले दर्द को क्रोनिक पेन कहते हैं। यह दर्द आमतौर पर चोट लगने के कारण होता है। जैसे पीठ में मोच आना या मांसपेशियों में खीचाव होना। यह माना जाता है कि नसों के क्षतिग्रस्त होने के बाद क्रोनिक पेन का विकास होता है। नर्व्स के डैमेज होने पर दर्द तेज और लंबे समय तक रहता है। यह दर्द चोट के ठीक होने के बाद भी रहता है। कई बार इंजरी के कारण यह होता है, तो कई बार इसके होने का कोई कारण नहीं होता। क्रोनिक पेन आपकी जिंदगी को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। क्रोनिक पेन के पेशेंट्स में एंग्जायटी और डिप्रेशन के लक्षण हो सकते हैं।

हालांकि कुछ मामलों में लोग बिना किसी चोट के क्रोनिक पेन का अनुभव कर सकते हैं। दर्द कभी-कभी एक अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थिति से उत्पन्न हो सकता है, जैसे कि:

क्रोनिक फैटिग सिंडोम (Chronic fatigue syndrome): यह कई प्रकार से कमजोरी पैदा करने वाला विकार है। इसमें हर समय थकान की स्थिति बनी रहती है।

एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis): एंडोमेट्रियोसिस एक दर्दनाक डिसऑर्डर है। यह गर्भाशय में होने वाली समस्‍या है। इसमें एंडोमेट्रियम टिश्यू गर्भाशय के बाहर बढ़ने लगता है।

फाइब्रोमायल्जिया (Fibromyalgia): फाइब्रोमायल्जिया एक विकार है, जिसमें मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द होता है।

इंफ्लमेटरी बॉवेल डिजीज (Inflammatory bowel disease): इसमें किसी कारण पाचन तंत्र में सूजन की समस्या शुरू हो जाती है। डायजेस्टिव ट्रैक्ट में सूजन की वजह से दर्द की समस्या शुरू हो जाती है।

इंटरस्टीशियल सिस्टाइटिस (Interstitial cystitis): यह एक क्रोनिक डिसऑर्डर है। ब्लैडर इंफेक्शन के चलते ब्लैडर में दबाव और दर्द की समस्या होता है।

वुलवोडीनिया (Vulvodynia ): यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें क्रोनिक बिना किसी कारण के योनी में दर्द, जलन और खुजली की शिकायत होती है।

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निदान

दर्द (Pain) का कैसे पता लगाएं?

मरीज द्वारा किया गया दर्द का वर्णन डॉक्टर को निदान करने में मदद करता है। दर्द के प्रकार की पहचान करने के लिए डॉक्टर दर्द का इतिहास जानने की कोशिश करेंगे। इसके लिए डॉक्टर निम्न सवालों को पूछ सकते हैं:

  • किस तरह का दर्द होता है जैसे बर्निंग सेंसेशन, चुबन महसूस होना आदि
  • किस समय दर्द होता है। यह पूरा दिन दर्द होता है। यदि आपको रह रहकर दर्द होता है तो बेहतर होगा आप इसके लिए एक डायरी मेंटेन करें। ऐसे डॉक्टर को आपके दर्द को समझने में आसानी होगी।
  • शरीर के किस हिस्से में दर्द हो रहा है और यह दर्द कहां तक फैल रहा है। डॉक्टर इसे टच करके पूछ सकता है।
  • दर्द को बढ़ाने और कम करने वाले कारक
  • दर्द का आपके रोजमर्रा के काम या मनोदशा पर प्रभाव
  • दर्द से आप क्या समझते हैं

दर्द की पहचान कई तरह से की जा सकती है। हालांकि इसके सही ट्रीटमेंट के लिए सबसे जरूरी है कि मरीज डॉक्टर को अपनी परेशानी से जूड़ी हर जानकारी स्पष्ट रूप से बताए।

डॉक्टर आपको नीचे बताए टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं:

इलेक्ट्रोडायग्नोस्टिक प्रोसिजर जिसमें इलेक्ट्रोमायोग्राफी, नर्व कंडीशन स्टडीज और इवोक्ड पोटेंशियल टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं।

  • इलेक्ट्रोमायोग्राफी (EMG) यानी ईएमजी से आपके चिकित्सक को मांसपेशियों के स्वास्थ्य की स्थिति और उन्हें नियंत्रित करने वाली तंत्रिका कोशिकाओं के बारे में मालूम होता है।
  • नर्व कंडीशन स्टडीज में डॉक्टर इलेक्ट्रोड के दो सेट का उपयोग करते है जो मांसपेशियों की त्वचा पर रखे जाते हैं। पहला सेट पेशेंट को एक हल्का झटका देता है। इससे उस मांसपेशी को नियंत्रित करने वाली तंत्रिका को उत्तेजित किया जाता है। इसके बाद इलेक्ट्रोड के दूसरे सेट का उपयोग किया जाता है। इसके जरिए तंत्रिका के विद्युत संकेतों की रिकॉर्डिंग के लिए किया जाता है। इस जानकारी से डॉक्टर यह निर्धारित कर सकते हैं कि तंत्रिका क्षति है या नहीं।
  • इवोक्ड पोटेंशियल (EP) टेस्ट में भी तंत्रिका को उत्तेजित करने के लिए इलेक्ट्रोड के दो सेट का इस्तेमाल किया जाता है। इलेक्ट्रोड का एक सेट शरीर के किसी ए अंग से जुड़े होते हैं और दूसरा सेट मस्तिष्क पर तंत्रिका संकेत संचरण की गति को रिकॉर्ड करने के लिए सिर पर लगाया जाता है।
  • इमेजिंग: डॉक्टर आपको एमआरआई (MRI) रिकमेंड कर सकते हैं। इसमें चिकित्सकों को शरीर की संरचनाओं और ऊतकों की तस्वीरें देखकर स्थिति समझने में मदद होती है।
  • मूवमेंट, रिफ्लैक्स, सेंसेशन, बैलेंस और कॉर्डिशन को देखने के लिए डॉक्टर न्यूरोलॉजिकल एग्जामिनेशन कराने के लिए कह सकते हैं।
  • शरीर के किसी हिस्से की हड्डियों और जोड़ों की स्थिति देखने के लिए एक्स-रे कराने की सिफारिश कर सकते हैं।

बचाव

दर्द (Pain)  की रोकथाम के लिए क्या करें?

एक्यूट दर्द की रोकथाम नहीं की जा सकती है, लेकिन क्रोनिक पेन की रोकथाम में निम्नलिखित उपाय आपकी मदद कर सकते हैं:

  • कभी भी पेन (pain) को नजरअंदाज नहीं करें। इससे पहले आपका दर्द गंभीर हो जाए, उससे पहले ही अपने चिकित्सक से कंसल्ट करें। दर्द की शुरुआती स्टेज में इसे नियंत्रित करना आसान होता है।
  • अपनी डायट से ऑयली और जंक फूड को निकालकर हेल्दी चीजों को शामिल करें।
  • स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन 7 से 8 घंटे की नींद लेना जरूरी होता है।
  • सिगरेट और शराब का सेवन करना एव़इड करें। इन दोनों का ही हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
  • वजन को सामान्य बनाए रखने के लिए रोजाना एक्सरसाइज करें।
  • तनाव हमारे शरीर को दीमक की तरह खाता है। इसलिए खुद को तनावमुक्त रखने के लिए हर प्रयास करें। यह कई बीमारियों को न्योता देता है।
  • फिजिकल थेरेपी, योगा, आर्ट एंड म्यूजिक थेरेपी, साइकोथेरेपी, मसाज और मेडिटेशन के जरिए भी आप पेन (pain) को नियंत्रित कर सकते हैं।

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उपचार

दर्द (Pain) का उपचार कैसे किया जाता है?

एक्यूट पेन आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है। इसका इलाज दर्द के कारण पर निर्भर करता है। चिकित्सक दर्द के अंतर्निहित कारण का पता लगाकर उसका इलाज निर्धारित करते हैं। जब ऊतक ठीक हो जाते हैं तो दर्द ठीक होने लगता है। कई बार गंभीर मामलों में डॉक्टर इसके इलाज के लिए पेनकिलर दवा या सर्जरी रिकमेंड कर सकते हैं।

क्रोनिक पेन से निजात पाना मुश्किल होता है। खासतौर पर तब जब इसके कारण का ही न पता हो। इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षण को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए डॉक्टर नीचे बताई थेरेपी का सहारा ले सकते हैं:

ड्रग थेरेपी: डॉक्टर आपके दर्द के अनुसार आपको पेन किलर दवाएं दे सकते हैं।

ट्रिग पोइंट इंजेक्शन: इसका इस्तेमाल मांसपेशियों के दर्दनाक क्षेत्रों के इलाज के लिए किया जाता है।

फिजिकल थेरेपी: दर्द प्रबंधन के लिए फिजिकल थेरेपी बेहद अहम है। यदि एक्सरसाइज सही से न की जाए तो यह दर्द को बदतर बना सकती है। उचित व्यायाम करने से धीरे-धीरे आपकी सहिष्णुता का निर्माण होता है और यह आपके दर्द को कम करता है। कुछ लोग अत्यधिक व्यायाम करने लगते हैं उन्हें लगता है इससे उनका दर्द जल्दी ठीक हो जाएगा। ऐसा नहीं होता है। इससे आपका दर्द पहले से ज्यादा हो सकता है।

सर्जिकल इंप्लांट: जब दवाएं और फिजिकल थेरेपी से दर्द को आराम नहीं मिलता है तो हो सकता है दर्द को कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर आपको सर्जिकल इंप्लाट रिकमेंड करें।

साइकलॉजिकल ट्रीटमेंट: जब आप दर्द में होते हैं तो हो सकता है आपको इसके साथ गुस्सा, उदास या निराशा की भावना हो। दर्द आपके व्यक्तित्व को बदल सकता है। यह आपकी नींद में अड़चन पैदा करने के साथ आपके रोजमर्रा के काम और रिश्तों के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। डिप्रेशन, एंग्जायटी और नींद पूरी न होने के कराण दर्द गंभीर हो जाता है। इस ट्रीटमेंट में दर्द को बढ़ाने वाले तनाव के उच्च स्तर को कम करके इसका इलाज किया जाता है। साइकलॉजिकल ट्रीटमेंट भी दर्द के अप्रत्यक्ष परिणामों को बेहतर बनाने में आपकी मदद करता है।

एक्यूपंक्चर: इसमें शरीर में एंडोर्फिन्स का लेवल बढ़ाकर दर्द को कम किया जाता है। इससे दर्द से काफी राहत मिलती है।

हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो रही है, तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

What is Pain: https://my-ms.org/symptoms_pain.htm Accessed June 17, 2020

Treating Chronic Pain: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3396104/ Accessed June 17, 2020

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Pain and Pain Management: https://www.betterhealth.vic.gov.au/health/conditionsandtreatments/pain-and-pain-management-adults Accessed June 17, 2020

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Pain Overview: https://www.pikespeakhospice.org/library/Teaching_Sheets/Pain.pdf Accessed June 17, 2020

Current Version

23/06/2021

Mona narang द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nidhi Sinha


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

फार्मेसी · Hello Swasthya


Mona narang द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/06/2021

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