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आंख में कैंसर के लक्षण बताएगा क्रेडेल ऐप

शोधकर्ताओं ने बच्चों में आंख में कैंसर के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने के लिए एक प्रोटोटाइप स्मार्टफोन ऐप बनाया है। रेटिनोब्लास्टोमा एक प्रकार का आंख का कैंसर है, जो ज्यादातर बच्चों में पाया जाता है। इस ऐप का नाम क्रेडेल है, जो कंप्यूटर असिस्टेड डिटेक्शन ल्यूकोकोरिया के लिए है। यह ऐप रेटिनोब्लास्टोमा के लक्षणों का पता लगाएगा। इसके असामान्य लक्षण रेटिना से नजर आते हैं, जिन्हें ल्युकोकोरिया या ‘व्हाइट आई’ कहा जाता है।

साइंस एडवांस जर्नल में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, यह ऐप ल्युकोकोरिया की क्लीनिकल स्क्रीनिंग के लिए बेहतर है, जिससे बच्चे के माता पिता भी आंख में नजर आने वाले इन लक्षणों का पता लगा सकते हैं। बायलोर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता ब्रायन एफ शॉ और ग्रेग हेमरली ने यह ऐप विकसित किया है। दोनों ही यूनिवर्सिटी में पीएचडी प्रोफेसर हैं। इन्होंने साल 2014 में एंड्रॉयड के लिए ‘व्हाइट आई डिटेक्टर’ ऐप बनाया था।

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क्रेडेल ऐप के अनुमान सबसे ज्यादा सही

दोनों शोधकर्ताओं ने इलाज से पहले बच्चों की 50,000 से ज्यादा फोटोग्राफ्स का गहराई से विश्लेषण किया। इसके बाद उन्होंने प्रोटोटाइप ऐप की संवेदनशीलता और सटीकता को पूरा किया। क्रेडेल ऐप 80 प्रतिशत बच्चों में ल्युकोकोरिया का पता लगाने में सफल रहा। सबसे ज्यादा मजेदार बात यह है कि जिस तस्वीर से इस बीमारी का पता चला था वह इलाज से डेढ़ साल पहले खींची गई थी।

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पुरानी प्रक्रिया थी कम कारगर

ल्युकोकोरिया की पुरानी स्क्रीनिंग की प्रक्रिया सिर्फ 8 प्रतिशत मामलों में कारगर थी। वहीं, दो साल और इससे कम उम्र के बच्चों में इस बीमारी का पता लगाने में क्रेडेल ऐप 80 प्रतिशत कारगर है, जिसे ऑथालोमोलॉजिस्टों ने ‘गोल्ड स्टैंडर्ड’ माना है। क्रेडेल की प्रभाविकता के पीछे इसका सबसे बड़ा कारण है सैंपल साइज का बड़ा होना, जिसमें परिवार के प्रतिदिन खींचे जाने वाले फोटो शामिल हैं। रिश्तेदारों और दोस्तों द्वारा अलग-अलग लाइटिंग में कई फोटो खींची जाती हैं। यहां तक कि सीधे संपर्क में ना आने के बावजूद भी ऐसे कई उदाहरण हैं, जब लाइट इस बीमारी के लक्षणों की तरफ इशारा करती है। इससे ऐप का एलगोरिदम और ज्यादा कॉम्प्लैक्स बन जाता है, जिससे यह ल्युकोकोरिया के छोटे से छोटे लक्षण को पकड़ लेता है।

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आंख में कैंसर होना बहुत आसामान्य स्थिति है। आंख में होने वाला कैंसर आंख के बाहर के हिस्सों जैसे पलक की मांसपेशियों, त्वचा और नसों पर असर डालता है। अगर कैंसर आईबॉल से शुरू होता है, तो इसे इंटराओकुलार कैंसर (Intraocular Cancer) कहते हैं। वयस्कों में पाया जाने वाले सबसे आम इंटराओकुलार कैंसर हैं मेलानोमा (Melanoma)और लीमफोमा (Lymphoma)। वहीं बच्चों में पाया जाने वाला सबसे आम कैंसर है रेटिनोब्लास्टोमा     (Retinoblastoma)। यह आंखों में मौजूद रेटिना में सेल्स से शुरू होता है। इसके अलावा आंख में होने वाला कैंसर शरीर के बाकी हिस्सों में भी फैल सकता है।

कैसे होता है आंख में कैंसर

जब हेल्दी सेल बदलने लगते हैं या इनमें अनियमितता आ जाती है, तो ये एक ट्यूमर बना लेते हैं। इस तरह की दिक्कत जब आंख में होती है, तो इसे इंटराओकुलार कैंसर या प्राइमरी आई कैंसर कहते हैं। वहीं अगर यह कैंसर शरीर के बाकी हिस्सों में फैल जाता है, तो इसे सैकेंडरी आई कैंसर कहते हैं।

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आंख में कैंसर के लक्षण

आंख में कैंसर का सबसे आम लक्षण है आपकी देखने की क्षमता में बदलाव होना। आंख के कैंसर से जूझ रहे लोगों को देखने में दिक्कत हो सकती है। इसके अलावा उनको फ्लैश या फिर स्पॉट दिख सकते हैं। साथ ही आंख में एक डार्क स्पॉट भी देखा जा सकता है। साथ ही आंख के आकार और शेप में बदलाव हो सकता है। साथ ही यह भी जानना जरूरी है कि आंख में कैंसर के लक्षण जल्दी नहीं दिखते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं।

आंख में कैंसर के लक्षणों में शामिल हैं :

  • ब्लाइंड स्पॉट्स का बढ़ना
  • तेज रोशनी में सेनसेशन होना
  • एक आंख की दृष्टि की कमी
  • पेरिफेरल विजन को नुकसान

आंख के कैंसर का डायग्नोस

आंख में कैंसर के डायग्नोस के लिए आपका डॉक्टर लक्षणों की जांच कर सकता है। इसके अलावा आंख के मूव करने पर उसके विजन की जांच भी कर सकता है। इसके लिए डॉक्टर रोशनी और मैगनीफाइंग लेंस का भी इस्तेमाल कर सकता है। शंका की स्थिति में डॉक्टर अल्ट्रासाउंड की प्रोसेस या एमआरआई कराने की प्रोसेस कराने की भी सलाह दे सकता है। इसके अलावा बायोप्सी के द्वारा भी आंख में कैंसर का पता लगाया जाता है। बायोप्सी में डॉक्टर आंख के ट्यूमर के नमूने को लेकर जांच कर सकता है।

आंख में कैंसर या आई कैंसर का इलाज

आंख में कैंसर के इलाज के लिए सर्जरी

अगर ट्यूमर छोटा है और तेजी से नहीं बढ़ रहा है और साथ ही ज्यादा परेशानी का कारण नहीं बन रहा है, तो डॉक्टर पहले इसकी जांच करेगा। अगर यह ट्यूमर 10 एमएम से बड़ा 3 एमएम लंबा हो चुका है, तो ऐसे में इसे निकालने के लिए सर्जरी की जरूरत हो सकती है। इस सर्जरी के दौरान आंख में फैले हुए कैंसर वाले हिस्से को निकाला भी जा सकता है। 

आई कैंसर:  रैडिएशन

रैडिएशन का भी इस्तेमाल आंख में कैंसर के ट्यूमर को निकालने के लिए किया जा सकता है। इसके लिए डॉक्टर हाई बीम एनर्जी ( जो कि आम तौर पर एक एक्स रे होती है) का भी इस्तेमाल कर सकता है। इस तरह बिना सर्जरी के भी कैंसर का इलाज किया जा सकता है। लेकिन साथ ही इस तकनीक के इस्तेमाल से कुछ हेल्दीसेल्स को भी नुकसान पहुंच सकता है। इसके अलावा इसके अन्य साइड इफेक्ट्स में आंखों का ड्रायनेस और धुंधला दिखने की समस्या भी हो सकती है।

आंख में कैंसर के इलाज के लिए लेजर

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Guide to Eye Cancers  –  https://iovs.arvojournals.org/article.aspx?articleid=2126007– accessed on 18/12/2019

Eye melanoma – https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/eye-melanoma/symptoms-causes/syc-20372371 – accessed on 18/12/2019

Eye Cancer – https://medlineplus.gov/eyecancer.html#cat_92 – accessed on 18/12/2019

Mysterious Clusters of Eye Cancer in the South Baffles Experts – https://www.nhs.uk/conditions/eye-cancer/ – accessed on 18/12/2019

What to know about eye melanoma – https://www.medicalnewstoday.com/articles/183858.php – accessed on 18/12/2019

Current Version

20/07/2020

Sunil Kumar द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Manjari Khare


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समीक्षा की गई डॉ. प्रणाली पाटील द्वारा · फार्मेसी · Hello Swasthya · । लिखा गया Sunil Kumar द्वारा। अपडेट किया गया 20/07/2020।

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