आज के समय में हायर एज्युकेशन पर आने वाला महंगा खर्च हर पेरेंट्स के लिए आसान नहीं होता है। इसके लिए पहले से ही फाइनेंशियल प्लानिंग जरूरी है। बच्चों की एज्युकेशन फाइनेंशियल प्लानिंग के बारे में मैक्स पॉलिसी के मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव विनय सिंह ने हैलो स्वास्थ्य को बताया, ” वैसे तो आज के पेरेंट्स स्मार्ट हैं, इसलिए वे बच्चे की पढ़ाई के लिए पहले से ही फाइनेंशियल प्लानिंग और उसके लिए इन्वेस्टमेंट शुरू कर देते हैं। लेकिन, कई पेरेंट्स प्लानिंग के दौरान ऐसी गलतियां कर देते हैं, जिसके कारण जब बच्चे की हायर एज्युकेशन का समय आता है और उस दौरान जितने अमाउंट की जरूरत होती है, वे पूरी नहीं हो पाती है। इसलिए प्लानिंग के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, जैसे कि
फाइनेंशियल प्लानिंग में होने वाली गलतियां :
1. लेट फाइनेंशियल प्लानिंग शुरू करना :
अधिकतर पेरेंट्स को बच्चों की हायर एज्युकेशन में आने वाले खर्च का अनुमान नहीं होता है। इनके अलावा, कुछ पेरेंट्स ये सोचते हैं कि वे वर्तमान समय की सभी जिम्मेदारियों को निभा लें, फिर कुछ समय बाद से प्लानिंग शुरू करेंगे, जोकि संभव नहीं हो पाता है। क्योंकि, भविष्य में जिम्मेदारियां और खर्च बढ़ते हैं, घटते नहीं हैं।
फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए क्या करें
बच्चों के हायर एज्युकेशन के लिए फाइनेंशियल गोल अचीव करने का सबसे आइडियल समय बच्चे के जन्म का समय होता है। जब बच्चा पैदा हो, तभी से उसके नाम पर बचत शुरू कर दें, क्योंकि समय जितना लंबा होगा, बचत राशि उतनी छोटी होगी। छोटा अमाउंट बचत करते समय आपके अन्य खर्चों पर ज्यादा फर्क भी नहीं पड़ेगा।
और पढ़ें: जानें पेरेंट्स टीनएजर्स के वीयर्ड सवालों को कैसे करें हैंडल
2. फाइनेंशियल प्लानिंग : एज्युकेशन कॉस्ट का कम अनुमान लगाना
बच्चों के शिक्षा के लिए जब भी फाइनेंशियल प्लानिंग की जाती है, तो उस गोल के लिए रकम का अंदाजा लगाने में अक्सर कुछ पेरेंट्स से गलती हो जाती है। माता-पिता वर्तमान फीस से बच्चों के शिक्षा पर होने वाले खर्चों का अनुमान लगा बैठते हैं, जोकि सही नहीं होता है।
फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए क्या करें
बच्चों के एज्युकेशन कॉस्ट में सिर्फ कॉलेज फीस ही शामिल नहीं होनी चाहिए, बल्कि बच्चे के रहने आदि के खर्चों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। उसके बाद, ये देखें कि जब बच्चा उच्च शिक्षा के लायक हो जाएगा, तब आपको कितने रुपये की जरूरत होगी।
3. रिस्क कवर न करना
अगर आप बच्चों की शिक्षा के लिए मंथली इन्वेस्टमेंट या सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के जरिये पैसा जमा कर रहे हैं, तो डेथ या दुर्घटना के चलते इसके रुकने का जोखिम रहता है। लेकिन, अक्सर लोग इस पहलू पर ध्यान नहीं देते हैं। जिसके कारण बहुत कम फंड जमा होता है और वे एज्युकेशन फाइनेंशियल प्लानिंग मिस्टेक कर बैठते हैं।
फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए क्या करें
हमेशा कोशिश करें कि एज्युकेशन की कॉस्ट आपके लाइफ इंश्योरेंस कवर में भी शामिल हो। इसमें डेथ होने पर लाइफ कवर के तौर पर मिलने वाले अमाउंट से बच्चे की पढ़ाई चलती रहेगी।
और पढ़ें: जानें पॉजिटिव पेरेंटिंग के कुछ खास टिप्स
4. रिटायरमेंट से समझौता
अगर बच्चे की महंगी शिक्षा की वजह से आपकी आर्थिक स्थिति खतरे में पड़ती है, तो इसमें समझदारी नहीं है। कई बार लोग समाज में बड़ा दिखने के लिए अपनी आर्थिक क्षमता से ज्यादा करने लगते हैं।
फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए क्या करें
ऐसे में उन एज्युकेशन ऑप्शन की तरफ ध्यान दें, जिसमें कम खर्च हो। बच्चे की पढ़ाई से पहले आपकी आर्थिक निर्भरता जरूरी है।
और पढ़ें: बच्चे की हाइट बढ़ाने के लिए आसान उपाय
5.इन्वेस्टमेंट के लिए सही ऑप्शन का चुनाव न कर पाना
अक्सर लोग इन्वेस्टमेंट की अवधि और अनुमानित रिटर्न को लेकर गलती करते हैं। उदाहरण के लिए, इक्विटी म्यूचुअल फंड में तभी पैसा लगाना चाहिए, जब फाइनेंशियल गोल पांच साल या उससे अधिक हो। बच्चों की शिक्षा के लिए म्यूचुअल फंड्स, फिक्स्ड डिपॉजिट, रियल एस्टेट या स्पेशलाइज्ड चिल्ड्रन एज्युकेशन प्लान से भी फाइनेंशियल गोल को पाया जा सकता है। इसके लिए, सबसे जरूरी बात है कि इनमें इनवेस्ट करना और उन्हें अच्छी तरह से समझ पाना, ताकि आपको फाइनेंशियल गोल पूरा करने के लिए जरूरी अमाउंट मिल सके।
और पढ़ें: ये गलत फूड कॉम्बिनेशन बच्चे की सेहत पर पड़ सकते हैं भारी
फाइनेंशियल प्लानिंग : कैसे करें निवेश की शुरुआत?
सबसे पहले आप बच्चे को भविष्य में जिस पढ़ाई के लिए भेजना चाहते हैं, उसके मौजूदा खर्च का अनुमान लगाएं। इसके बाद सालाना महंगाई की दर 10 फीसदी मान लें। फिर बच्चा जितने साल बाद उस कोर्स के लिए पढ़ने जा सकता है उसका हिसाब लगायें। मसलन, IIT दिल्ली से इंजीनियरिंग करने की सालाना फीस इस समय तीन लाख रुपये है। इसमें कैंपस में रहने का खर्च, हॉस्टल की फीस, मेस चार्ज आदि शामिल हैं। इस हिसाब से चार साल की फीस 12 लाख रुपये है। अगर आप 15 साल बाद इस खर्च को देखें तो यह 50 लाख रुपये आएगा। इसी तरह अगर इस समय मेडिकल की पढ़ाई का खर्च 20 लाख रुपये है तो 15 साल बाद आपको इस कोर्स के लिए 83.5 लाख रुपये की जरूरत पड़ेगी। अगर आप सही गणना कर सके तो इसके बाद आपको यह तय करने की जरूरत है कि आप निवेश के किस विकल्प में इतना रिटर्न कमा सकेंगे जिससे कि कम से कम निवेश में आप इस रकम को पूरा कर सकें। यह ध्यान रखें कि आप जितनी जल्दी निवेश की शुरुआत करेंगे, आपको फंड जुटाने में उतनी ही सुविधा होगी।
फाइनेंशियल प्लानिंग : कहां करें निवेश?
आप फंड जुटा पायेंगे या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने निवेश के लिए किन विकल्पों को चुना है। ग्रोथ या डिफेंसिव, ये दोनों निवेश करने के मुख्य तरीके हैं। आम तौर पर निवेश की लंबी अवधि के लिए वित्तीय सलाहकार ग्रोथ ऑप्शन में इन्वेस्ट करने की सलाह देते हैं।इनमें शेयर, इक्विटी म्यूचुअल फंड और इस जैसे विकल्प शामिल हैं। फिक्स्ड डिपाजिट (FD), PPF या EPF जैसे निवेश डिफेंसिव कहे जाते हैं। इनमें आपकी पूंजी तो सुरक्षित रहती है, लेकिन आपको मनमाफिक रिटर्न नहीं मिल पाता है. कई बार तो निवेश के इन विकल्पों से आपको महंगाई की तुलना में भी कम रिटर्न मिलता है।
और पढ़ें: बच्चों के भूख न लगने से हैं परेशान, तो अपनाएं यह 7 उपाय
और किन खर्चों पर देना चाहिए ध्यान?
अगर आप बच्चे के उच्च शिक्षा के लिए निवेश कर रहे हैं तो आपको कोर्स की फीस के अलावा किताब, आने-जाने, कोचिंग आदि के खर्च को भी इसमें शामिल करने की जरूरत है। कुछ मामलों में तो कोचिंग का खर्च कोर्स की फीस से अधिक हो सकता है। निवेश के विकल्प बच्चे की उम्र के हिसाब से तय किया जाना चाहिए। अगर बच्चा इस समय स्कूल में जाने की तैयारियों में जुटा है तो आप निवेश के लिए एग्रेसिव प्लान बना सकते हैं। अगर आपका बच्चा दसवीं में पढ़ रहा है तो आपको जोखिम वाला निवेश विकल्प नहीं चुनना चाहिए।
[embed-health-tool-vaccination-tool]