स्पीच-लैंग्वेज डिसऑर्डर का इलाज है स्पीच-लैंग्वेज थेरिपी। जिसे स्पीच-लैंग्वेज थेरेपिस्ट ही करता है। बच्चे को लेकर स्पीच-लैंग्वेज थेरेपिस्ट के पास जाना होता है। वह दवाओं के साथ बच्चे को एक्सरसाइज के साथ बोलना सीखाता है।
स्पीच-लैंग्वेज थेरिपी कैसे होती है? (Speech-Language Therapy)
इसे स्पीच-लैंग्वेज थेरेपिस्ट ही करता है। सबसे पहले थेरेपिस्ट बच्चे को देखता है और समझता है कि वास्तव में बच्चे को किस तरह का डिसऑर्डर है। इसी के आधार पर थेरेपिस्ट तय करता है कि बच्चे को किस तरह की एक्सरसाइज करानी है। बच्चे की कमजोरी को थेरेपिस्ट समझेगा और उसे उसके हिसाब से ट्रीटमेंट देगा। इस थेरेपी में थेरेपिस्ट बच्चे के फेफड़े और जीभ को मजबूत कराने वाली एक्सरसाइज कराता है। जैसे कि सीटी बजाना, जीभ घुमाना, खाना निगलना सीखाना, कई तरह के शब्द बुलवाना, जीभ के साथ होठों को घुमा कर बोलना सीखाना आदि कराते हैं।
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स्पीच-लैंग्वेज थेरेपी के फायदे (Speech-Language Therapy benefits)
- स्पीच-लैंग्वेज थेरिपी से बच्चे सही तरीके से बोलना सीख जाते हैं।
- इससे बच्चे में आत्मविश्वास आ जाता है और वह ज्यादा से ज्यादा बोलना पसंद करने लगता है।
- जिन बच्चों को भाषा की परेशानी है, स्पीच-लैंग्वेज थेरिपी के बाद सामाजिक, भावनात्मक स्तर पर मजबूत होते हैं। साथ ही खुद के लोगों के बराबर समझते हैं।
- जिन बच्चों को बोलने के साथ सुनने की भी समस्या होती है, उन्हें भी लाभ मिलता है। वे बच्चे किताबें पढ़ना और अलग-अलग ध्वनियों को सुनना सीख जाते हैं।
- अगर बच्चे में स्पीच-लैंग्वेज की समस्या है तो उसका इलाज कम उम्र से कराने पर जल्दी ही फायदा होता है।