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जानिए बातचीत करने के रोचक तथ्य के बारे में

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 13/10/2020

    जानिए बातचीत करने के रोचक तथ्य के बारे में

    बातचीत के बारे में अक्सर कहते हैं न कि बात करने से ही बात बनती है। दरअसल, कम्युनिकेशन हमें सोचने–विचारने, सीखने और दुनिया को समझने में हमारी सहायता करता है। दूसरी ओर अगर बात करें रिलेशनशिप की तो एक अच्छे रिश्ते में भी इंटरैक्शन की अहमियत होती है। कामयाब रिश्ते में बातचीत का होना बहुत महत्वपूर्ण होता है। कई बार देखा गया है कि खराब कम्युनिकेशन (communication) के चलते कई रिलेशनशिप बिगड़ भी जाते हैं। आज हम बातचीत करने के रोचक तथ्य और फैक्ट्स के बारे में जानेंगे इस लेख में-

    बातचीत करने के रोचक तथ्य से जुड़े फैक्ट्स और मजेदार रोचक तथ्य

    • डिनर करते समय बात करने के डर को डिपनोफोबिया (Diphnophobia) कहा जाता है। 
    • दुनिया भर में लगभग पांच करोड़ (50 मिलियन) लोग हकलाने की समस्या से पीड़ित हैं। बातचीत के बारे में यह फैक्ट काफी शॉकिंग है। 
    • लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के साइकोलॉजिस्ट निकोलस एमलर के अनुसार 80% से अधिक बातचीत दूसरों पर आधारित होती है। दूसरे शब्दों में बातचीत के बारे में कहा जाए तो कन्वर्सेशन (conversation) के दौरान हम 80 प्रतिशत गपशप (gossip) करते हैं। 

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    बातचीत करने के रोचक तथ्य : कुछ लोग सिर्फ खुद के बारे में बातचीत करते हैं

    • बातचीत के बारे में ही एक रिसर्च से पता चलता है कि अधिकांश व्यक्ति अपनी बातचीत का 60% समय खुद के बारे में बात करने में व्यतीत करते हैं। सोशल मीडिया पर बातचीत के दौरान यह संख्या 80% तक बढ़ जाती है।
    • बातचीत के बारे में एक बहुत पुराना फैक्ट है। बीसवीं सदी के एथ्नॉग्राफर (मानव सांस्कृतिक संगठन और व्यवहार में रुचि रखने वाले वैज्ञानिक) ने “वार्तालाप विश्लेषण (communication analysis)’ के द्वारा विभिन्न संस्कृतियों (cultures) को जानने के लिए हर रोज स्पीच की रिकॉर्डिंग और विश्लेषण करते थे। 

    और पढ़ें : बच्चे को कैसे दें स्पीच-लैंग्वेज थेरिपी?

    बातचीत करने के रोचक तथ्य और कुछ मजेदार रोचक तथ्य

    • नींद में बात करने को सोमनिलोकी (somniloquy) यानी निद्रालाप कहा जाता है।
    • दुनियाभर में लगभग 25% लोग ग्लोसोफोबिया (glossophobia) से पीड़ित हैं, मतलब इन लोगों को पब्लिक स्पीकिंग (public speaking) से डर लगता है।
    • मनोवैज्ञानिक अल्बर्ट मेहरबियन (Albert Mehrabian) ने बातचीत के बारे में तर्क दिया कि वास्तव में बोलना, संचार (communication) का ही एक छोटा अनुपात है। उन्होंने कहा कि संचार में लगभग 55% बॉडी लैंग्वेज, 38% आवाज (tone of voice) और सात प्रतिशत शब्दों का उपयोग किया जाता है। क्या बातचीत के बारे में यह फैक्ट जानते थे आप?
    •  इजरायल के एक अलग शहर में बहरेपन की उच्च दर है। इसके लिए बातचीत करने के लिए वहां के लोगों ने अलग स्वयं की सांकेतिक भाषा (sign language) बनाई है। बातचीत के बारे में यह फैक्ट काफी ही काबिल-ए-तारीफ है। 

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    बातचीत करने के रोचक तथ्य : बातचीत संबंधी बीमारियां भी जान लें

    • कुछ लोगों को फोन पर बात करने में तनाव या चिंता का अनुभव होता है। इसे फोन फोबिया (phone phobia) कहते हैं। 
    • चाइल्डहुड एप्रेक्सिया (Childhood apraxia) बचपन में होने वाला स्पीच संबंधी विकार है। इसमें संदेश मस्तिष्क से वोकल मांसपेशियों (vocal muscles) तक सही से प्रसारित नहीं होता है। इस डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों को आमतौर पर स्पीच थेरेपी की मदद लेनी चाहिए। 
    • बातचीत के बारे में यह तो सुना होगा कि मुझे बोलने में घबराहट होती है। साइंस की भाषा में इसे सलेक्टिव म्यूटिज्म (selective mutism) कहते हैंयह एक तरह की सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर (social anxiety disorder) है जो ज्यादातर बच्चों में होता है। इसमें बच्चे विशेष जगहों पर बोलने में घबराते हैं।
    • डिमेंशिया (dementia) से ग्रस्त व्यक्ति कई बार बोलते-बोलते सही शब्द नहीं ढूंढ पाते हैं। 

    और पढ़ें : प्यार और मौत से जुड़े इंटरेस्टिंग फैक्ट्स

    बातचीत करने के रोचक तथ्य जो जुड़े हैं बच्चों से

    बातचीत के बारे में अक्सर कहा जाता है कि जो बच्चे स्पीच डिसऑर्डर (speech disorder) या लैंग्वेज प्रोसेसिंग डिसऑर्डर (language processing disorder) से ग्रसित होते हैं उनको कोई दूसरी भाषा सीखने में कठिनाई होती है। जब कि ऐसा नहीं है। हां, उनको दूसरी भाषा सीखने और सेकंड लैंग्वेज में बातचीत करने में थोड़ी कठिनाई जरूर हो सकती है। लेकिन, बच्चा दूसरी भाषा सीख अवश्य जाएगा।

    बातचीत के बारे में बच्चों से जुड़ा एक मिथ यह भी है कि शिशुओं और छोटे बच्चों को एक से अधिक भाषाओं से साथ एक्सपोज करने से उन्हें बातचीत करने या भाषा के विकास में देरी हो सकती है।

    जब कि बातचीत के बारे में फैक्ट यह है कि दूसरे बच्चों की तरह ही ज्यादातर द्विभाषी (bilingual) बच्चे भी एक साल की उम्र तक (मम्मी, दादा आदि) एक शब्द बोलना शुरू कर देते हैं। दो साल के होते-होते वे दो शब्दों को (जैसे-मेरी बॉल, नो जूस आदि) मिलाकर बोलने लगते हैं। ऐसा ही उन शिशुओं के साथ भी होता है जो एक भाषा बोलते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि बाइलिंगुअल (bilingual) बच्चा शायद एक भाषा के शब्द को दूसरी लैंग्वेज के साथ मिक्स कर सकता है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि बाइलिंगुअल बच्चा एबनॉर्मल है या उसके विकास में देरी हो रही है।

    बातचीत के बारे में कहा जाता है कि बच्चों को कम उम्र में ही दूसरी भाषा को सीखा दिया जाए तो ही वो धाराप्रवाह दूसरी लैंग्वेज बोल सकते हैं।

    हालांकि, भाषा सीखने के लिए उम्र का शुरूआती समय ही उचित माना जाता है। इस दौरान बुद्धि का विकास तेजी से होता है। लेकिन, इसका यह मतलब नहीं है कि बड़े बच्चे या वयस्क दूसरी भाषा में फ्लुएंट नहीं हो सकते हैं।

    बच्चे से दो भाषा में बातचीत करने से उसे स्पीच या भाषा विकार हो सकता है।

    बातचीत के बारे में कहा जाता है कि यदि किसी द्विभाषी यानी दो भाषाओं में बोलने वाले बच्चे को स्पीच या भाषा की समस्या है, तो वह समस्या दोनों भी भाषाओं में दिखाई देगी। स्पीच या भाषा विकार (speech and language disorder) दो भाषाओं को सीखने की वजह नहीं बन सकता है। बोली या भाषा विकार के लिए द्विभाषिकता (bilingualism) का उपयोग नहीं किया जाता है।

    और पढ़ें : बच्चों का खुद से बात करना है एक अच्छा संकेत, जानें क्या हैं इसके फायदे

    बातचीत कम करते हैं अमेरिकी

    • बातचीत के बारे में एक फैक्ट है कि ब्रिटिश लोग मौसम के बारे में बात करने में काफी समय बिताते हैं। 
    • टेक्स्ट मैसेजिंग के आने के बाद, लोग फोन पर कम बात करने लगे हैं। 2015 के एक अध्ययन में पाया गया कि औसत अमेरिकी लोग एक फोन कॉल की तुलना में कई बार मैसेज को भेजना या रिसीव करना पसंद करते हैं।

    बातचीत करना मानव विकास का एक हिस्सा है। इंसान भाषा का इस्तेमाल करके खुद को डेवलप करता है। इसलिए, बातचीत के बारे में कहा जाता है कि सीखने के लिए बात करना जरूरी है फिर चाहे वो बच्चा हो या कोई बड़ा-बुजुर्ग इंसान। तो कैसे लगे आपको बातचीत के बारे में ये फैक्ट्स? और भी मजेदार फैक्ट्स के लिए पढ़ते रहिए “हैलो स्वास्थ्य’।

    डिस्क्लेमर

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    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

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