बच्चे को बड़ों का सम्मान करना सिखाएं
हर मां-बाप अपने बच्चों की परवरिश में बच्चों को बड़ों की इज्जत और सम्मान करना सिखाते हैं। लेकिन, क्या कभी सोचा कि बच्चे को हम बड़ों की इज्जत करना सिखा दिए, पर क्या बड़ों ने बच्चे की इज्जत करनी सीखी? शायद नहीं। अक्सर हम भूल जाते हैं कि प्यार के बदले प्यार और इज्जत के बदले इज्जत मिलती है। इज्जत देना उम्र की नहीं बल्कि आपसी सामंज्य का मामला है। कभी-कभी बड़े बच्चे से दुर्व्यवहार करते हैं तो उनमें एक तरह की चिढ़ पैदा होती है। जिससे बच्चा नकारात्मक होता चला जाता है। फिर वह जब बड़ों की इज्जत करना छोड़ देता है तो हमें लगता है कि बच्चा बिगड़ रहा है, बच्चाें की परवरिश खराब है। जबकि उसकी वजह हम खुद होते हैं। पहले आप बच्चे का सम्मान करें फिर वह खुद ब खुद सम्मान करना सीख जाएगा। बच्चाें की परवरिश यह तरीका अभिभावकों को बदलने की जरुरत है।
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सेक्स के बारे में बात करना गलत नहीं
बच्चाें की परवरिश की लिए मां-बाप क्या कुछ नहीं करते हैं लेकिन सेक्स एक ऐसा विषय है जिसके बारे में पेरेंट्स बच्चे से कभी नहीं बात करना चाहते हैं। बड़ों को जब बच्चों को सेक्स से जुड़ी बातें समझानी होती है तो वे घबरा जाते हैं। आज भी कई लोगों की पुरानी सोच है कि बच्चे को सेक्स की जानकारी जल्दी होने से वे बिगड़ जाते हैं। लेकिन, बच्चों की परवरिश अच्छी हो वे किसी गलत रस्ते पर न जाए इसके लिए बच्चों के साथ सेक्स के बारे में खुल के बात करें। इससे बच्चा गलत जानकारी पाने से बच जाता है। एक रिसर्च के अनुसार जो बच्चे अपने पेरेंट्स से सेक्स पर खुलकर बात करते हैं, उनके सेक्सुअल एक्टिविटी (sexual activity) में लिप्त होने की संभावना बहुत कम होती है।
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जीवन की सच्चाइयों को बच्चे से छुपाना गलत
अक्सर बच्चों की परवरिश के दौरान हम बच्चों से जीवन की कई सारी सच्चाई छुपाते हैं। जैसे किसी बीमारी के बारे में या किसी की मृत्यु के बारे में हम बच्चे से हमेशा झूठ बोलते हैं। 5 साल की उम्र तक बच्चे आपकी कहानी पर बच्चे यकीन कर लेते हैं लेकिन, उसके बाद वे समझने लगते हैं कि आप उनसे कुछ छुपा रहे है। बच्चों से जीवन के सभी उतार चढ़ाव के बारे में बात करें। अगर किसी को कोई गंभीर बीमारी है तो बच्चे को बताएं। किसी की मौत की सूचना भी बच्चे को दें। ये ना सोचे कि बच्चा इससे दुखी होगा। बल्कि बच्चाें की परवरिश के दौरान उसे बताने के बाद जीवन-मरण के चक्र को भी समझाएं। इससे वह भावनात्मक रूप से मजबूत बनेगा। इससे बच्चों की परवरिश बेहतर तरीके से होगी।
बच्चाें की परवरिश के दौरान माता-पिता को पॉजिटिव पेरेंटिंग स्टाइल रखना चाहिए। इससे आप बच्चे के पैरेंट्स ही नहीं बल्कि उसके फ्रेंड बन जाएंगे। साथ ही बच्चा आपसे किसी भी बात को बताने में झिझकेगा नहीं। आपको भी समझना होगा कि अब वक्त बदल गया है और खुद को अपडेट करने की जरूरत है। उम्मीद है ऊपर बताए बच्चों की परवरिश संबंधित टिप्स आपके लिए मददगार साबित होंगे।