क्या है एडीएचडी (ADHD)?
एडीएचडी एक जटिल मस्तिष्क विकार है। कुछ लोग इसे बीमारी मानते हैं, जो गलत है। न्यूरोसाइंस, ब्रेन इमेजिंग और क्लिनिकल रिसर्च के अनुसार एडीएचडी न तो व्यवहार विकार है, न सीखने की विक्लांगता और न ही मानसिक बीमारी है। विशेषज्ञों की मानें तो इसे ‘अटेंशन डेफिसिट (Attention deficit)’ की जगह ‘अटेंशन डीरेग्यूलैशन (Attention deregulation)’ कहना ज्यादा सही रहेगा क्योंकि एडीएचडी वाले बच्चों में ध्यान पर्याप्त से अधिक होता है। हालांकि वे इसका उपयोग सही समय पर और सही दिशा में नहीं कर पाते। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) और यूनेस्को की रिपोर्ट की मानें तो, बायोलॉजिकल होने की वजह से इंडिया में 3 में से 1 लड़का और 4 में से एक लड़की बचपन से हाइपरएक्टिव (Hyperactive) होते हैं। एडीएचडी अक्सर बचपन से शुरू होता है और बड़ी उम्र तक रह सकता है।
क्या है वजह?
आजकल छोटे-छोटे बच्चों पर पढ़ाई से लेकर कॉम्पिटिशन तक हर जगह आगे निकलने का प्रेशर डाला जाता है। इससे उनका मानसिक व शारीरिक विकास प्रभावित होता है। यही नहीं सिंगल फैमिली की वजह से भी बच्चे अकेलापन महसूस करते हैं। इन सबसे भी वह हाइपरएक्टिव (Hyperactive) हो जाते हैं।
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हाइपरएक्टिव है बच्चा तो, ऐसे रखें ध्यान
मुंबई स्थित बच्चों के चिकित्सक डॉ गौतम सपरे का कहना है कि यह बीमारी नहीं है, अगर पैरेंट्स कुछ बातों का ध्यान रखें और सावधानी बरतें तो, बच्चे की इस समस्या को आराम से खत्म किया जा सकता है और हाइपरएक्टिव बच्चा भी ठीक तरह से व्यवहार कर सकता है।
- बच्चे की बात ठीक से सुनें : एडीएचडी से जूझ रहे बच्चों की बात को ठीक से सुनना बहुत जरूरी होता है। कई बार ऐसा होता है कि वह आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए कुछ कहना चाहते हैं, पर जब उन्हें अच्छा रेस्पॉन्स नहीं मिलता तो, वह हाइपर हो जाते हैं।
- खेलकूद में व्यस्त रखें : अगर आपका बच्चा भी इस समस्या से पीड़ित है तो, आपको उसे खेलकूद व आउटडोर एक्टिविटी में ज्यादा से ज्यादा व्यस्त रखना चाहिए। आप बच्चे को डांस या आर्ट क्लास में भी भेज सकते हैं। इससे उनके शारीरिक व मानसिक विकास के साथ-साथ सामाजिक व्यवहार का भी विकास होगा।
- बच्चे को अधिक समय दें : आपका बच्चा अगर आपसे ठीक से व्यवहार नहीं कर रहा है तो, आपको उसे अधिक से अधिक समय देने की जरूरत है। उसके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं। आपके साथ व प्यार से वह बेहतर महसूस करेगा।
- दूसरों के सामने डांटने से बचें : अगर आपका बच्चा हाइपरएक्टिव (Hyperactive child) है तो, उसकी हरकतों को लेकर आप कभी भी उसे दूसरों के सामने न डांटें। इससे उसकी मानसिकता, आत्मविश्वास और व्यवहार प्रभावित होता है। वह और भी हाइपरएक्टिव हो जाता है।
- बच्चे को दें ज्यादा प्यार : ऐसे बच्चों को अगर ज्यादा प्यार दिया जाए तो, वह ठीक हो जाते हैं। आप उन्हें प्यार देंगे तो, वह शांत हो जाएंगे।
- गिफ्ट दें : आप अपने बच्चे का मन बहलाने के लिए उसे कुछ नई चीज खरीदकर गिफ्ट कर सकते हैं। गिफ्ट देखकर वह खुश होगा और ठीक व्यवहार करेगा। कोशिश करें कि ऐसा गिफ्ट दें जो उसके विकास के लिए फायदेमंद हो।
- हर गतिविधि पर नजर जरूरी : एडीएचडी से पीड़ित बच्चों की हर गतिविधियों पर पैनी नजर रखने की जरूरत होती है। उसके स्कूल में टीचर से फीडबैक लेते रहें ताकि, उसके व्यवहार में आ रहे अंतर को आप समझ सकें। व्यवहार समझने से आप उचित निर्णय ले सकेंगे।
कहते हैं ना बच्चे को जन्म देने से मुश्किल काम बच्चे की सही परवरिश करना है। आजकल की भाग—दौड़ भरी जिंदगी में हम बस इस परवरिश में कई जगह मात खा जाते हैं। बच्चा बात नहीं मान रहा, बच्चा हाइपरएक्टिव हो गया है या चिड़चिड़ा हो गया है, बस यही बात हम हर जगह दोहराते रहते हैं। जरूरत बात को दोहराने की नहीं बल्कि, बच्चे के इस व्यवहार को समझने की है। यही उसके लिए और आपके लिए बेस्ट है।
हाइपरएक्टिव बच्चा: क्या हैं इसके मिथ और फैक्ट्स?
मिथ: सभी बच्चे अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) होते हैं।
फैक्ट: कुछ बच्चे ADHD के कारण हाइपरएक्टिव होते हैं लेकिन, सभी बच्चे इस डिसऑर्डर से पीड़ित नहीं होते हैं। सच ये भी है की ADHD वाले बच्चे हाइपरएक्टिव होने के साथ-साथ सतर्क भी रहते हैं।