रोहन की उम्र अभी महज छह साल है। एक दिन उसने अपने पेरेंट्स को अपने बारे में बात करते हुए सुना। उसके बाद से रोहन बहुत गुमसुम रहने लगा। रोहन के पापा उसकी मम्मी से कह रहे थे कि “हमारे बेटे के मार्क्स शर्मा जी के बेटे से कम आते हैं। उनका बेटा पढ़ने में कितना अच्छा है। हमने सोचा था कि रोहन भी पढ़ने-लिखने में अच्छा होगा। लेकिन, हमारा बेटा हमारी उम्मीदों (Expectations) पर खरा नहीं उतर रहा है।“ क्या आप भी अपने बच्चों से ज्यादा की उम्मीद (Expectation from child) करते हैं। जरा सोचें, कहीं आप गलत तो नहीं कर रहे हैं! पेरेंट्स अपने बच्चों से ज्यादा की उम्मीद (Expectation from child) लगा लेते हैं। फिर जब बच्चा उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता है तो उन्हें तकलीफ होती है। दूसरी ओर बच्चे का कॉन्फिडेंस भी कम होता है। “हैलो स्वास्थ्य” के इस आर्टिकल में पेरेंट्स के लिए कुछ टिप्स दिए गए हैं, जिससे वे अपने बच्चों को और बेहतर समझ सकते हैं।