डब्लूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 13 से 15 साल की उम्र के हर चार किशोरों में से एक डिप्रेशन का शिकार होता है। वहीं, 10 दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में भारत में आत्महत्या दर सबसे अधिक है। यह रिपोर्ट आगे कहती है कि 2012 में भारत में 15-29 उम्र वर्ग के प्रति एक लाख व्यक्ति पर आत्महत्या दर 35.5 थी। संगठन का यह भी कहना है कि 2020 तक प्री-मैच्योर डेथ (pre-mature death) का सबसे बड़ा कारण डिप्रेशन होगा। हालांकि, बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण को जल्द से जल्द पकड़कर उसका इलाज किया जा सकता है।