लैक्टेज (Lactase)- लैक्टेज, वह है जो डेयरी के उत्पादकों या दूध से बनी चीजों में शुगर के रूप में मिलता है। लैक्टेज एंजाइम इनको तोड़कर ग्लूकोज और गैलेक्टोज में बदल देता है। एंट्रोसाइट्स नाम की कोशिकाओं द्वारा लैक्टेज का उत्पादन होता है। जो लैक्टेज एब्जॉर्ब नहीं होता, उसके कारण गैस या पेट में असुविधा उत्पन्न हो सकती है।
लाइपेज (Lipase)- लाइपेज का काम है फैट्स को ब्रेक करके फैटी एसिड्स को ग्लिसरॉल में बदलना। यह बहुत ही कम मात्रा में मुंह और पेट से निकलता है, लेकिन पैंक्रियाज से बहुत ज्यादा मात्रा में निकलता है।
माल्टेज (Maltase)- माल्टेज स्मॉल इंटेस्टाइन से निकलता है। यह माल्टोज (maltose ) को ग्लूकोज में ब्रेक करता है और जिसका शरीर एनर्जी के लिए इस्तेमाल करता है। पाचन क्रिया के दौरान स्ट्रार्च आंशिक रूप से एमाइलेसेस के कारण माल्टोज में बदल जाता है। जब माल्टेज, माल्टोज को ग्लूकोज में बदलता है, तब उसका इस्तेमाल या तो तुरन्त हो जाता है या बाद में इस्तेमाल होने के लिए ग्लाइकोजन के रूप में लिवर में स्टोर हो जाता है।
प्रोटीजेस (Proteases)- प्रोटीजेस को पेप्टिडेज या प्रोटियोलिटिक एंजाइम भी कहते हैं। यह डाइजेस्टिव एंजाइम, प्रोटीन को ब्रेक करके एमिनो एसिड में बदल देता है। इसके अलावा यह शरीर की दूसरी प्रक्रियाओं में भी भाग लेता है, जैसे- कोशिका का विभाजन (cell division), रक्त का थक्का (blood clotting) और इम्युन फंक्शन आदि।
सुक्रेज (Sucrase)- सुक्रेज स्मॉल इंटेस्टाइन से निकलता है। सुक्रेज यहां सुक्रोज को फ्रुक्टोज (फ्रक्टोज) और ग्लूकोज में ब्रेक करता है। इसी शुगर को शरीर एब्जॉर्ब कर पाता है।
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अब सवाल आता है कि क्यों एंजाइम डाइजेस्शन के लिए जरूरी होता है। क्या एंजाइम को कोई फैक्टर प्रभावित भी कर सकता है, जिससे उसके काम में बाधा उत्पन्न हो सकती है। इन प्रश्नों को आगे विस्तार से जान लेते हैं-
एंजाइम डाइजेस्शन के लिए क्यों है जरूरी?
जो भी आप खाते हैं, एंजाइम की मदद से उसका पाचन अच्छी तरह से हो जाता है। पाचन क्रिया के बेहतर होने के कारण शरीर भी स्वस्थ रहता है। यह शरीर के दूसरे केमिकल्स, जैसे कि पेट के एसिड और बाइल के साथ काम करके भोजन के मॉलिक्युल को ब्रेक करके शरीर का फंक्शन बेहतर तरीके से करने में सहायता करता है। उदाहरण के तौर पर, कार्बोहाइड्रेट को एनर्जी में बदलने, प्रोटीन को मसल्स बनाने और ठीक करने के लिए भी किया जाता है।
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एंजाइम को क्या-क्या प्रभावित करता है?
आम तौर पर एंजाइम तब अच्छी तरह से काम करता है, जब शरीर का तापमान नॉर्मल होता है। कहने का मतलब यह है कि जब शरीर का तापमान किसी कारणवश बढ़ता है, या फीवर होता है तो एंजाइम की संरचना टूट जाती है। टेम्परेचर बढ़ने के कारण एंजाइम्स ठीक तरह से काम नहीं कर पाते हैं। यानि शरीर का तापमान नॉर्मल अवस्था में रखने पर ही एंजाइम काम कर पाता है।
अगर पैनक्रियाटाइटिस हेल्थ कंडिशन में पैंक्रियाज में सूजन हो जाती है, तो इसकी वजह से डाइजेस्टिव एंजाइम्स की संख्या और उसके प्रभाव पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा पेट या इंटेस्टाइन का पीएच लेवल भी एंजाइम की गतिविधी पर असर डालता है। इस बात को थोड़ा इस तरह से समझते हैं, पीएच लेवल लो होने का मतलब है, थोड़ा एसिडिक होना। हाई पीएच लेवल का मतलब होता है, एल्कलाइन। यानि एंजाइम ज्यादा एसिडिक और ज्यादा बेसिक वातावरण में काम नहीं कर पाता।
अब बात केमिकल की आती है। यह भी एंजाइम के काम में बाधा उत्पन्न करते हैं। यह एंजाइम के साथ मिलकर केमिकल रिएक्शन करते हैं। शायद आप सोच रहे होंगे कि रासायनिक प्रतिक्रिया की वजह क्या है। कई बार दवाओं के कारण यह घटना घटती है, एंटीबायोटिक्स इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। एंटीबायोटिक्स कुछ एंजाइमों के काम में बाधा उत्पन्न कर कई तरह के बैक्टीरियल इंफेक्शन को फैलने से रोकने में मदद करते हैं।
कई बार कुछ फूड्स एंजाइम्स को काम नहीं करने देते हैं। क्योंकि कुछ विशेष तरह के फूड्स में डाइजेस्टिव एंजाइम्स होते हैं, जो नैचुरल एंजाइम्स के साथ मिलकर काम करने में बाधा देते हैं। उदाहरण के तौर पर कुछ एंजाइम रिच फूड्स शरीर में मौजूद एंजाइम के साथ मिलकर एक्टिविटी को और भी बढ़ा देते हैं। इसके साथ ही आप क्या खाते-पीते हैं, इसके आधार पर आपका स्वस्थ रहना निर्भर करता है, क्योंकि यह एंजाइम कैसे उत्पादित हो रहा है, कैसे स्टोर हो रहा है और कैसे निकल रहा है, इन सब बातों पर निर्भर करता है। इसलिए रोजाना पौष्टिक आहार का सेवन करने से शरीर का एंजाइम लंबे समय तक आपकी सेवा और सुरक्षा करने में मदद करते हैं।