नैचुरल बर्थ के रिस्क फैक्टर क्या हैं? (Risk factor of Natural birth)
नैचुरल बर्थ के दौरान हर पल होने वाली गतिविधि को आप आसानी से महसूस कर सकती हैं। कुछ महिलाओं के लिए ऐसी स्थिति सहनीय तो कुछ महिलाओं के लिए बेहद कठिन हो सकता है। नैचुरल बर्थ के दौरान जेनरल एनेस्थीसिया (General anesthesia) की जरूरत पड़ सकती है। वहीं अगर शिशु नैचुरल बर्थ घर पर होने वाला है, तो इमरजेंसी की स्थिति में परेशानी हो सकती है।
नोट: अगर आप घर पर रहकर ही डिलिवरी के बारे में सोच रहीं हैं, तो यह ध्यान रखें कि अगर किसी तरह की परेशानी होती है, तो उसे कैसे सॉल्व किया जायेगा। अस्पताल में एक नहीं बल्कि कई हेल्थ एक्सपर्ट होते हैं और हर स्थिति से निपटने के लिए डॉ क्टर्स तैयार होते हैं।
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नैचुरल बर्थ के लिए खुद को कैसे तैयार करें? (How to prepare for Natural birth)

पेनलेस डिलिवरी के लिए सबसे पहले इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा पढ़ें। अगर आपकी किसी करीबी या फ्रेंड की डिलिवरी नॉर्मल हुई है, तो उनसे बात करें। वहीं इस बारे में डॉक्टर से बात करें और डॉक्टर जिन महिलाओं को नैचुरल बर्थ से बेबी डिलिवरी करवा चुके हैं उनसे भी बात करें। पेनलेस डिलिवरी (Painless delivery) के बारे में जितना हो सके पढ़ें। नैचुरल बर्थ के फायदे और इमरजेंसी की स्थिति को भी समझें।
नोट: अगर आप नैचुरल बर्थ की प्लानिंग कर रहीं हैं, तो इस बारे में अपने गायनोकोलॉजिस्ट से जरूर पूछें। गायनोकोलॉजिस्ट आपकी हेल्थ कंडिशन (Health Condition) को ध्यान में रखकर इस बारे में बेहतर जानकारी देंगे। हालांकि ऐसा कई बार होता है कि डॉक्टर या गर्भवती महिला पहले से नॉर्मल डिलिवरी (Normal delivery) की प्लानिंग करते हैं, लेकिन डिलिवरी के वक्त कुछ ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है जिससे सिजेरियन डिलिवरी (C-section) या फिर वजायना में कट (Vaginal Cuts) लगाकर ही शिशु का जन्म होता है।
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नैचुरल बर्थ के लिए टिप्स! (Tips for Natural birth)
नैचुरल बर्थ के लिए निम्नलिखित टिप्स फॉलो किये जा सकते हैं। जैसे: