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एमनियोसेंटेसिस टेस्ट से मां और गर्भस्थ शिशु या शिशु के जन्म के बाद क्या खतरा होता है
अब आता है सबसे अहम् सवाल, क्या इस टेस्ट को करना सेफ होता है? वैसे तो इस टेस्ट को करने से संभवत: कोई नुकसान नहीं पहुँचता है। लेकिन बहुत समय ऐसी परिस्थिति आ जाती है जब माँ और शिशु को नुकसान पहुँचने का खतरा बन जाता है।
1-आम तौर पर एमनियोटिक फ्लूइड कुछ दिनों या एक हफ्ते तक वजाइना से निकलता है लेकिन कुछ दिनों के बाद बंद हो जाता है। इससे गर्भ पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
2-गर्भपात होने की संभावना 0.1 से 0.3 प्रतिशत रहता है। रिसर्च से यह पता चलता है कि अगर यह टेस्ट प्रेग्नेंसी के 15 वें हफ्तें मे किया जाता है तो यह खतरा होने का संभावना ज्यादा रहता है।
3-सुई से शिशु को नुकसान भी पहुँच सकता है, क्योंकि सारी एहतियात बरतने के बावजूद सुई देते समय अगर शिशु का हाथ या पैर आ जाता है उसको नुकसान पहुँच सकता है।
4-वैसे तो इस टेस्ट के दौरान खास कोई इंफेक्शन होने का डर नहीं रहता है। लेकिन एमिनो टेस्ट के दौरान यदि आपको यूटेरिन इंफेक्शन, हेपाटाइटिस सी, टोक्सोप्लाज़मोसिस या एचआईवी/ एड्स है तो शिशु तक यह इंफेक्शन होने का खतरा बन सकता है।
अंतिम में यही कह सकते हैं कि शिशु के स्वस्थ और सेहतमंद जन्म लेने के स्वार्थ से एमिनो टेस्ट करवाना चाहिए। इस टेस्ट को करने से अगर शिशु में कोई भी डिस्ऑर्डर नजर आता है तो उसका इलाज करना संभव होता है।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।