शादी के बाद न सिर्फ लड़कियों की जिम्मेदारी बढ़ती है, बल्कि उसके सास-ससुर के रिश्ते की जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं। कई बहुएं बड़ी ही आसानी से अपने सास-ससुर के रिश्ते की जिम्मेदारियां (In laws) संभाल लेती हैं। तो वहीं, कुछ को इस रिश्ते में कई पापड़ भी बेलने पड़ते हैं। वहीं, कुछ सिर्फ पति और बच्चों के साथ अकेले होकर ही रह जाती हैं। आखिर कैसे सास-ससुर के रिश्ते को मां-पिता जैसे बनाया जा सकता है, इस बारे में हैलो स्वास्थ्य ने कुछ शादीशुदा महिलाओं से बात की। कैसे वो अपने सास-ससुर (In laws) का ख्याल रखती हैं, इसके बारे में भी हमने उनसे बात की। उन्होंने अपने एक्सपीरिएंस शेयर करते हुए बताया कि कैसे आप अपने सास-ससुर के साथ एक माता-पिता जैसा रिश्ता बना सकते हैं।
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कैसे रखें सास-ससुर के रिश्ते का ख्याल
मुंबई की श्रुति श्रीधर एक जॉइंट फैमिली (Joint family) की बहू हैं। पेशे से वो एक डॉक्टर हैं। शादी के इतने सालों बाद भी वो बड़ी ही समझदारी के साथ अपने ससुराल और जॉब की जिम्मेदारियों को संभाल रही हैं। कैसे वो इन सबके बीच तालमेल बनाएं हुए हैं, इसके बारे में उन्होंने हैलो स्वास्थ्य के साथ बात की।
1.बात कर, समझें एक-दूसरे के नियम-कानून
श्रुति का कहना है “हर घर के नियम-कानून अलग-अलग हो सकते हैं, जिन्हें जानने के लिए सबसे पहले अपने सास-ससुर से बताएं। अगर कोई नियम आपके घर से बहुत अगल है, तो उसके बारे में भी उन्हें बताएं, ताकि सास-ससुर (In laws) और बहू एक-दूसरे के नियम-कानून को बड़ी जल्दी और आसानी से समझ सकें। इस दौरान, एक बात का ध्यान रखें कि अगर ससुराल का कोई नियम अगर आपके लिए पूरी तरह से नया है, तो बाकी लोगों की तरह आपको भी उस नियम का पालन करना चाहिए।”
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2.अपनी परेशानियों के बारे में बात करें
श्रुति कहती हैं “अब हर कोई हर तरह के काम नहीं करने की क्षमता नहीं रखता है। इसलिए, बहू जो काम नहीं कर पा रही हैं, उसके बारे में उसे अपने सास-ससुर को बताना चाहिए। उस काम को कैसे करना चाहिए, इसे वह अपने सास-ससुर की मदद (In laws help) से सीख सकती हैं। लेकिन, अगर बहू अपनी इस तरह की परेशानियों के बारे में उनसे बात नहीं करेगी, तो दोनों के रिश्तों में एक दूरी आ सकती है, जो धीरे-धीरे बढ़ भी सकती है।”
3.हर झगड़े को आमने-सामने सुलझाएं
श्रुति ने हैलो स्वास्थ्य को बताया “जब भी ससुराल में किसी सदस्य से किस बात पर बहस हो, तो उसे एक-दूसरे के साथ ही सुलझाने का प्रयास करें। इस झगड़े में किसी तीसरे को शामिल न होने दें। तीसरे के शामिल होने पर बात बढ़ सकती है। मान लीजिए कि जैसे ननद या देवर ने आपके सास-ससुर से आपकी कोई चुगली की है, जिसे लेकर आपके सास-ससुर आप से नाराज होते हैं, तो ऐसी स्थिति में ननद और सास-ससुर सभी के साथ उस बात के बारे में बात करनी चाहिए।”
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4.पति की मदद लें सकती हैं
सास-ससुर कैसे हैं और बहू कैसी है, इन दोनों को करीब से सिर्फ पति ही जान सकता है। इसलिए, ससुराल के सदस्यों को जानने के लिए पति की मदद लें। पति के जरिए बहू न सिर्फ लोगों के विचारों के बारे में जान सकती है, बल्कि उनकी पसंद और नापसंद भी बहुत जल्दी समझ सकती हैं।
5.कुछ मामलों में समझदारी से काम लें
श्रुति कहती हैं “हर कोई एक विचार का नहीं हो सकता है। मान लीजिए, सास-ससुर भगवान में एक अटूट विश्वास (Believe) रखते हैं लेकिन, बहू भगवान को सच नहीं मानती, जिसके लिए वे एक-दूसरे पर अपने विचार का दबाव भी नहीं डाल सकते हैं। अगर ऐसी स्थिति आ जाए, तो बहू को समझदारी से काम लेना चाहिए। जरूरी नहीं की बहू हर दिन घर में पूजा-पाठ से जुड़ा काम करे या उसमें शामिल हो। लेकिन, जब घर में पूजा-पाठ से जुड़ा कोई बड़ा कार्यक्रम हो रहा हो, तो उसमें बहू को भी साथ देना चाहिए। बाकी घरवालों की तरह उसे भी उस पूजा का हिस्सा बनना चाहिए। इससे सास-ससुर को भी अच्छा लगेगा और आप दोनों के विचार कैसे हैं, इसके बारे में दूसरों को भनक भी नहीं लगेगी।”
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क्या पति बीवी के पल्लू से बंधकर रहते हैं या वो सिर्फ अपनी मां की ही बात मानते हैं?
यह एक ऐसा सवाल है, जो हर सास और बहू (Daughter in law) अपने बेटे (Son) और पति के लिए तंज कसती रहती हैं। यह कितना सच है, इसके बारे में कहना मुश्किल है। श्रुति कहती हैं “ऐसा तभी हो सकता है, जब पति पत्नी या मां की हर छोटी-छोटी परेशानियों या बहस के बारे में एक-दूसरे पर आरोप लगाएं। अगर पति अपनी पत्नी (Wife) की परेशानी के लिए मां को दोष दे, तो सास को लग सकता है कि उसका बेटा बहू के पल्लू से बंध चुका है। लेकिन, वहीं जब पति मां के बारे में पत्नी से बहस करे, तो पत्नी को भी लग सकता है कि उसका पति सिर्फ सास की ही सुनता है। इसलिए, पतियों को ऐसा नहीं करना चाहिए। उन्हें दोनों की परेशानियों को सुनना और समझना चाहिए। फिर आपस में उस पर सुलह करने के रास्ते निकालने चाहिए।”
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इसके अलावा, बहू को यह भी समझना चाहिए कि देखभाल के लिए उसके सास-ससुर के रिश्ते उसी पर निर्भर रहने वाले हैं। जैसे वो अपने मां-पिता की देखभाल करती है, ठीक उसी तरह उसे उनकी भी देखभाल करनी चाहिए। उनकी हर जरूरतों का ख्याल रखना चाहिए। जैसे अपनी जरूरतों के बारे में वो मां-पिता को बताती थी, वैसे ही सास-ससुर (In laws) को भी इनके बारे में बताना चाहिए।
उम्मीद है इस आर्टिकल में बताए गए सेल्फ एक्सपीरिएंस (Self experience) से आपको कुछ टिप्स मिले होंगे और आप अपने सास-ससुर से रिश्ता और मजबूत बनाने के लिए इन टिप्स को जरूर अपनाएंगी। इसके अलावा, अगर आपके पास भी कोई टिप्स हैं, तो हमारे साथ जरूर शेयर करें, ताकि ये प्यारा सा रिश्ता हमेशा मुस्कुराता हुआ रहे और आप भी खुश रहें और अपने सास-ससुर को भी खुश रखें। आशा करते हैं कि आपको हैलो स्वास्थ्य का ये लेख अच्छा लगा होगा। अगर इस आर्टिकल के बारे में आपकी कोई राय है, तो हमारे साथ हमारे फेसबुक पेज पर जरूर शेय करें। इसके अलावा, ये आर्टिकल ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर करें।
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