के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya
नसें मस्तिष्क से लेकर रीढ़ की हड्डी तक फैली होती हैं जो पूरे शरीर में मैसेज भेजने का कार्य करती हैं। नसों के दब जाने से शरीर में दर्द शुरु हो जाता है। इन संकेतों को अनदेखा नहीं करना चाहिए। पिंच्ड नर्व या नस दबने की समस्या तब होती है जब ऊतकों के आसपास की नसों जैसे हड्डियों (Bone), कार्टिलेज (Cartilage), मांसपेशियां (Muscles) या टेंडन (Tendon) के ऊपर बहुत अधिक दबाव पड़ता है। यह दबाव तंत्रिका के कार्यों को बाधित कर देता है, जिसके कारण दर्द, झुनझुनी, सुन्नता और कमजोरी महसूस होती है।
शरीर में कई जगहों पर नस दब सकती है। जैसे कि रीढ़ के निचले हिस्से में स्थित हार्निएटेड डिस्क नर्व रुट पर दबाव डाल सकती है जिसके कारण गंभीर दर्द (Pain) हो सकता है और पैर का पिछला हिस्सा प्रभावित हो सकता है। इसी तरह कलाई की नस दबने से दर्द एवं हाथ और उंगलियां सुन्न हो सकती हैं। डैमेज या पिंच्ड नर्व से हल्का या गंभीर नुकसान हो सकता है। साथ ही इससे स्थायी समस्या भी उत्पन्न हो सकती है। अगर समस्या बढ़ जाती है तो आपके लिए गंभीर स्थिति बन सकती है । इसलिए नसों की समस्या का समय रहते इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं ,जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरूआती स्थिति को समझ सकते हैं।
पिंच्ड नर्व एक आम समस्या है। ये महिला और पुरुष दोनों में सामान प्रभाव डालता है। पूरी दुनिया में लाखों लोग पिंच्ड नर्व से पीड़ित हैं। यह समस्या किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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पिंच्ड नर्व शरीर के कई सिस्टम को प्रभावित करता है। नस दबने से पीड़ित व्यक्ति में प्रायः सिर्फ दर्द होता है। जबकि कुछ लक्षण बिना दर्द के नजर आने लगते हैं। शुरुआत में ये लक्षण काफी हल्के होते हैं लेकिन धीरे-धीरे काफी गंभीर होने लगते हैं जिसके कारण ये लक्षण सामने आने लगते हैं :
कभी-कभी कुछ लोगों में इसमें से कोई भी लक्षण सामने नहीं आते हैं और अचानक से कुछ समय के लिए गर्दन, पीठ और कमर में नसों पर दबाव पड़ने के कारण तेज दर्द होता है। नस दबने की तीव्रता आमतौर पर व्यक्ति के फिजिकल पोजीशन पर निर्भर करती है।
पिंच्ड नर्व से पीड़ित व्यक्ति को सोते समय सबसे अधिक परेशानी होती है और मांसपेशियां में अकड़न आ जाती है।
इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी सामने आते हैं :
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के शरीर पर पिंच्ड नर्व अलग प्रभाव डाल सकता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से बात कर लें। यदि आपके हाथ और पैर की उंगलियों में लंबे समय तक दर्द, झुनझुनी या कमजोरी महसूस हो तो डॉक्टर के पास जाएं।
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पिंच्ड नर्व की समस्या तब होती है जब ऊतकों से घिरे तंत्रिकाओं पर बहुत अधिक दबाव पड़ता है। नसों पर दबाव रेपिटेटिव मोशन या अपने शरीर को लंबे समय तक एक ही पोजिशन में रखने, जैसे कि सोते समय कोहनी मोड़ने के कारण हो सकता है।
हमारे शरीर में नसें उन जगहों पर सबसे ज्यादा कमजोर होती हैं जहां वे संकरी जगहों से गुजरती हैं लेकिन कुछ सॉफ्ट टिश्यू उनकी सुरक्षा करते हैं। नसें अक्सर तब दब जाती हैं जब लिगामेंट, टेंडन और हड्डी जैसे ऊतकों के बीच स्थित तंत्रिका दब जाती है। जैसे की रीढ़ की हड्डी में स्थित तंत्रिका में सूजन या दबाव से गर्दन और पीठ एवं कमर में दर्द हो सकता है।
इसके अलावा गर्दन, कंधे, बांह और पैर में भी दर्द हो सकता है। सिर्फ यही नहीं नसों में चोट लगने, रुमेटाइड या रिस्ट अर्थराइटिस, एक ही काम करने से नसों में तनाव, स्पोर्ट्स एक्टिविटी और मोटापे के कारण भी पिंच्ड नर्व की समस्या हो सकती है। इसके अलावा कार्पल टनल के छोटे होने, बोन स्पर्स, थायरॉयड डिजीज, डायबिटीज, हाथ, कलाई और कंधे का अधिक इस्तेमाल, प्रेग्नेंसी और लंबे समय तक बेड रेस्ट करने के कारण नसें दब सकती हैं।
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नस दबने से व्यक्ति को हल्की या गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। यदि पिंच्ड नर्व थोड़े समय तक रहता है तो आमतौर पर तंत्रिका में कोई स्थायी डैमेज नहीं होता है। एक बार दबाव कम होने पर आराम मिल जाता है और नसें सामान्य रुप से कार्य करने लगती हैं। हालांकि यदि प्रेशर लगातार बना रहे तो गंभीर दर्द होने के साथ ही नसें स्थायी रुप से डैमेज हो सकती हैं। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
पिंच्ड नर्व का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं और मरीज का पारिवारिक इतिहास भी देखते हैं। इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :
कुछ मरीजों में नस दबने का पता लगाने के लिए नसों में करेंट दिया जाता है और तंत्रिका के डैमेज होने या सॉफ्ट ऊतकों पर दबाव पड़ने की स्थिति का पता लगाया जाता है।
पिंच्ड नर्व का कोई सटीक इलाज नहीं है। लेकिन, कुछ थेरिपी और दवाओं से व्यक्ति में पिंच्ड नर्व के असर को कम किया जाता है। नस दबने के लिए कई तरह की मेडिकेशन की जाती है :
इसके अलावा पिंच्ड नर्व को ठीक करने के लिए कुछ मरीजों को फिजिकल थेरेपी दी जाती है जिसमें उन्हें एक्सरसाइज और मांसपेशियों को स्ट्रेच करना सीखाया जाता है। इससे प्रभावित हिस्से की नसों पर दबाव कम होता है और नसें पहले की तरह सामान्य हो जाती हैं। इसके साथ ही स्पलिंट या सॉफ्ट कॉलर लिमिट मोशन से मांसपेशियों में अकड़न को कम किया जाता है। जीवनशैली और आदतों में बदलाव करके भी पिंच्ड नर्व से काफी हद तक बचा जा सकता है।
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अगर आप पिंच्ड नर्व से पीड़ित हैं तो डॉक्टर आपको सही पोजिशन में बैठने, उठने और सोने के लिए कहेंगे। इसके साथ ही पैरों को क्रास करके बैठने या एक ही पोजिशन में लंबे समय तक काम करने के लिए मना करेंगे। मांसपेशियों को लचीला बनाने के लिए नियमित एक्सरसाइज करना काफी फायदेमंद है। सिर्फ इतना ही नहीं किसी भी तरह की अधिक रेपिटेटिव एक्टिविटी करने से बचना चाहिए और अपने वजन को नियंत्रित करना चाहिए।
कई बार शरीर के प्रभावित हिस्से को आराम देने से भी पिंच्ड नर्व की समस्या से राहत मिल सकती है। गर्दन, बांह, कमर या कंधे की नस दबने पर पर्याप्त आराम करना चाहिए और किसी भी तरह का भारी काम करने से बचना चाहिए। इसके साथ ही हड्डियों की मजबूती के लिए आयरन और कैल्शियम से भरपूर आहार का सेवन करना चाहिए। पिंच्ड नर्व से पीड़ित व्यक्ति को निम्न आहार लेना चाहिए:
नसें दबने पर हल्के लक्षण नजर आने पर मसाज या मसल्स के स्ट्रेच करना फायदेमंद होता है। इसके अलावा मांसपेशियों या नसों में सूजन होने पर सिंकाई करना चाहिए। अगर पैर, हाथ और शरीर के अन्य हिस्सों में झुनझुनी, सनसनाहट या अन्य दिक्कतें होने एवं स्थिति गंभीर होने पर घरेलू उपचार की बजाय बिना लापरवाही किए डॉक्टर के पास जाकर इलाज कराना चाहिए।
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
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