दाद एक वायरल संक्रमण है जो दर्दनाक, खुजलीदार और छोटे-छोटे चकत्ते वाले होते हैं। वैरिसेला-जोस्टर वायरस (VZV) कहा जाता है। वैसे तो दाद की समस्या, बड़े उम्र दराज के लोगों में अधिक देखी जाती है, लेकिन प्रेग्नेंसी में दाद की भी समस्या होनी काफी आम होती है। अगर बचपन में किसी महिला को चिकनपॉक्स की समस्या हुआ था, तो प्रेग्नेंसी में उसे दाद होने का खतरा रहता है। चिकनपॉक्स के ठीक होने के बाद वैरिसैला-जोस्टर वायरस (VZV) शरीर में ही निष्क्रिय तरीके से रहता है, जो प्रेग्नेंसी के दौरान एक्टिव हो सकता है और प्रेग्नेंसी में दाद का कारण बन सकता है।
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दाद को हम आम भाषा में रिंगवर्म और चर्मरोग भी कहते हैं। कई लोगों में ऐसा भ्रम बना हुआ है कि दाद किसी कीड़े-मकौड़े के काटने के कारण ही होता है। जबकि, दाद एक तरह का फंगल इंफेक्शन है जो फंगस के द्वारा फैलता है। दाद की समस्या सिर के स्कैल्प, त्वचा और जनांनगों में अधिक तेजी से फैलता है। वहीं, मेडिकल में दाद को ‘टिनिया’ कहा जाता है। दाद के कई प्रकार होते हैं, जिनमें टिनिया कैपिटिस, जो सिर की त्वचा पर होता है, टिनिया कॉर्पोरिस, जो शरीर की त्वचा पर होता है, टिनिया पेडिस, जो पैर में होता है, टिनिया क्रूरिस, जो गुप्ताओं में होता है और टिनिया मेनस, जो हाथों में होता है।
गर्भावस्था में रिंगवर्म: प्रेग्नेंसी में दाद होने का जोखिम क्या है?
आमतौर पर, अगर प्रेग्नेंट महिला को बचपन में कभी चिकनपॉक्स की समस्या हुई रहती है, तो प्रेग्नेंसी में दाद की समस्या का जोखिम बढ़ सकता है। इसके अलावा, अगर वह किसी दाद से संक्रमित व्यक्ति के दानों से सीधे संपर्क में आती है, तो उसके शरीर में भी वैरिसैला-जोस्टर वायरस (VZV) एक्टिव हो सकते हैं, जो पहले चिकनपॉक्स का कारण बन सकते हैं और बाद में दाद का। या फिर कई मामलों में सीधे दाद की समस्या भी उत्तपन्न हो सकती है। इसलिए, अगर आप गर्भवती हैं, और आपको पहले कभी चिकनपॉक्स नहीं हुआ है, तो आपको उन लोगों से दूर रहना चाहिए, जिन्हें चिकनपॉक्स या दाद की समस्या होती है।