के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
जेरोडर्मा पिगमेंटोसम (Xeroderma Pigmentosum) में शरीर और चेहरे की त्वचा बहुत ही ज्यादा संवेदनशील हो जाती है। इससे पीड़ित लोगों की त्वचा धूप के संपर्क में आने पर झुलस जाती है। इसकी समस्या लोगों में पारिवारिस विरासत के कारण होती है। सूर्य के प्रकाश से पराबैंगनी (यूवी) किरणें त्वचा, पलकों और आंखों की सतह पर सबसे ज्यादा प्रभाव डालते हैं। कुछ मामलों में जीभ के आगे के हिस्सा भी क्षतिग्रस्त हो सकता है। साथ ही, इससे पीड़ित कुछ रोगियों में तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं।
जेरोडर्मा पिगमेंटोसम (XP) महिलाों और पुरुषों दोनों को सामान्य तौर पर प्रभावित कर सकती हैं। हालांकि, यह एक दुलर्भ बीमारी है। संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में, 10 लाख लोगों में से किसी में इसकी समस्या देखी जाती है। जबकि, जापान में XP बहुत अधिक सामान्य हैं। वहां प्रति 22,000 आबादी में से यह 1 व्यक्ति को प्रभावित करता है। वहीं, उत्तरी अफ्रीका के क्षेत्रों (जैसे, ट्यूनीशिया, अल्जीरिया, मोरक्को, लीबिया, मिस्र) और मध्य पूर्व (जैसे, तुर्की, इजराइल, सीरिया) में भी XP की वृद्धि हुई है।
एक्सपी से जुड़े कुछ जीन म्यूटेशन दुनिया के कुछ हिस्सों में अधिक सामान्य पाए जाते हैं। जिसकी वजह से इन स्थानों में इसका जोखिम भी बढ़ने लगा है। अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने चिकित्सक से चर्चा करें।
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इससे पीड़ित व्यक्ति न सिर्फ सूर्य की यूवी किरणों से प्रभावित होता है, बल्कि यूवी के प्रभावों वाली हर तरह के प्रकाश से प्रभावित होते हैं। इसके लक्षण एक व्यक्ति में दूसरे व्यक्ति से भिन्न हो सकते हैं, लेकिन आमतौर पर यह रोग त्वचा, आंखों और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते हैं।
त्वचा पर इसका प्रभाव (Xeroderma Pigmentosum effects on skin)
जेरोडर्मा पिगमेंटोसम से प्रभावित व्यक्तियों की त्वचा सूर्य के किरणों में आते ही जलने लगती है। कुछ लोगों में इसका प्रभाव 10 मिनट से भी कम समय के अंदर भी देखा जा सकता है। ये जलन के निशान कई दिनों तक बनें रहते हैं इन्हें भरने में काफी लंबा समय लग सकता है।
हालांकि, लगभग 50 फीसदी लोगों की त्वचा सूर्य के किरणों के कारण जलती तो नहीं है, लेकिन उन्हें सनटैन हो सकती है।
इसका प्रभाव गोरे और गहरे दोनों रंग की त्वचा पर देखा जाता है।
इससे पीड़ित लोगों में इसके लक्षण 2 साल की उम्र में ही दिखाई देने शुरू हो जाते हैं।
इसके अलावा जो लोग कई वर्षों तक सूर्य की किरणों के संपर्क में रहते हैं, उनमें भी इसकी समस्या देखी जाती है। जैसे- किसान या नाविक।
आंखों पर इसका प्रभाव (Xeroderma Pigmentosum effects on eyes)
सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने पर पलकों और आंखों की सतह आमतौर पर जीवन के पहले दशक के अंदर प्रभावित होती हैं।
तंत्रिका पर इसका प्रभाव (Xeroderma Pigmentosum effects on nerve)
XP से प्रभावित लगभग 25% रोगियों की तंत्रिका भी प्रभावित होती है। उनमें प्रोग्रेसिव न्यूरोडीजेनेरेशन विकसित होती है, जो अधिक जोखिम भरी स्थिति होती है।
कैंसर (Cancer)
XP से पीड़ित कुछ व्यक्तियों में कैंसर का भी खतरा होता है। जिनमें शामिल हैंः
इसके सभी लक्षण ऊपर नहीं बताएं गए हैं। अगर इससे जुड़े किसी भी संभावित लक्षणों के बारे में आपका कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से बात करें।
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अगर ऊपर बताए गए किसी भी तरह के लक्षण आपमें या आपके किसी करीबी में दिखाई देते हैं या इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें। हर किसी का शरीर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया करता है।
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XP की समस्या परिवार के स्वास्थ्य की स्थिति से जुड़ा हुआ है। इससे पीड़ित माता या पिता के लक्षण उसके बच्चे में भी देखे जा सकते हैं। हर प्रकार के जेरोडर्मा पिगमेंटोसम में जीन में अक्षमता या उसकी प्रकृति पर निर्भर करती है।
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जेरोडर्मा पिगमेंटोसम के पहचाने गए आठ प्रकारों में से सात प्रकारों को ऑटोसोमल रिसेसिव स्थितियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसका मतलब है कि XP वाले व्यक्ति के माता-पिता दोनों में म्यूटेड जीन के लक्षण थे, लेकिन उन्हें यह बीमारी नहीं थी।
जबकि, इसके एक दूसरे प्रकार में, बच्चे में ऑटोसोमल प्रमुख स्थिति है। हालांकि, केवल एक माता-पिता में किसी एक में ही दोषपूर्ण जीन था।
इसके अलावा निम्न स्थितियां भी इसके जोखिम को बढ़ा सकती हैंः
इनके अलावा ऐसी कई स्वास्थ्य स्थितियां हो सकती हैं, जो जेरोडर्मा पिगमेंटोसम के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। हालांकि, इसकी उचित जानकारी आज्ञात है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के तौर पर ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
जेरोडर्मा पिगमेंटोसम की समस्या बहुत ही दुर्लभ है। जो कई अन्य स्थितियों के कारण हो सकती है, आमतौर पर डॉक्टर इसके लिए परीक्षण नहीं करते हैं। अगर आपमें या आपके बच्चें में इसके लक्षण दिखाई देते हैं, तो डॉक्टर पहले इसकी स्थितियों का पता लगाएंगें। अगर आपको इसके लक्षणों को लेकर कोई संदेह हैं, तो अपने शरीर में होने पर बदलावों और प्रभावों को एक डायरी पर नोट कर सकते हैं। जो आपके निदान और इलाज में मददगार हो सकती है।
अगर आपके पारिवारिक में पहले कभी भी इसकी समस्या थी या है, तो डॉक्टर स्क्रीनिंग टेस्ट के माध्यम से आपके जीन की स्थिति का निर्धारण करेंगे और खून या लार का टेस्ट करेंगे।
अगर आप गर्भवती हैं और अपने भ्रूण के एक्सपी के जोखिम को निर्धारित करना चाहती हैं, तो डॉक्टर एमनियोसेंटेसिस नामक एक परीक्षण कर सकते हैं। यह परीक्षण भ्रूण के आसपास के द्रव का विश्लेषण करता है। साथ ही, यह निर्धारित करने में मदद करता है कि क्या भ्रूण में एक्सपी या कोई अन्य आनुवंशिक रोग हैं या नहीं।
अगर XP पर संदेह है, तो डॉक्टर यह निर्धारित करने के लिए कि आपके पास इसका कौन सा प्रकार है और आपको किस तरह का निदान दिया सकता है इस पर विचार करेंगे।
जिनमें निम्न परीक्षण शामिल हो सकते हैंः
फिलहाल, मौजूदा समय में जेरोडर्मा पिगमेंटोसम के लिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन इससे जुड़ी कुछ समस्याओं को रोकने और उपचार के तरीके अपनाएं जा सकते हैंः
एक्टिनिक केराटोज जैसे छोटे, प्रीमैलिग्नेंट त्वचा के घावों को भरने के लिए लिक्विड नाइट्रोजन का इस्तेमाल किया जा सकता है। जली हुई त्वचा की परतों को हटाने के लिए चिकित्सीय डर्मेट शेविंग या डर्माब्रेशन का उपयोग किया जाता है। स्किन कैंसर के इलाज के लिए इलेक्ट्रोडोडेसिकेशन समेत प्रोटोकॉल का उपयोग किया जा सकता है। आंखों की समस्या के इलाज के लिए कॉर्निया प्रत्यारोपण आवश्यक हो सकता है।
निम्नलिखित जीवनशैली में बदलाव लाने और घरेलू उपायों से आप जेरोडर्मा पिगमेंटोसम के खतरे को कम कर सकते हैंः
अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो उसकी बेहतर समझ के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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