परिचय
अल्फा-एमाइलेज टेस्ट क्या है?
अल्फा-एमाइलेज एक प्रकार का ब्लड और यूरीन टेस्ट है। इसे पेन्क्रियाटाइटिस एमाइलेज ब्लड टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है। इस टेस्ट का मुख्य उद्देश्य खून या मूत्र में एन्जाइम की मात्रा की जांच करना है। सामान्यतः खून और यूरीन में एमाइलेज की मात्रा बहुत कम होती है। लेकिन, जब अग्नाशय या सलैवरी ग्लैंड डैमेज या ब्लॉक हो जाता है तो खून और यूरीन में ज्यादा मात्रा में एमाइलेज निकलने लगता है।
अल्फा-एमाइलेज टेस्ट क्यों किया जाता है?
अल्फा-एमाइलेज टेस्ट डॉक्टर कुछ परिस्थितियों में कराने के लिए कहते हैं। ताकि अग्नाशय यानी कि पैनक्रिआज संबंधित बीमारी का पता लगा सके।
- क्रॉनिक पैनक्रिआटाइटिस (Chronic pancreatitis)
- पैनक्रिआटिक स्यूडोसिस्ट (Pancreatic pseudocyst)
जानिए जरूरी बातें
अल्फा-एमाइलेज टेस्ट करवाने से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?
यूरीन में एमाइलेज की मात्रा बढ़ने के कारण पैनक्रिआटाइटिस होता है। जब बच्चा पैदा होता है तो उसके शरीर में एमाइलेज की मात्रा बहुत कम या नहीं होती है। लेकिन, जब बच्चा एक साल का होता है तो उसके शरीर में एमाइलेज की मात्रा एक वयस्क व्यक्ति के बराबर होती है। लाइपेज नामक एन्जाइम पैनक्रिआज द्वारा निर्मित होता है। अगर पैनक्रिआटाइटिस की पुष्टि के लिए अल्फा-एमाइलेज टेस्ट द्वारा सही से रिजल्ट नहीं आता है तो लाइपेज टेस्ट किया जाता है। कभी-कभी यूरीन में एमाइलेज का टेस्ट क्रिआटिनिन के साथ तुलना करके जांचा जाता है।
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प्रक्रिया
अल्फा-एमाइलेज टेस्ट के लिए मुझे खुद को कैसे तैयार करना चाहिए?
अल्फा-एमाइलेज टेस्ट कराने से पहले आपको लगभग 24 घंटे पहले से ही शराब का सेवन बंद कर देना चाहिए। वहीं, अल्फा-एमाइलेज का अगर ब्लड टेस्ट होना है तो कुछ समय पहले से ही खाना और पीना बंद करना पड़ेगा। अल्फा-एमाइलेज टेस्ट में 24 घंटे तक यूरीन को इकट्ठा किया जाता है। इसलिए डिहाइड्रेशन न हो इसलिए तरल पदार्थ या पानी पीते रहें। वहीं, अगर महिला का अल्फा-एमाइलेज का टेस्ट करना है और उसके पीरियड्स चल रहे हैं तो इस टेस्ट को टालना पड़ता है। क्योंकि इस समय टेस्ट करना थोड़ा असहज रहता है।
अल्फा-एमाइलेज टेस्ट में होने वाली प्रक्रिया क्या है?
- अगर अल्फा-एमाइलेज ब्लड टेस्ट करना हो तो सबसे पहले हेल्थ प्रोफेशनल आपके बाजू (Upper Arm) में एक इलास्टिक बैंड बांधेंगे। जिससे आपके खून का प्रवाह रूक जाएगा।
- फिर जहां से खून निकालना होगा वहां पर एल्कोहॉल से साफ करते हैं।
- आपके हाथ की नस में सुई डाल कर खून निकाल लेते है।
- निकाले हुए खून को एक ट्यूब में भर कर सुरक्षित रख देंगे।
- जहां से खून निकालते हैं, वहां पर रूई से दबा देते हैं ताकि खून बहना बंद हो जाए।
वहीं, अगर अल्फा-एमाइलेज यूरीन टेस्ट करना हो तो हेल्थ प्रोफेशनल आपसे दिन की पहली यूरीन लेने के लिए कहते हैं। इसके बाद दिन भर आपको जितने बार भी पेशाब आएगी उतनी बार आपको उसे एक डिब्बे में इकट्ठा करने के लिए कहेंगे। इसके बाद आपके द्वारा दिए गए 24 घंटे के यूरीन को हेल्थ प्रोफेशनल फ्रिज में रख देते हैं। इसके बाद उसकी जांच करते हैं।
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अल्फा-एमाइलेज टेस्ट के बाद क्या होता है?
यूरीन का सैंपल लेने के बाद उसे जांच के लिए लैब में भेज दिया जाएगा। टेस्ट की प्रक्रिया पूरी होने के बाद आप घर जा सकते हैं। किसी भी तरह की समस्या होने पर आप हेल्थ प्रोफेशनल से तुरंत बात करें। अल्फा-एमाइलेज टेस्ट का रिजल्ट आपको दो या तीन दिन में मिल जाएगा।
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रिजल्ट को समझें
अल्फा-एमाइलेज टेस्ट के रिजल्ट का क्या मतलब है?
अल्फा-एमाइलेज टेस्ट का रिजल्ट निम्न प्रकार से आ सकता है :
नॉर्मल (Normal)
खून में एमाइलेज
वयस्क (60 साल और उससे कम उम्र के) : यू / एल (प्रति कूड़े की इकाइयां) या ०.४-२.१ मैके / एल (माइक्रोकाटल्स / लीटर)
वयस्क (60 साल से ज्यादा) : 24–151यू / एल या 0.4–2.5 मैके / एल
यूरीन में एमाइलेज
2 घंटे का यूरीन सैंपल : 2-34 यू या 16-2 एनएएन2३ नैनोकट / घंटा
24 घंटे का यूरीन सैंपल : 24–408 यू या 400–6,800 नैनोकट / प्रति दिन
एमाइलेज/क्रिआटिनिन क्लीयरेंस रेशियो
सामान्य : 1%–4% या 0.01–0.04 क्लीयरेंस फ्रैक्शन
एमाइलेज की मात्रा का ज्यादा होना
एमाइलेज की मात्रा निम्न कारणों से ज्यादा हो जाती है :
- अग्नाशय में सिस्ट या कैंसर होने के कारण
- लार ग्रंथियों में जलन के साथ दर्द होना, इसे मंप्स (Mumps) कहते हैं
- आंतों का डैमेज होना या ब्लॉक होना
- पेट में छेद हो जाना
- पित्ताशय में पथरी के कारण पैनक्रिआटाइटिस
- डायबिटिक किटोएसिडोसिस
- किडनी संबंधित रोग
- एपेंडिसाइटिस या पेरिटोनिटिस
- मैक्रोएमाइलेजसेमिया
रक्त में निम्न एमाइलेज का स्तर भी इन बातों का संकेत हो सकता है:
- अग्नाशय का कैंसर
- गुर्दे की बीमारी
- जिगर की बीमारी
- सिस्टिक फाइब्रोसिस
- गर्भावस्था के दौरान प्रीक्लेम्पसिया
वहीं, बता दें कि टेस्ट की रिपोर्ट हॉस्पिटल और लैबोरेट्री के तरीकों पर निर्भर करती है। इसलिए आप अपने डॉक्टर से टेस्ट रिपोर्ट के बारे में अच्छे से समझ लें।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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