परिचय
मेनोरेजिया (अतिरज) क्या है?
पीरियड्स के दौरान होने वाली असाधारण ब्लीडिंग को मेनोरेजिया Menorrhagia या अतिरज कहते है। पीरियड्स में सामान्यतौर पर 4 से 5 दिनों के दौरान 30 से 40 मिलीलीटर तक ब्लीडिंग होती है लेकिन अगर ये ब्लीडिंग 80 मिलीलीटर या 3 औंस से अधिक है तो इस अवस्था को मेडिकल की भाषा में मेनोरेजिया कहते है। मेनोरेजिया में पीरियड्स के दौरान 7 दिनों तक या उससे अधिक दिनों तक ब्लीडिंग हो सकती है। मेनोरेजिया से पीड़ित महिला को एक दिन में कई बार पैड बदलना पड़ता है। ज्यादा मात्रा और लंबे समय तक ब्लीडिंग यूटेरस पर असर डालती है। ज्यादा ब्लीडिंग होने पर रोजाना की गतिविधियां करने में दिक्कतें आती हैं। मेनोरेजिया में सामान्यतौर पर महिला में पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग होने से एनीमिया हो जाता है जिससे कमजोरी होने लगती है।
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लक्षण
मेनोरेजिया के लक्षण क्या है?
मेनोरेजिया (Menorrhagia) में निम्न लक्षण शामिल हैं:
- लगातार कई घंटों तक एक या एक से अधिक सैनेटरी पैड या टैम्पोन का भीगना।
- ब्लीडिंग को नियंत्रित करने के लिए डबल सैनिटरी सुरक्षा का इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ना।
- एनीमिया के लक्षण जैसे थकान, थकान या सांस की तकलीफ।
- पीरियड्स आने पर एक हफ्ते से ज्यादा समय तक ब्लीडिंग।
- जब रात के दौरान साफ सफाई और पीरियड्स के लिए पैड बदलने के लिए रात भर जागने की जरूरत पड़े तो मेनोरेजिया हो सकता है।
- खून के थक्के एक चौथाई बड़े हो जाना।
- हैवी पीरियड्स (Bleeding) के कारण रोजाना की गतिविधियां करने में मुश्किल आना।
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कारण
Menorrhagia के कारण क्या है ?
- हार्मोन का असंतुलन होना:- हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का संतुलन यूटेरस के लेयर के बनने की क्रिया को नियंत्रित करता है, जो पीरियड्स के दौरान बहती है। अगर हार्मोन का बैलेंस बिगड़ता है तो ये लेयर ज्यादा मात्रा में बनने लगती है जिससे हैवी पीरियड्स होते है। इसे ही Menorrhagia कहते है।
- अंडाशय (Ovary) का शिथिल होना:- जब शरीर प्रोजेस्टेरोन हार्मोन नहीं बनाता तब ओवेरी मासिक धर्म चक्र के दौरान एग रिलीज नहीं करती। इसमें हार्मोन का बैलेंस बिगड़ जाता है और नतीजन ब्लीडिंग होने लगती है।
- यूटेरिन की फाइब्रॉइड:- यह नॉन-कैंसरस फाइब्रॉइड है। यूटेरस में फाइब्रॉइड होने के कारण लंबे समय तक और ज्यादा ब्लीडिंग हो सकती है।
- अंतर्गर्भाशयी डिवाइस या आईयूडी (IUD):- बर्थ कंट्रोल के लिए इस्तेमाल की जाने वाली आईयूडी से साइड इफेक्ट के रूप में मेनोरेजिया हो सकता है। ऐसा होने पर डॉक्टर आपको बर्थ कंट्रोल के लिए कोई दूसरा विकल्प दे सकते हैं।
- प्रेग्नेंसी में जटिलता:- जब प्रेग्नेंसी में किसी तरह की जटिलता (Complication) होती हैं तब अतिरज यानि मेनोरेजिया (Menorrhagia) होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान हैवी ब्लीडिंग प्लेसेंटा के असामान्य जगह पर होने के कारण भी मेनोरेजिया हो सकता है।
- कैंसर:- गर्भाशय (Uterus) कैंसर और सर्वाइकल कैंसर होने से पीरियड्स में बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो सकती है।
- ब्लीडिंग संबंधित डिसऑर्डर:- कुछ ब्लीडिंग संबंधित डिसऑर्डर जैसे कि वॉन विलेब्रांड की बीमारी, एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें ब्लड-क्लॉटिंग खास तौर पर होती है, इससे असामान्य ब्लीडिंग होती है।
- दवाएं:- एंटी-इंफ्लेमेट्री दवाओं, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन हार्मोनल दवाओं जैसे वारफारिन (कौमेडिन, जेंटोवन) या एनोक्सापारिन (लॉवेनॉक्स) से लंबे समय तक पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग हो सकती हैं।
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जोखिम
मेनोरेजिया के जोखिम ?
मेनोरेजिया (Menorrhagia) के रिस्क उम्र के साथ बदलते जाते हैं। आपकी मेडिकल कंडीशन पर हैं कि मेनोरेजिया होगा कि नहीं। किसी महिला के सामान्य मासिक धर्म चक्र में ओवेरी से एग रिलीज कर प्रोजेस्टेरोन बनाने को उत्तेजित करती है। महिला हार्मोन पीरियड्स रेगुलर होने के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। जब एग रिलीज नहीं होता है तब प्रोजेस्टेरोन हार्मोन कम होने से ब्लीडिंग ज्यादा होती हैं। टीनएजर लड़कियों में ब्लीडिंग आमतौर पर एग न बनने के कारण होती है।
डॉक्टर के पास कब जाएं
अगर आपके साथ नीचे दी गई समस्या हो तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं।
- वजाइना से ब्लीडिंग इतनी ज्यादा हो कि यह कम से कम एक पैड या टैम्पोन को एक घंटे में दो घंटे से अधिक समय तक भिगोता है।
- अनियमित ब्लीडिंग होना।
- रजोनिवृत्ति (Menopause) के बाद वजाइना से ब्लीडिंग (Bleeding)।
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जांच
मेनोरेजिया की जांच कैसे की जाती है ?
डॉक्टर मेनोरेजिया (Menorrhagia) की जांच करने के लिए मेडिकल हिस्ट्री और मासिक धर्म चक्र के बारे में पूछ सकते हैं। ब्लीडिंग और ब्लीडिंग के दिनों की डायरी मेंटेन करने को कहा जा सकता है। डॉक्टर कुछ जांच करने के लिए भी कह सकते हैं।
- ब्लड टेस्ट: ब्लड का सैंपल लेकर एनीमिया और दूसरी बीमारियां जैसे थायरॉयड या खून के थक्के की जांच की जाती है।
- पैप टेस्ट:- इस टेस्ट में सर्विक्स से कोशिकाओं (cells) को इकट्ठा किया जाता है और इंफेक्शन, सूजन टेस्ट कर जांच की जाती है, जो कैंसर का कारण भी बन सकते हैं।
- एंडोमेट्रियल बायोप्सी:- इसमें डॉक्टर जांच करने के लिए यूटेरस के अंदर से टिश्यू का एक सैंपल लेते हैं।
- अल्ट्रासाउंड:- इस इमेजिंग प्रोसेस के जरिए यूटेरस, ओवेरी, पेल्विक की स्क्रीनिंग की जाती है। इसमें जो रिजल्ट आएगा, उसके आधार पर डॉक्टर आगे के टेस्ट करने की सलाह दे सकते हैं।
- सोनोहिस्टेरोग्राफी:- इस टेस्ट में यूटेरस में एक ट्यूब डाल कर वजाइना और सर्विक्स से फ्लूड निकाला जाता है, डॉक्टर यूटेरस के लेयर प्रॉब्लम को देखने के लिए भी अल्ट्रासाउंड करते हैं।
- हिस्टेरोस्कोपी :- इस टेस्ट में वजाइना और सर्विक्स में एक पतला उपकरण डाला जाता है, जिससे यूटेरस की जांच की जा सकती हैं।
इन सभी जांचो के बाद डॉक्टर मेनोरेजिया (Menorrhagia) को लेकर किसी नतीजे पर आते हैं।
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इलाज
मेनोरेजिया का इलाज कैसे किया जाता है ?
मेनोरेजिया (Menorrhagia) का इलाज कई फैक्ट पर निर्भर करता है। डॉक्टर इलाज की प्रक्रिया तय करने से पहले मरीज का स्वास्थ्य और मेडिकल हिस्ट्री देखते हैं। भविष्य में बच्चे की योजना है कि नहीं, ये भी पूछ सकते हैं। सामान्यतौर पर तो डॉक्टर दवाइयां ही देते हैं, लेकिन अगर इससे कामयाबी नहीं मिलती तब मेनोरेजिया का सर्जरी के जरिए इलाज किया जा सकता है।
- डी एंड सी (Dilation and curettage):- यह एक तरह की सर्जरी होती है, जिसमें डॉक्टर सर्विक्स को खोल कर पीरियड्स में ब्लीडिंग को कम करने के लिए यूटेरस की लाइन से टिश्यू को स्क्रैप करते है। हालांकि यह सामान्य प्रक्रिया है, इससे ज्यादा ब्लीडिंग होने का बेहतर तरीके से इलाज होता है।
- Uterine Artery Embolization:- जिन महिलाओं में फाइब्रॉइड की वजह से मेनोरेजिया हुआ है, उनमें इस फाइब्रॉइड को छोटा कर दिया जाता है। इसमें गर्भाशय की धमनियों में खून की सप्लाई बंद कर दी जाती है।
- Myomectomy :- इसमें यूटेरस में मौजूद फायब्रॉइड को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है। फाइब्रॉइड का साइज, संख्या और यूटेरस में किस जगह है, इस पर निर्भर हैं कि डॉक्टर मायोमेक्टमी करने के लिए ओपन एब्डॉमिनल सर्जरी की मदद लें।
- हिस्टेरेक्टॉमी :- इस सर्जरी में यूटेरस और सर्विक्स को स्थायी रूप से निकाल दिया जाता है, जिससे पीरियड्स आना बंद हो जाते है।
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हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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