के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Shruthi Shridhar
रॉयल जेली एक दूधिया चिपचिपा पदार्थ है जो जेली जैसा दिखता है। इसको श्रमिक मधुमक्खियों द्वारा निर्मित किया जाता है। इसे रॉयल जेली शहद भी कहा जाता। आमतौर पर इसमें लगभग 60% से 70% पानी, 12% से 15% प्रोटीन, 10% से 16% चीनी, 3% से 6% वसा और 2% से 3% विटामिन, सॉल्ट और अमीनो एसिड होते हैं। अमेरीका में दवाइयों में इसका इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है।
मेमोरियल स्लोअन केटरिंग कैंसर सेंटर (Memorial Sloan Kettering Cancer Center) के मुताबिक रॉयल जेली रानी मधुमक्खियों और उनके लार्वा के लिए कार्यकर्ता मधुमक्खियों द्वारा निर्मित एक चिपचिपा पदार्थ है। रॉयल जेली प्रोटीन, खनिज और विटामिन जैसे कई पोषक तत्वों से भरपूर है। इसका प्रयोग अस्थमा, हे फीवर, लिवर संबंधित परेशानिया, पैनक्रिएटाइटिस, इनसोमनिया, अल्सर, किडनी संबंधित परेशानियां, स्किन डिसऑर्डर और हाई कोलेस्ट्रॉल के उपचार के लिए किया जाता है।
इसका उपयोग निम्नलिखित बीमारियों को दूर रखने के लिए किया जाता है। जैसे-
कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण
हाई कोलेस्ट्रॉल से दिल से संबंधित बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। ‘जर्नल ऑफ न्यूट्रिशनल साइंस एंड विटामिनोलॉजी’ में प्रकाशित 2007 के एक अध्ययन में 15 लोगों पर अध्ययन किया है। इसमें उन्होंने सबसे पहले इन्हें दो ग्रुप्स में बांट दिया। एक ग्रुप को चार हफ्तों तक छह ग्राम शाही जेली दी गई। इन लोगों के कुल कोलेस्ट्रॉल और लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन(LDL) दूसरे ग्रुप के लोगों से काफी कम हो गया।
बांझपन
साल 2008 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ओब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी (International Journal of Obstetrics & Gynaecology) में प्रकाशित एक अध्ययन में सामने आया कि बांझपन के लिए रॉयल जेली फायदेमंद साबित हो सकती है। वैसे इनफर्टिलिटी की समस्या होने पर कपल को परेशान नहीं होना चाहिए। बढ़ती टेक्नोलॉजी में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF), इंट्रायूट्राइन इनसेमिनेशन (IUI) जैस तकनीक से गर्भधारण किया जा सकता है। अगर यह भी सफल नहीं होता है तो ऐसी स्थिति में कपल सरोगेसी की मदद ले सकते हैं।
स्तन कैंसर
राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के अनुसार, अमेरिकी महिलाओं में स्तन कैंसर सामान्य है। आमतौर पर यह लोब्यूल्स या स्तन के नलिकाओं में बनता है। लोब्यूल्स ग्रंथियां दूध का उत्पादन करती हैं और नलिकाएं के जरिए दूध ग्रंथियों से निप्पल तक जाता है। जर्नल “बायोसाइंस, बायोकैमिस्ट्री और बायोटेक्नोलॉजी’ के 2007 में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि शाही जेली स्तन कैंसर से बचाने में मदद कर सकता है। वैसे ब्रेस्ट कैंसर होने पर डरना नहीं चाहिए। किसी भी महिला को अगर स्तन में गांठ या कोई बदलाव समझ में आता है, तो ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
घाव को भरने और त्वचा की मरम्मत में मददगार
रॉयल जेली को दवा के तौर पर खाकर और स्किन पर लगाकर दोनों तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं जो घाव को साफ करने के साथ इन्फेक्शन से बचाता है। जानवरों पर हुए एक शोध में सामने आया जिन चूहों को रॉयल जैली दी गई उनमें कोलेजन की वृद्धि हुई। त्वचा की मरम्मत के लिए कोलेजन एक रेशेदार प्रोटीन है।
शुगर को कंट्रोल करता है
रॉयल जैली हमारे शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन को कम करके शुगर को नियंत्रित रखने में भी कारगर है। शरीर में शुगर की मात्रा नियंत्रित रहने पर डायबिटीज का खतरा भी कम हो सकता है।
इसके बारे में कोई स्टडी नहीं है कि रॉयल जैली कैसे काम करती है। इसलिए इसके सेवन से पहले इसके बारे में आप अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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अगर रॉयल जेली को सही तरीके से लिया जाए तो ये ज्यादातर सभी के लिए सुरक्षित है। अगर किसी खास चीज में रॉयल जेली और मधुमक्खी पराग मिले हैं तो इसका इस्तेमाल दो महीने तक कर सकते हैं। इसके अलावा रॉयल जैली और फूल पराग (मेलब्रोसिया) के मिश्रण को तीन महीने तक लिया जा सकता है। रॉयल जेली को स्किन पर सही तरीके से लगाया जाए तो इसका आपको किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। हालांकि अगर इसे स्कैलप पर लगाया जाए तो इससे एलर्जी और सूजन हो सकती है।
किन लोगों को इसके प्रयोग से बचना चाहिए?
निम्नलिखित शारीरिक स्थिति में इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए। जैसे-
इसके प्रयोग से पहले हेल्थ एक्सपर्ट से जरूर सलाह लें या अगर डॉक्टर आपको इसके सेवन की सलाह देते हैं तो ऊपर बताई गई शारीरिक परेशानी है तो अपने डॉक्टर को अवश्य बताएं।
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रॉयल जेली से कुछ लोगों में गंभीर एलर्जी, अस्थमा, गले में सूजन हो सकती है। बहुत कम लोगं में पेट दर्द और खूनी दस्त हो सकते हैं। हर किसी में ये साइड इफेक्ट्स देखने को नहीं मिलेंगे। कुछ साइड इफेक्ट्स ऐसे भी होंगे जो इस लिस्ट में शामिल नहीं है। अगर आपको कोई साइड इफेक्ट नजर आए तो तुरंत अपने डॉक्टर से कंसल्ट करें।
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रॉयल जेली को लेकर सीमित रिसर्च किया गया है, जिस वजह से इसकी खुराक को लेकर कोई निर्धारित जानकारी नहीं है, लेकिन इसके बहुत सारे फायदे देखे गए हैं। वर्तमान में हुए रिसर्च के मुताबिक प्रति दिन 300 से 6,000 मिलीग्राम इसे लिया जा सकता है। बहुत सारे लोग स्किन पर इसे लगाते हैं। अगर आप पहली बार स्किन पर इसे लगा रहे हैं तो शुरुआत में कम मात्रा में इसे लगाएं। अगर आपको किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट नहीं नजर आ रहा तभी इसका इस्तेमाल करें।
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अगर आप रॉयल जेली से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
डिस्क्लेमर
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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड
Dr. Shruthi Shridhar