किसी ने सच ही कहा है… ‘कुछ कहो तो शरमा जाती हैं आंखें और बिन बोले, बहुत कुछ कह जाती हैं आंखें 👁️ 👁️ …. वैसे शायद आप सोच रहें होंगे कि मैं इश्क या मोहब्बत की बाते कर रहीं हूं, तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। ये तो मैं इसलिए कह रहीं हूं कि आंखों की सेहत से आपकी सेहत का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। अब देखिये ना अगर हम अपने सामने किसी व्यक्ति के आंखों के आस पास डार्क सर्कल देख लें, तो उससे पूछ ही लेते हैं कि क्या आपकी सेहत ठीक है? यहां तक कि अगर आपकी नींद पूरी ना हो, तो इसका अंदाजा भी बड़ी ही आसानी से हमसभी लगा लेते हैं। वहीं अगर आंखें लाल हो जाये… तो भी परेशानी। आज इस आर्टिकल में हम एक सामान्य से आई प्रॉब्लम के बारे में जानेंगे, जिसे कहते हैं एपिस्क्लेरिटिस। दरअसल चेहरे की लाली तो अच्छी सेहत की निशानी है, लेकिन आंखों की लाली दर्द की निशानी होती है। इसलिए इस आर्टिकल में समझेंगे:
- एपिस्क्लेरिटिस (Episcleritis) क्या है?
- एपिस्क्लेरिटिस के लक्षण क्या हैं?
- एपिस्क्लेरिटिस के कारण क्या हैं?
- आंख की इस बीमारी का निदान कैसे किया जाता है?
- एपिस्क्लेरिटिस का इलाज कैसे किया जाता है?
- एपिस्क्लेरिटिस के क्या हैं घरेलू उपाय?
- एपिस्क्लेरिटिस होने के दौरान क्या करें?
- नेत्र चिकित्सक से कब करें संपर्क?
एपिस्क्लेरिटिस (Episcleritis) क्या है?
आंख के सफेद भाग के ऊपरी सतह पर इंफेक्शन की समस्या को एपिस्क्लेरिटिस कहते हैं। इस बीमारी को आप आसानी से आंख देखकर समझ सकते हैं। यह उन लोगों के लिए ज्यादा तकलीफदेह है, जिन्हें इंफेक्शन यानी संक्रमण की समस्या ज्यादा होती है। कई लोगों में एपिस्क्लेरिटिस की समस्या होने पर खुद ही ठीक भी हो जाती है, लेकिन अगर परेशानी कम नहीं होने पर वक्त रहते इलाज नहीं करवाया गया तो तकलीफ बढ़ सकती है। क्योंकि इससे कंजंक्टिवाइटिस या स्केलेराइटिस जैसी आंखों की बीमारी का खतरा बना रहता है। आंख की यह परेशानी किसी भी उम्र में महिला या पुरुषों में देखी जा सकती है।
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एपिस्क्लेरिटिस के लक्षण क्या हैं?
एपिस्क्लेरिटिस के मुख्य लक्षण आंख में लालिमा होना। ऐसा प्रायः एक ही आंख में होता है, लेकिन कभी-कभी दोनों आंखें भी लाल हो जाती हैं। एपिस्क्लेरिटिस दो अलग-अलग तरह की बीमारी होती है और दोनों ही अलग-अलग होते हैं। जैसे:
सरल (Simple)- सरल एपिस्क्लेरिटिस होने पर आंखें लाल हो जाती हैं।
गांठदार (Nodular)- गांठदार एपिस्क्लेरिटिस होने पर आंखों पर (सफेद भाग) ब्लड क्लॉट जैसा नजर आना।
इन दोनों लक्षणों को आसानी से समझा जा सकता है, क्योंकि सरल एपिस्क्लेरिटिस के दौरान आंखें सिर्फ लाल होती हैं। वहीं गांठदार एपिस्क्लेरिटिस की स्थिति को आसानी से समझा जा सकता है, क्योंकि इसमें ब्लड क्लॉट जैसी संरचना बन जाती है या बनने लगती है।
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एपिस्क्लेरिटिस के कारण क्या हैं?
आंख की बीमारी के मुख्य कारण क्या हो सकते हैं यह साफ नहीं है। लेकिन मेडिलाइनप्लस डॉट जीओवी में पब्लिश्ड रिसर्च के अनुसार इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं। जैसे:
- रूमेटाइड अर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis)
- लूपस (lupus)
- क्रोनिक डिजीज (Crohn’s disease)
- हर्पिस जोस्टर (Herpes zoster)
- सिफ्लिस (Syphilis)
- ट्यूबरक्लोसिस (Tuberculosis)
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आंख की इस बीमारी का निदान कैसे किया जाता है?
एपिस्क्लेरिटिस (Episcleritis) के निदान के लिए नेत्र चिकित्सक आई चेकअप करवाने की सलाह देते हैं। इस दौरान डॉक्टर आंखों के रंग को देखकर आई चेकअप करते हैं। अगर लाल रंग की जगह हल्के नीले बैंगनी का इस्तेमाल करते हैं, तो वे आपको स्केलेराइटिस का निदान कर सकते हैं। वहीं एक और अन्य तरह से आई चेकअप की जा सकती है, जिसे स्लिप लैंप एग्जामिनेशन कहते हैं। इस टेस्ट के दौरान स्लिट लैंप नाम की मशीन का इस्तेमाल किया जाता है। इस दौरान डॉक्टर आंखों के सामने एक 3 डी-दृश्य रखते हैं। यह ध्यान रखें की इस आई चेकअप के दौरान डॉक्टर आंखों में आई ड्रॉप डालते हैं।
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एपिस्क्लेरिटिस का इलाज कैसे किया जाता है?
आंख में सूजन या लाल होने पर एपिस्क्लेरिटिस का इलाज नहीं किया जाता है और यह अपने आप ही ठीक होने वाली परेशानी है। इससे आंखों को कोई तकलीफ भी नहीं पहुंचती है। लेकिन अगर तकलीफ ज्यादा होती है, डॉक्टर निम्नलिखित तरह से इलाज किया जा सकता है। जैसे:
- कॉर्टिकोस्टेरॉइड आई ड्रॉप्स आंखों में डालने की सलाह देते हैं।
- कृत्रिम आंसू की बूंदें डालकर।
- नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स, जैसे इबुप्रोफेन आदि।
मुख्यतः इन्हीं तरहों से इलाज किया जाता है। लेकिन आप अपनी मर्जी से इलाज करने से पहले डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। अगर एपिस्क्लेरिटिस की परेशानी आपको महसूस होती है, तो शुरुआती वक्त में कुछ घरेलू उपाय का सहारा ले सकते हैं। इस आर्टिकल में आगे जानिए इसके घरेलू उपायों के बारे में।
एपिस्क्लेरिटिस के क्या हैं घरेलू उपाय?
आंखों की इस परेशानी को दूर करने के लिए निम्नलिखित आसान से घरेलू उपाय अपनाये जा सकते हैं। इन उपायों में शामिल है:
- आई कूल आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें।
- आंखों को बर्फ से सेकें (आप सॉफ्ट कॉटन के कपड़ों में बर्फ दाल कर आंख की सिकाई करें)
- धूप में बाहर निकलने से पहले सनग्लास पहनना न भूलें।
- आंखों में ताजे पानी के छीटें मारें।
- टीवी, कंप्यूटर या मोबाइल फोन से दूरी बनायें।
इन छोटे-छोटे उपायों से आंखों की परेशानी खासकर एपिस्क्लेरिटिस से आसानी से बचा जा सकता है।
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एपिस्क्लेरिटिस होने के दौरान क्या करें?
अगर आपको एपिस्क्लेरिटिस हुआ है, तो टेंशन ना लें। एपिस्क्लेरिटिस की समस्या दो से चार दिनों में ठीक हो जाती है। हां, इस दौरान आपको तकलीफ महसूस हो सकती है और आप असहज महसूस कर सकते हैं। लेकिन अगर आपकी एक हफ्ते से ज्यादा बनी रहे, तो डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करें। इस आर्टिकल में आगे जानिए कब आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
नेत्र चिकित्सक से कब करें संपर्क?
निम्नलिखित स्थितियों में नेत्र चिकित्सक से जरूर कंसल्ट करें। जैसे:
- एक सप्ताह से ज्यादा तकलीफ बनी रहे।
- आंखों का सूजन कम ना हो।
- दोनों आंखों से परेशानी हो।
- देखने में कठनाई महसूस होना।
अगर ऊपर बताई स्थिति होती है, तो देरी ना करें। क्योंकि किसी भी शारीरिक तकलीफ शुरुआती स्टेज में आसानी से की जा सकती है और आप जल्द स्वस्थ्य हो सकते हैं।
अगर आप एपिस्क्लेरिटिस (Episcleritis) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।