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यह टेस्ट एंटी-न्यूट्रोफिल साइटोप्लाज्मिक एंटीबॉडी (एएनसीए) की जांच करता है। एंटीबॉडी शरीर में मौजूद एक प्रोटीन होता है जो इम्यून सिस्टम (सुरक्षा प्रणाली) द्वारा निर्मित किया जाता है।
यह प्रोटीन शरीर में बाहर से आए पदार्थों जैसे वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं। एएनसीए भी एक प्रकार का एंटीबॉडी होता है जो सुरक्षा प्रणाली में खराबी आने के कारण स्वस्थ ऊतकों न्यूट्रोफिल (एक प्रकार की सफेद रक्त कोशिकाएं) पर हमला करने लगता है। इस स्थिति को ऑटोइम्यून वैस्कुलाइटिस (सुरक्षा प्रणाली के कारण रक्त वाहिकाओं में सूजन) कहते हैं।
रक्त वाहिकाएं खून को हृदय से लेकर शरीर के सभी अंगों, ऊतकों और अन्य कार्य प्रणालियों (सिस्टम) तक पहुंचा कर वापिस लाने का कार्य करती हैं। रक्त वाहिकाओं के तीन प्रकार होते हैं जिसमें आर्टरीज (धमनियां), नसें और कोशिकाएं शामिल हैं। रक्त वाहिकाओं में सूजन होने के कारण कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी विकार उत्पन्न हो सकते हैं। इन समस्याओं की विभिन्नता इस बात पर निर्भर करती है कि कौन-सी रक्त वाहिका और कार्य प्रणाली प्रभावित हुई है।
एंटी-न्यूट्रोफिल साइटोप्लाज्मिक एंटीबॉडी के दो मुख्य प्रकार हैं। इनमें से हर एक सफेद रक्त कोशिकाओं में मौजूद विशिष्ट प्रोटीन को टारगेट करते हैं :
एंटी-न्यूट्रोफिल साइटोप्लाज्मिक एंटीबॉडी टेस्ट यह दर्शाता है कि आपके शरीर में एक या दोनों प्रकार की एंटीबॉडीज मौजूद हैं या नहीं। यह डॉक्टर को आपके विकार को बेहतर ढंग से समझने और उसके इलाज में मदद करता है।
एंटी-न्यूट्रोफिल साइटोप्लाज्मिक एंटीबॉडी टेस्ट और/या एमपीओ और पीआर-3 टेस्ट की सलाह सिस्टमिक ऑटोइम्यून वैस्कुलाइटिस के संकेत और लक्षण दिखाई देने पर दी जाती है। शुरूआती चरण में बीमारी के लक्षण अस्पष्ट और असामान्य हो सकते हैं जैसे कि बुखार,थकावट, वेट लॉस, मांसपेशियों और जोड़ो में दर्द और रात के समय अधिक पसीना आना। बीमारी के बढ़ने पर शरीर की सभी रक्त वाहिकाएं प्रभावित होने लगती हैं और कई प्रकार के ऊतकों और अंगों से संबंधित विकारो की जटिलताएं सामने आ सकती हैं। इसके कुछ लक्षणों में निम्न स्थितियां शामिल हैं :
ऑटोइम्यून वैस्कुलाइटिस के इलाज के दौरान समय-समय पर परीक्षण करवाने पड़ सकते हैं।
इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (पाचन तंत्र में सूजन और संक्रमण) के संकेत और लक्षण दिखाई देने व डॉक्टर के क्रोहन डिजीज (पाचन तंत्र की रेखा में सूजन) और अल्सरेटिव कोलाइटिस के बीच पहचान करने के लिए एंटी-न्यूट्रोफिल साइटोप्लाज्मिक एंटीबॉडी टेस्ट के साथ एंटी-सैकरोमाइसीज सेरेविसी एंटीबॉडी (एएससीए) करवाने की भी सलाह दी जा सकती है।
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ऊपर दिए गए किसी भी लक्षणों के दिखाई देने पर एएनसी टेस्ट के साथ निम्न परीक्षणों को करवाने की सलाह दी जा सकती है :
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कुछ मामलों में मरीजों को हेपेटाइटिस या साइटोमेगालोवायरस जैसे वायरस की पहचान के लिए अन्य टेस्ट की सलाह भी दी जा सकती है। अन्य लक्षणों की पहचान के लिए एंटी-न्यूट्रोफिल साइटोप्लाज्मिक एंटीबॉडी परीक्षण के पहले या साथ में सभी प्रकार के टेस्ट अनिवार्य होते हैं।
अधिकतर मामलों में ऑटोइम्यून वैस्कुलाइटिस के परीक्षण के लिए प्रभावित रक्त वाहिका की बायोप्सी की मदद से पहचान कर ली जाती है।
यह टेस्ट एक सामान्य ब्लड टेस्ट की तरह होता है जिसके लिए किसी खास प्रकार की तैयारी की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
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डॉक्टर शुरुआत में बांह की नस से सुई के जरिए खून का सैंपल लेते हैं। इसके बाद इस सैंपल को एक ट्यूब में डाला जाता है और जांच के लिए विशेष लैब भेज दिया जाता है। सुईं के कारण हल्का दर्द महसूस हो सकता है जिसे कम करने के लिए आप चाहें तो सुई वाली जगह पर कुछ समय के लिए दबाव बना सकते हैं।
इस प्रक्रिया के कोई गंभीर जोखिम नहीं होते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में सुई लगने वाली जगह पर सूजन, जलन और नील पड़ने का खतरा हो सकता है। लेकिन घबराने की कोई बात नहीं है क्योंकि यह सभी लक्षण कुछ ही देर में गायब हो जाते हैं। यदि आप खून पतला करने की दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो इस बात की जानकारी टेस्ट से पहले डॉक्टर को अवश्य दें।
कुछ लैब एंटी-न्यूट्रोफिल साइटोप्लाज्मिक एंटीबॉडी, एमपीओ और पीआर-3 तीनों टेस्ट को एक साथ करते हैं तो कुछ एमपीओ और पीआर-3 केवल एंटी-न्यूट्रोफिल साइटोप्लाज्मिक एंटीबॉडी टेस्ट के रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर करते हैं।
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यदि आपके एंटी-न्यूट्रोफिल साइटोप्लाज्मिक एंटीबॉडी टेस्ट का रिजल्ट नेगेटिव आता है तो इसका अर्थ यह हो सकता है कि आपके लक्षणों का कारण ऑटोइम्यून वैस्कुलाइटिस नहीं है।
अगर एंटी-न्यूट्रोफिल साइटोप्लाज्मिक एंटीबॉडी टेस्ट का रिजल्ट पॉजिटिव आता है तो यह ऑटोइम्यून वैस्कुलाइटिस का संकेत हो सकता है। यह सी एएनसीए या पी एएनसीए के लक्षण भी हो सकते हैं।
हालांकि, रिजल्ट में कोई भी एंटीबॉडीज पाए गए तो परीक्षण के लिए आपको बायोप्सी टेस्ट की आवश्यकता पड़ सकती है। बायोप्सी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें टेस्ट के लिए ऊतक या कोशिका का एक छोटा सा सैंपल निकाला जाता है। चिकित्सक खून में एएनसीए की संख्या मापने के लिए अन्य टेस्ट की सलाह दे सकते हैं।
यदि आपका ऑटोइम्यून वैस्कुलाइटिस का इलाज चल रहा है तो इस टेस्ट की मदद से इलाज के असर के बारे में पता लगाया जा सकता है। अपने परिणामों को लेकर किसी भी प्रकार के सवालों के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
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