परिभाषा
प्रोलैक्टिन टेस्ट (Prolactin Test) क्या है?
प्रोलैक्टिन (PRL) एक हार्मोन होता है जो खून में पाया जाता है। प्रोलैक्टिन टेस्ट खून में प्रोलैक्टिन की मात्रा जानने के लिए किया जाता है। यह हार्मोन पिट्यूटरी ग्रंथि में बनता है, जो मस्तिष्क के ठीक नीचे स्थित होता है।
रक्त में हार्मोन प्रोलैक्टिन की मात्रा कम होने से व्यक्ति की प्रजनन क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। डॉक्टर प्रोलैक्टिन टेस्ट तब लिखते हैं जब आपके ब्लड में प्रोलैक्टिन लेवल जानना होता है। टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद डॉक्टर उस अनुसार आपको दवा लिखता है। प्रोलैक्टिन ही वो हार्मोन है जो प्रेग्नेंट और ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान शरीर को दूध बनाने के लिए बताता है।
आमतौर पर जब कोई महिला प्रेग्नेंट होती है या शिशु को जन्म देती है तो उनके खून में प्रोलैक्टिन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे उनके स्तन में दूध का विकास होता है। लेकिन अगर कोई महिला गर्भवती नहीं है तो उनके प्रोलैक्टिन स्तर में वृद्धि हो सकती है। यह समस्या पुरुषों के साथ भी देखी जाती है।
महिलाओं में प्रोलैक्टिन का नॉर्मल स्तर 25 (नेनोग्राम, मिलीलीटर) होता है जबकि पुरुषों में 17 (नेनोग्राम, मिलीलीटर) है।
प्रोलैक्टिन टेस्ट (Prolactin Test) क्यों किया जाता है?
निम्नलिखित लक्षणों के होने पर डॉक्टर प्रोलैक्टिन टेस्ट की सिफारिश कर सकते हैः
महिलाओं के लिए
- अनियमित मासिकधर्म
- पीरियड्स नहीं होना
- बांझपन
- बिना प्रेग्नेंसी या नर्सिंग के स्तनों में दूध आना
- स्तनों का अत्यधिक कोमल होना
- योनि का सूखापन
- प्रोलैक्टिनोमा नामक पिट्यूटरी ग्रंथि की वृद्धि के लक्षण नजर आने पर
किसी पिट्यूटरी डिसऑर्डर के चलते
पुरुषों के लिए
- सेक्स की इच्छा में कमी
- इरेक्शन होने में कठिनाई
- स्तन की कोमलता या वृद्धि
- स्तन में दूध आना
दोनों के लिए
- सिरदर्द
- नजरों की समस्या
और पढ़ें – MRI Test : एमआरआई टेस्ट क्या है?
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जरूरी सावधानी/चेतावनी
प्रोलैक्टिन टेस्ट कराने से पहले मुझे क्या पता होना चाहिए?
- इस टेस्ट को कराने के लिए किसी खास तरह की तैयारी करने की जरूरत नहीं होती है। टेस्ट करवाने के लिए आप किसी भी नजदीकी लैब या अस्पताल में अपने खून का नमूना देकर यह टेस्ट करवा सकते हैं।
- टेस्ट के पहले गर्भनिरोधक, हाई ब्लडप्रेशर या डिप्रेशन का उपचार करने वाली दवाओं का सेवन न करें। अगर ऐसी किसी भी दवा का सेवन करते हैं तो उसके बारे में डॉक्टर को बताएं।
- किसी भी तरह के दुष्प्रभावों से बचने के लिए आपको उन सभी दवाओं की एक लिस्ट रखनी चाहिए जिनका आप उपयोग कर रहे हैं (जिसमें डॉक्टर के पर्चे वाली दवाएं, गैर-पर्चे वाली दवाएं और हर्बल प्रोडक्ट्स शामिल होने चाहिए) और इसे डॉक्टर को दिखाएं।
- टेस्ट से पहले या बाद में बिना डॉक्टरी सलाह के किसी भी दवा का सेवन करना हानिकारक हो सकता है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
- टेस्ट कराने के दौरान अधिक तनाव लेना या अधिक कसरत करते हैं तो यह भी आपके टेस्ट के परिणामों को प्रभावित कर सकता है।
- प्रोलैक्टिन टेस्ट (Prolactin Test) सामान्य खून जांच की तरह की किया जाता है। किसी भी लैब या अस्पताल में अपने खून का नमूना देकर यह टेस्ट करवाया जा सकता है।
- महिलाओं को मासिक धर्म आने पर यह टेस्ट नहीं करवाना चाहिए। क्योंकि, मासिक धर्म के दौरान खून में प्रोलैक्टिन की मात्रा बढ़ जाती है। जिसका स्तर दिनभर घटता-बढ़ता रहता है।
- साथ ही सोने के तुरंत बाद भी यह टेस्ट नहीं करवाना चाहिए। आमतौर पर सो कर उठने के 3 से 4 घंटों के बाद ही यह टेस्ट करवाना चाहिए।
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प्रोलैक्टिन टेस्ट के दौरान क्या होता है?
कैसे होता है प्रोलैक्टिन टेस्ट (Prolactin Test)?
इस टेस्ट के खून की कुछ बूंदें काफी होती है। इस दौरान कुछ लोगों को हल्के दर्द का एहसास हो सकता है। खून का नमूना देने के कुछ दिनों बाद उन्हें इसका परिणाम मिल सकता है।
खून में प्रोलैक्टिन की सामान्य मात्रा:
- पुरुष: 2 से 18 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर (एनजी/एमएल)
- गैर-गर्भवती महिला: 2 से 29 एनजी/एमएल
- गर्भवती महिला: 10 से 209 एनजी/एमएल
प्रोलैक्टिन स्तर उच्च होता है तो
लैब के आधार पर खून में प्रोलैक्टिन की सामान्य से अधिक मात्राः
- अगर आपके खून में इसकी मात्रा सामान्य रेंज से अधिक है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपको किसी तरह की समस्या है। जब आप अपना ब्लड टेस्ट करवाते हैं तो कभी-कभी इसका स्तर अधिक हो सकता है। आमतौर पर ऐसा तब होता है जब आप खाना खा रहे हैं होते हैं या अधिक तनाव लेते हैं तो।
- अगर आपके खून में इसका स्तर बहुत अधिक है (सामान्य से 1,000 गुना अधिक) तो आप में प्रोलैक्टोमा के लक्षण पाए जा सकते हैं। यह ट्यूमर होता है, लेकिन इसमें कैंसर के लक्षण नहीं होते हैं। इसका इलाज दवाओं के इस्तेमाल से किया जा सकता है। ऐसी स्थिति होने पर आपका डॉक्टर आपको एमआरआई टेस्ट करवाने की सिफारिश कर सकता है।
लैब के आधार पर खून में प्रोलैक्टिन की सामान्य से कम मात्राः
अगर आपके प्रोलैक्टिन का स्तर सामान्य कम होता है, तो इसका मतलब हो सकता है कि आपकी पिट्यूटरी ग्रंथि सही से काम नहीं कर पा रही है। जिसे हाइपोपिटिटारिज्म कहा जाता है। प्रोलैक्टिन के निचले स्तर को बढ़ाने के लिए आमतौर पर उपचार की आवश्यकता नहीं होती है।
निम्न दवाओं का सेवन घटा सकता है प्रोलैक्टिन की मात्राः
- डोपामाइन- इसका इस्तेमाल डिप्रेशन के उपचार के लिए किया जाता है।
- लेवाडोपा- इसका इस्तेमाल पार्किंसंस रोग के उपचार के लिए किया जाता है। जो केंद्रीय तंत्रिका का रोग होता है।
- अरगट अल्कालॉएड डेरिवेटिव्स- इसका इस्तेमाल गंभीर सिर दर्द के उपचार के लिए किया जाता है।
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उपचार
कैसे किया जाता है प्रोलैक्टिन का उपचार?
खून में अगर प्रोलैक्टिन की अधिक मात्रा होती है तो इसके उपचार की आवश्यकता नहीं होती है।
- कुछ मामलों में, आपका डॉक्टर प्रोलैक्टिन के स्तर को कम करने के लिए कुछ दवाओं के सेवन की सलाह दे सकते हैं।
- प्रोलैक्टिनोमा के लक्षण होने पर डॉक्टर आपको ट्यूमर के आकार को कम करने और प्रोलैक्टिन की मात्रा कम करने के लिए दवा की खुराक देंगे।
- आपको प्रोलौक्टिन टेस्ट की जरूरत है या नहीं इसके लिए आप अपने नजदीकी अस्पताल में डॉक्टर, नर्स या फेलबोटोमिस्ट से अपने खून की जांच करवा के पता कर सकते हैं।
अगर इस टेस्ट से जुड़ा आपका कोई सवाल है तो कृपया अपने चिकित्सक से चर्चा करें। हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।
हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में प्रोलैक्टिन टेस्ट से जुड़ी ज्यादातर जानकारियां देने की कोशिश की है, जो आपके काफी काम आ सकती हैं। अगर आपको ऊपर बताया गया कोई भी लक्षण नजर आता है तो आपका डॉक्टर आपको यह टेस्ट रिकमेंड कर सकता है। अपने डॉक्टर से कंसल्ट करें बिना खुद से यह टेस्ट न कराएं। प्रोलैक्टिन टेस्ट से जुड़ी यदि आप अन्य जानकारी चाहते हैं तो आप हमसे कमेंट कर पूछ सकते हैं।
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