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हमारा हृदय पूरे शरीर में रक्त पहुंचाने का कार्य करता है और धमनियों का एक नेटवर्क जिसे कोरोनरी आर्टरी कहा जाता है, वह हृदय की मांसपेशियों तक खून पहुंचाता है। इस नेटवर्क के संकुचित होने पर हमारे हृदय के लिए साफ खून और ऑक्सीजन पाना मुश्किल हो जाता है। यदि ऐसा होता है तो आप हार्ट अटैक व अन्य गंभीर रोगों के खतरे में आ जाते हैं।
कार्डियक परफ्यूजन टेस्ट डॉक्टर को यह जानने में मदद करता है कि आपके हृदय को सुनिश्चित मात्रा में रक्त प्राप्त हो रहा है या नहीं। इस टेस्ट को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे मायोकार्डियल परफ्यूजन स्कैन, थैलियम स्ट्रेस टेस्ट, न्यूक्लियर स्ट्रेस टेस्ट और रेडियोन्यूक्लाइड टेस्ट।
कार्डियक परफ्यूजन टेस्ट के दौरान व्यक्ति में रेडियोएक्टिव डाई इंजेक्ट की जाती है और एक इमेजिंग मशीन की मदद से हृदय की मांसपेशियों की जांच होती है। इस रेडियोएक्टिव डाई को रेडियोन्यूक्लाइड कहा जाता है। इसकी मदद से व्यक्ति के हृदय की गति और रक्त स्राव पर नजर रखी जाती है।
कार्डियक परफ्यूजन टेस्ट सोते समय और हल्के व्यायाम के बाद व्यक्ति के रक्त प्रवाह को मापने का कार्य करता है। इस प्रकिया में 3-4 घंटों का समय लगता है। हालांकि, इस टेस्ट के दौरान मरीज को रेडिएशन के संपर्क में लाया जाता है लेकिन फिर भी इसे एक सुरक्षित टेस्ट माना जाता है।
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कार्डियक परफ्यूजन टेस्ट के करवाने के कई लाभ होते हैं जिसकी मदद से व्यक्ति अपने हृदय की प्रक्रिया के बारे में बेहतर तरीके से जान पाता है और भविष्य में होने वाले हृदय रोग को टालने की कोशिश कर सकता है। इसके अलावा इस टेस्ट की मदद से व्यक्ति अपने हृदय के बारे में निम्न बातें और स्वास्थ्य संबंधी स्थितियों को जान पाता है :
कार्डियक परफ्यूजन टेस्ट की मदद से यह भी पता लगाया जा सकता है कि मरीज हृदय के इलाज की प्रक्रिया के लिए तैयार है या नहीं और यदि तैयार है भी तो उसे कितनी कठिन कसरत करने की आवश्यकता होगी।
इसके अलावा डॉक्टर आपमें कुछ गंभीर लक्षण दिखाई देने पर इस टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। डॉक्टर अक्सर कार्डियक परफ्यूजन टेस्ट व्यक्ति को हार्ट अटैक आने के बाद या एनजाइना, कोरोनरी हार्ट डिजीज और सीने में दर्द के लक्षण दिखाई देने पर करवाने के लिए कह सकते हैं। बाईपास सर्जरी की स्थिति जानने के लिए भी यह टेस्ट करवाया जा सकता है।
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हालांकि, कार्डियो परफ्यूजन टेस्ट पूरी तरह से सुरक्षित होता है लेकिन फिर भी इसके दौरान एहतियात बरतने की आवश्यकता होती है। कई लोग थैलियम स्ट्रेस टेस्ट को आसानी से झेल जाते हैं लेकिन कुछ को इसके दौरान मुश्किल महसूस हो सकती है।
व्यायाम को बढ़ावा देने वाली दवा का इंजेक्शन लगते ही आपको चुभन और गर्मी महसूस हो सकती है। कुछ लोगों को सिरदर्द, मतली और हृदय की गति तेज होने जैसे दिक्कतें भी महसूस हो सकती हैं।
शरीर में डाला गया रेडियोएक्टिव पदार्थ पेशाब की मदद से आपके शरीर से बाहर निकल जाएगा। रेडियोएक्टिव पदार्थ के कारण होने वाले दुष्प्रभावों की आशंका बेहद दुर्लभ होती है। टेस्ट की दुर्लभ जटिलताओं में निम्न मुख्य रूप से शामिल हैं :
इनमें से कोई लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
टेस्ट से एक रात पहले कुछ भी न खाएं या कम से कम 4 घंटे पहले कुछ न खाएं। ऐसा करने से व्यायाम के दौरान तबियत खराब नहीं होगी। कसरत के लिए आरामदायक कपड़े व जूते पहनें। टेस्ट से ठीक 24 घंटे पहले कैफीन जैसे कॉफी और कोल्ड ड्रिंक, चाय, सोडा और चॉकलेट में से किसी का भी सेवन न करें। कम कैफीन वाली कॉफी और दर्द निवारक दवाओं का भी सेवन न करें।
अगर आप किसी दवा या सप्लीमेंट का सेवन कर रहे हैं तो डॉक्टर को इस बारे में जरूर बताएं क्योंकि इनका टेस्ट के परिणामों पर काफी असर पड़ता है।
कार्डियक परफ्यूजन टेस्ट या थैलियम स्ट्रेस टेस्ट को दो चरणों में बांटा गया है – एक व्यायाम के साथ और दूसरा व्यायाम के बिना। व्यायाम के बिना टेस्ट के दौरान मरीज की बांह या हाथ पर रेडियोन्यूक्लाइड जैसे थैलियम का इंजेक्शन लगाया जाता है। जब रेडियोन्यूक्लाइड रक्त बहाव में घुल जाता है तब एक गामा कैमरा की मदद से हृदय की तस्वीरें ली जाती है। इस दौरान व्यक्ति टेबल पर लेटा होता है और इसलिए इसे रेस्ट स्कैन भी कहते हैं।
इसके बाद मरीज को ट्रेडमिल या साइकिल चलाने को कहा जाता है। शुरुआत में गति को धीमा रखा जाता है और जरूरत के अनुसार स्पीड बढ़ाते जाते हैं। ज्यादा कसरत करने पर एक और रेडियोन्यूक्लाइड इंजेक्शन लगाया जाता है। रक्त प्रवाह में इसके फैलते ही गामा कैमरा की मदद से हृदय की फिर से तस्वीरें ली जाती हैं। इस प्रक्रिया को स्ट्रेस स्कैन कहते हैं।
परीक्षण के अंदर रेडियोन्यूक्लाइड क्षतिग्रस्त व संकुचित धमिनयों का पता लगता है क्योंकि संकुचित धमनियां रेडियोन्यूक्लाइड को नहीं सोख पाती हैं और इन्हें कोल्ड स्पॉट्स के नाम जाना जाता है।
परिणाम टेस्ट करवाने के कारण, आपकी उम्र, हृदय रोग की हिस्ट्री और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर निर्भर करते हैं।
यदि आपकी रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो इसका मतलब है कि आपके हृदय की धमनियों में रक्त प्रवाह सही ढंग से हो रहा है और उन्हें किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंची है।
पॉजिटिव रिपोर्ट में निम्न स्थितियां शामिल हो सकती हैं :
आपके हृदय की स्थिति को जांचने के लिए डॉक्टर अन्य टेस्ट करवाने की सलाह भी दे सकते हैं। परिणामों के आधार पर डॉक्टर इलाज की प्रक्रिया के बारे में बताएंगे। परिणाम से जुड़े किसी भी प्रकार के सवालों के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
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