परिचय
लड़कों में जन्म के समय से पीनस में मौजूद डिफेक्ट को दूर करने के लिए हायपोस्पेडियस सर्जरी की जाती है। हायपोस्पेडियस (अधोमूत्रमार्गता) एक जन्मजात स्थिति है जिसमें लड़कों के जेनिटल सामान्य तरीके से काम नहीं करते और ना ही सामान्य दिखते हैं। पेडियाट्रिक यूरोलॉजिस्ट इस समस्या को दूर करने के लिए सर्जिकल तकनीक का सहारा लेते हैं। आमतौर पर इस समस्या से पीड़ित बच्चों का पीनस जन्म से ही टेढ़ा होता है और मूत्रनली भी पूरी तरह विकसित नहीं होती है।
हायपोस्पेडियस (Hypospadias) क्या है?
यह (अधोमूत्रमार्गता) लड़कों को जन्म से ही होने वाली एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है जिसमें उनका पीनस असामान्य होता है। पीनस के टिप पर होल (छेद) नहीं होता, बल्कि यह पीनस के अंत में या मीडिल में हो सकता है, या अंडकोष में भी हो सकता है। यह एक सामान्य जन्मजात समस्या है जो 200 में से 1 बच्चे में पाई जाती है। इस समस्या को ठीक करने के लिए हायपोस्पेडियस सर्जरी की जरूरत पड़ती है। यह सर्जरी आमतौर पर तभी की जाती है जब बच्चा 6 महीने से 2 साल के बीच होता है। इसके लिए बच्चे को एडमिट करने की भी जरूरत नहीं पड़ती है। सर्जरी के दौरान हाइपोस्पेडिया को ठीक करने के लिए फोरस्किन के एक्स्ट्रा टिशूज की जरूरत हो सकती है। सर्जरी के दौरान बच्चे को जनरल एनेस्थिसिया दिया जाता है। यदि समस्या ज्यादा गंभीर नहीं है, तो यह एक बार सर्जरी से ही ठीक हो जाती है। पीनस में मौजूद डिफेक्ट यदि गंभीर है तो या एक से ज्यादा बार सर्जरी करनी पड़ सकती है।
हायपोस्पेडियस (Hypospadias) किन कारणों से होता है?
- गर्भ में शिशु का 7 से 15वें हफ्ते में सही विकास न होना (इसी दौरान उनके जननांग बनते हैं)
- मां को होने वाली कोई जेनेटिक समस्या
- प्रेग्नेंसी के समय यदि महिला को रूबेला इन्फ्लूएंजा जैसी कोई वायरल बीमारी हुई हो
- हाॅर्मोनल असंतुलन
- इंट्रायूटरान इंफेक्शन
- स्ट्रेस
- हेल्दी फूड न खाना
हायपोस्पेडियस सर्जरी (Hypospadias Surgery) क्यों की जाती है?
हायपोस्पेडियस लड़कों में होने वाला सामान्य बर्थ डिफेक्ट है, जिसे दूर करने के लिए हायपोस्पेडियस सर्जरी की जाती है। यदि इसे रिपेयर नहीं किया जाए तो आगे चलकर ये समस्याएं हो सकती हैं-
- यूरिन स्ट्रीम को कंट्रोल करने में समस्या
- इरेक्शन के समय पीनस में कर्व बनना
- फर्टिलिटी कम होना
- पीनस की बनावट को लेकर शर्मिंदगी महसूस करना
यदि हायपोस्पेडियस की वजह से सामान्य रूप से खड़े होकर यूरिनेशन में कोई समस्या नहीं है, सेक्शुअल फंक्शन या सीमन इकट्ठा होने पर कोई असर नहीं पड़ता है, तो सर्जरी की जरूरत नहीं होती है।
हायपोस्पेडियस सर्जरी किस उम्र में की जाती है?
जब बच्चा 6 महीने से 2 साल के बीच होता है तभी यह सर्जरी की जाती है। इसके लिए बच्चे को हॉस्पिटलाइज्ड करने की जरूरत नहीं होती है।
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जोखिम
सभी सर्जरी की तरह ही इस सर्जरी के साथ भी कुछ जोखिम जुड़े हैं।
हायपोस्पेडियस सर्जरी से जुड़े जोखिमों में शामिल हैं :
- एक होल (छेद) जो मूत्र (फिस्टुला) को लीक करता है
- बड़ा ब्लड क्लॉट (हेमाटोमा)
- सर्जरी किए हुए यूरेथ्रा (मूत्रमार्ग) में निशान पड़ना या संकुचन होना
हायपोस्पेडियस सर्जरी की कीमत
हायपोस्पेडियस सर्जरी की कीमत 40,000 से 3,00,000 लाख के बीच होती है। हर शहर में इसकी कीमत अलग-अलग हो सकती है।
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प्रक्रिया
हायपोस्पेडियस सर्जरी की प्रक्रिया
डॉक्टर आपसे बच्चे की कंप्लीट मेडिकल हिस्ट्री पूछ सकता है। इसके बाद वह फिजिकल एग्जामिनेशन करेगा।
सर्जरी से पहले
डॉक्टर को हमेशा निम्न बातों की जानकारी दें।
- आपके बच्चे को कौन सी दवा दी जा रही है
- बिना प्रिस्क्रिप्शन के आप बच्चे को कौन सी दवा, हर्ब्स या विटामिन दे रहे हैं
- आपके बच्चे को किसी तरह की दवा से कोई एलर्जी तो नहीं है, लैटेक्स, टेप या स्किन क्लीनर
- इन सबके साथ ही आप भी बच्चे के डॉक्टर से पूछें कि सर्जरी के दिन उसे कौन सी दवा दी जानी है।
सर्जरी के दिन
- आमतौर पर बच्चे को सर्जरी से 6 से 8 घंटे पहले या सर्जरी के पहले आधी रात से ही कुछ भी खाने और पीने के लिए मना किया जा सकता है।
- डॉक्टर ने यदि बच्चे को कोई दवा देने के लिए कहा है तो उसे कम पानी के साथ दें
- डॉक्टर आपको बताएगा कि सर्जरी के लिए कब आना है
- सर्जरी से पहले बच्चे की सेहत भी देखी जाती है। यदि बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है तभी सर्जरी की जाती है, यदि बच्चा बीमार है तो कुछ दिनों के लिए सर्जरी टाल दी जाएगी।
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सर्जरी के बाद
- सर्जरी के तुरंत बाद बच्चे के पीनस को टेप के जरिए पेट के साथ चिपका दिया जाता है ताकि वह हिले नहीं।
- पीनस के जिस हिस्से पर सर्जरी हुई है उस जगह को प्रोटेक्ट करने के लिए उस हिस्से को मोटे कपड़े या प्लास्टिक कप से ढक दिया जाता है। यूरिनरी कैथेटर (एक तरह की ट्यूब जो ब्लैडर से यूरिन निकालने के लिए इस्तेमाल की जाती है) को ड्रेसिंग के जरिए डाला जाता है ताकि यूरिन डायपर में फ्लो हो सके।
- आपके बच्चे को तरल पदार्थ पीने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि वह यूरिनेट करे। पेशाब करते रहने से यूरेथ्रा (मूत्रमार्ग) पर प्रेशर बना रहेगा।
- दर्द से राहत के लिए बच्चे को दवा दी जा सकती है। अधिकांश समय सर्जरी के दिन ही बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है।
- अस्पताल से छुट्टी देने के बाद डॉक्टर आपको पूरी जानकारी देंगे कि बच्चे की देखभाल किस तरह से करनी है।
रिकवरी
सर्जरी के बाद बच्चे को ठीक होने में एक से दो हफ्ते लग सकते हैं।
अस्पताल से घर आने के बाद शुरुआत में बच्चे को नींद ज्यादा आ सकती है और उसे कुछ भी खाने और पीने का मन कर सकता है। ऐसे में उसका ख्याल रखें और उसे हेल्दी फूड ही खिलाएं। बच्चे के पीनस पर सूजन और नील के निशान होते हैं, लेकिन यह कुछ हफ्ते में धीरे-धीरे ठीक हो जाते हैं। इन्हें पूरी तरह से ठीक होने में 6 हफ्ते लग सकते हैं।
सर्जरी के बाद आपके बच्चे को 5 से 14 दिनों के लिए यूरिनरी कैथेटेर की जरूरत पड़ सकती है। इसे छोटे से स्टिच के जरिए बच्चे के शरीर से अटैच किया जाता है और जब बच्चा ठीक हो जाता है और उसे कैथेटर की जरूरत नहीं पड़ती है तो डॉक्टर स्टिच निकाल देता है।
डॉक्टर बच्चे को कुछ दवाइयां लेने की सलाह दे सकता है। जो निम्न हैं।
- इंफेक्शन से बचाव के लिए एंटीबायोटिक्स
- ब्लैडर को रिलैक्स करने के लिए दवा। जिसकी वजह से बच्चे का मुंह ड्राय हो सकता है।
- यदि जरूरत पड़ी तो बच्चे को दर्द निवारक दवा भी दी जा सकती है।
सर्जरी के बाद घर पर बच्चे की देखभाल कैसे करें?
चूंकि यह सर्जरी आमतौर पर बहुत छोटी उम्र में की जाती है इसलिए बच्चे की अधिक देखभाल करने की जरूरत होती है। हालांकि, जहां तक डायट का सवाल है तो आप उसे सामान्य चीजें खाने के लिए दे सकती हैं। इस बात का ध्यान रहे कि उसे लिक्विड चीजें जैसे पानी, जूस आदि अधिक मात्रा में दें ताकि यूरिनेशन एकदम क्लियर रहे। नीचे बताई गई बातों का भी विशेष ध्यान रखें।
- ड्रेसिंग वाली जगह को प्लास्टिक से कवर किया जाता है।
- यदि बच्चे ने पॉटी कर दी है और वह ड्रेसिंग वाले हिस्से के पास पहुंच गई है तो उसे साबुन और पानी से तुरंत साफ कर दें। ध्यान रहे इसे जोर से रगड़े नहीं।
- जब तक ड्रेसिंग है तब तक बच्चे को नहलाएं नहीं, बल्कि स्पंज बाथ दें। इसके लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें। रगड़े नहीं हल्के हाथों से थपथपाकर शरीर को सुखाएं।
- पीनस से कुछ तरल जैसा निकलना या ड्रेसिंग वाले हिस्से पर स्पॉटिंग दिखना आम है। यदि आपका बच्चा अभी भी डायपर पहनता है तो डॉक्टर से पूछ लें कि कैसे आप उसे एक की बजाय दो डायपर पहना सकती हैं।
- डॉक्टर से पूछे बिना बच्चे को कोई पाउडर या क्रीम न लगाएं।
- डॉक्टर आपको 2-3 दिन के बाद ड्रेसिंग हटाने के लिए कह सकते हैं, लेकिन इसे सावधानी से निकालें और ध्यान रहे कि यूरिन कैथेटर न निकलने पाएं।
आपको बच्चे की ड्रेसिंग चेंज करने की जरूरत पड़ सकती है यदि-
- ड्रेसिंग पीनस के आसपास बहुत टाइट है
- 4 घंटे तक कैथेटर से एक बार भी यूरिन पास नहीं हुआ हो
- बच्चे की पॉटी यदि ड्रेसिंग के अंदर चली गई हो
इन बातों का भी रखें ख्याल
- बच्चे इस दौरान अपनी सामान्य गतिविधियां जैसे चलना, खेलना आदि कर सकते हैं
- बड़े बच्चों को इस दौरान साइकिल चलाने, रेस्लिंग जैसे स्पोर्ट्स से कम से कम 3 हफ्ते तक दूर रहना चाहिए। बेहतर होगा कि सर्जरी के बाद कुछ दिनों तक बच्चे को प्री स्कूल या डे केयर में न भेजें।
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कब डॉक्टर को बुलाने की जरूरत है?
यदि बच्चे को इनमें से किसी तरह की समस्या होती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- सर्जरी के बाद बच्चे को यदि लगातार बुखार रहता है
- सर्जरी वाली जगह पर दर्द, सूजन, लीकेज या घाव से खून निकल रहा हो
- पेशाब करने में परेशानी
- कैथेटर के आसपास बहुत अधिक यूरिन लीक होना। इसका मतलब होता है कि ट्यूब ब्लॉक है।
बता दें कि हायपोस्पेडियस की समस्या आमतौर पर लड़कों को जन्म से ही होती है और समय रहते इसका उपचार किया जाना बहुत जरूरी है। इलाज सिर्फ सर्जरी ही है और डॉक्टर की सलाह पर जल्द से जल्द से करवा लेना चाहिए।
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