के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Shruthi Shridhar
कंधे के पास की रोटेटर कफ की चार मांसपेशियों और टेंडंस आपके हाथ के ऊपरी हिस्से को शोल्डर ब्लेड से जोड़ते हैं। किसी भी ट्रॉमा के कारण रोटेटर कफ डैमेज हो सकता है। उसे ठीक करने के लिए की जाने वाली सर्जरी को ही शोल्डर सर्जरी कहते हैं।
कंधे को पास का रोटेटर कफ चार मांसपेशियों और टेंडंस से आपके हाथ के ऊपरी हिस्से को शोल्डर ब्लेड से जोड़ता है। किसी भी ट्रॉमा के कारण रोटेटर कफ डैमेज हो जाता है। उसे ठीक करने के लिए की जाने वाली सर्जरी को ही शोल्डर सर्जरी कहते हैं।
आपको अगर कंधे के रोटेटर कफ के हिस्से पर ट्रॉमा हो जाता है तो आपको सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। सर्जरी की जरूरत तब और होती है जब रोटेटर कफ की स्थिति काफी खराब होती है। इसके पहले डॉक्टर बिना सर्जरी के कंधे पर लगे घाव को ठीक करने की कोशिश करते हैं। अगर नहीं होता है तो सर्जरी की नौबत आती है।
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लेकिन, ये सभी साइड इफेक्ट्स शायद ही कभी देखने को मिले। फिर भी आपको सर्जरी से होने वाले साइड इफेक्ट्स और समस्याओं के बारे में जानना जरूरी है।
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सर्जरी कराने से पहले आपको अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए। डॉक्टर से मिल कर आपको अपनी दवाओं (जो आप पहले से लें रहे हो), एलर्जी और हेल्थ कंडीशन के बारे में बात करनी चाहिए। इसके साथ ही आप अपने एनेस्थेटिस्ट से भी मिलें और सर्जरी के दौरान बेहोश या सुन्न करने की प्रक्रिया प्लान करें। साथ में आप अपने डॉक्टर से जान लें कि आपको सर्जरी से पहले क्या खाना पीना चाहिए। इसके अलावा आप अपने ये भी पूछ लें कि सर्जरी से कितने घंटे पहले से खाना पीना बंद करना है। परिवार के लोगों को भी आप डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों के बारे में बता दें। ज्यादातर मामलों में सर्जरी कराने से छह घंटे पहले से कुछ भी नहीं खाना होता है। ऐसे में डॉक्टर द्वारा बताए गए तरल पदार्थ या ड्रिंक्स ही लें।
ऑपरेशन शुरू करने से पहले बेहोश या सुन्न करने की प्रक्रिया की जाती है। शोल्डर सर्जरी को करने में लगभग 45 मिनट का समय लगता है। शोल्डर सर्जरी के लिए ऑरथ्रोस्कोपी का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें सबसे पहले एक चीरा या कट लगाया जाता है। फिर सर्जरी के दौरान सर्जन उपकरणों की मदद से मोटे टिशू या हड्डी के कुछ हिस्से को निकाल दिया जाता है। इसके बाद सर्जन रोटेटर कफ को रिपेयर करना शुरू करता है। इसके लिए ज्यादातर सर्जन कीहोल सर्जरी (keyhole surgery) को अपनाते हैं। इसके बाद सर्जन हड्डियों के साथ मांसपेशियों को सिलते हुए टांका लगाया जाता है।
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किसी भी सर्जरी में रिस्क तो होता ही है। सर्जरी के बाद इंफेक्शन और नसों के डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, मॉर्डन सर्जरी की तकनीकी और डॉक्टर द्वारा लगातार निगरानी के कारण ये सभी रिस्क कम हो जाते हैं। लेकिन फिर भी आप कुछ लक्षणों के बारे में जानते रहें। किसी भी तरह की समस्या होने पर अपने डॉक्टर से तुरंत मिलें।
सर्जरी के बाद इस तरह की कोई भी समस्या होने पर आप अपने सर्जन से जरूर मिलें।
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अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने सर्जन से जरूर पूछ लें।
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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड
Dr. Shruthi Shridhar