अगर स्टेंट को सही से न लगाया गया हो या यह ठीक से एक्सपेंड न हुआ हो, तो आपके स्टेंट को हाय-प्रेशर बैलून के साथ रि-एक्सपेंड किया जा सकता है। अगर समस्या टिश्यू ही ओवरग्रोथ है, तो अन्य स्टेंट को लगाया जा सकता है।
मेडिसिन (Medicine)
अगर आपको एक ही जगह पर दो बार से अधिक रेस्टेनोसिस (Restenosis) की समस्या हुई है, तो डॉक्टर सिरोलिमस (Sirolimus) या सिलोस्टाजोल (Cilostazol) की सलाह दे सकते हैं। यह दवा आर्टरी में टिश्यू के बिल्ड-अप को कम करने में मदद करती है।
ब्रैकीथेरेपी (Brachytherapy)
यह एक तरह का रेडिएशन थेरेपी है। यह लगभग 10 मिनट के लिए सीधे आर्टरी के अंदर तक रेडिएशन पहुंचाती है। यह आर्टरी में ऐसे टिश्यूज के विकास को रोकने में मदद कर सकता है जो इस परेशानी का कारण बनते हैं ताकि रेस्टेनोसिस (Restenosis) फिर से न हो।
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कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्ट सर्जरी (Coronary artery bypass graft surgery)
इस सर्जरी में आर्टरी के ब्लॉक्ड हिस्से के चारों ओर जाने के लिए शरीर में अन्य भागों से हेल्दी ब्लड वेसल्स का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें ब्लड वेसल्स का एक सिरा ब्लॉकेज के नीचे और एक सिरा ब्लॉकेज के ऊपर जुड़ा होगा।
परक्यूटीनियस तकनीक (Percutaneous technique)
अगर किसी व्यक्ति को टोटल ब्लॉकेज की समस्या है, तो डॉक्टर इसे क्लियर करने के लिए परक्यूटीनियस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। यह प्रोसीजर त्वचा में चीरा लगाकर किया जाता है। फिर रुकावट को दूर करने के लिए गाइडवायर और कैथेटर का उपयोग किया जाता है
रेट्रोग्रेड एप्रोच (Retrograde approach)
यह उपचार ब्लड वेसल्स को ब्लॉकेज के आसपास मूव करता है। इसमें नई ब्लड वेसल्स का उपयोग करना शामिल है, जो तब बनती हैं जब एक आर्टरी गंभीर रूप से तंग हो जाती है।
यह तो थे रेस्टेनोसिस (Restenosis) के उपचार के तरीकों के बारे में जानकारी। अब जानते हैं कि इस समस्या से कैसे बचा जा सकता है।