के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist
भारत में कई जड़ी-बूटियों और पेड़-पौधों का इस्तेमाल दवाई बनाने के लिए किया जाता है। इनमें से एक भुई आंवला भी है। यह भूमि आंवला के नाम से भी जाना जाता है। इसका वानस्पातिक नाम फिलांथस निरूरी (Phyllanthus niruri) है।
साथ ही, इसे फिलांथस निरूरी भी कहते हैं। यह आंवले का एक छोटा पौधा होता है, जो अक्सर बारिश के मौसम में पाया जाता है। इसकी लंबाई करीब 20 से 60 सेमी लंबी होती है। भुई आंवला की पत्तियां हल्के हरे रंग की और मुलायम होती हैं। इसके फलों को ही भूमि आंवला या भुई आंवला कहा जाता है। इसके और भी की नाम होते हैं, जैसे कि अमरस, बहुपात्रा, तमालकि, उत्तमा आदि। भूमि आंवला से बनी दवाइयों का इस्तेमाल लिवर से जुड़ी बीमारियों के लिए किया जाता है।
यह गैस्ट्रिक एसिड को भी कम करता है। साथ ही, यह अल्सर को रोकने में भी मदद करता है। भूमि आंवला के सेवन से गुर्दे में पथरी होने का खतरा भी कम हो जाता है। यह किडनी में ऑक्सालेट क्रिस्टल को जमा नहीं होने देता है। आयुर्वेद के अनुसार, भुई आंवला पित्त का संतुलन बनाए रखता है। जिससे अपच और एसिडिटी की समस्या नहीं होती है। यह मधुमेह के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है क्योंकि यह रक्त शर्करा के स्तर को बैलेंस रखता है।
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लिवर में सूजन, पीलिया और लिवर के ठीक तरह से काम न करने पर इसका इस्तेमाल किया जाता है। जिगर की समस्याओं के लिए यह सबसे अच्छा जड़ी बूटी है। भूमि आंवला न केवल लिवर डिटॉक्सिफिकेशन के लिए अच्छा है, बल्कि यह रसायन पित्त संतुलन के लिए भी लाभदायक माना जाता है।
भुई आंवला में पित्त संतुलन का गुण होता है। इसके कारण यह अपच और एसिडिटी को कम करता है। इसका सेवन करने से पाचन शक्ति बढ़ जाती है।
भूमि आंवला का स्वाद कड़वा और कसैला होता है। अपने इस गुण के कारण शुगर लेवल को बैलेंस रखता है। यह मेटाबॉलिज्म में भी सुधार करता है।
नाक से खून बहना और पीरियड के समय भारी रक्तस्राव जैसी समस्या के लिए यह एक लाभकारी जड़ीबूटी है। यह रक्तस्राव को कम करने में मददगार होता है, जो पित्त को संतुलित करता है और खून को ज्यादा बहने से रोकता है।
यह एक रक्त शोधक यानी खून को साफ करने की दवा भी है। खून साफ होने की वजह से त्वचा की समस्याएं खत्म हो जाती हैं। खून साफ करने की दवाई बनाने के लिए भुई आंवला के कड़वे रस का इस्तेमाल किया जाता है।
भूमि आंवला में कफ को संतुलित करने का गुण होता है। जिससे यह खांसी, अस्थमा, सांस फूलना और हिचकी को कम करता है।
भूमि आंवला अपने कड़वे गुण के कारण कारण बुखार या टाइफॉइड जैसी समस्या को दूर कर देता है। यह शरीर से विषैले तत्व को कम करने में मदद करता है।
इसको लेकर कुछ जानवरों पर रिसर्च किया गया है। जिससे पता चलता है कि भूमि आंवला हाई ब्लड प्रेशर में भी फायदेमंद है।
इसके अलावा गांठ, पैरालिसिस, हाइपरटेंशन, स्किन अल्सर, एनीमिया, अस्थमा, जॉन्डिस, और यूरिन की समस्या के लिए बनने वाली दवाओं में इसका इस्तेमाल किया जाता है। शरीर में सूजन होने पर भूमि आंवला के पौधों की पत्तियों को पीसकर लगाने से आराम मिलता है।
भुई आंवला में हेपेटोप्रोटेक्टिव, एंटीऑक्सिडेंट, एस्ट्रिंजेंट, लैक्सेटिव, एंटीस्पास्मोडिक, ड्युरेटिक, हायपोग्लायसेमिक, हायपोटेंसिव और एंटीवायरल जैसे कई गुण होते हैं।
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भुई आंवला एक हर्बल है, इसलिए ओवरडोज से होने वाली परेशानी के मामले सामने नहीं आए हैं। साथ ही इस पर ज्याद स्टडी भी नहीं हुई है। फिर भी डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही इससे बनी किसी भी दवा का सेवन करें। साथ ही, ओवरडोज से भी खुद को बचाएं। भूमि आंवला से बनी दवाइयां 2 साल में एक्सपायर हो जाती हैं। इस दवा को मॉइस्चर वाली जगह पर न रखें। प्रेग्नेंट महिलाओं को इस दवा का इस्तेमाल करने से पहले, डॉक्टर से पूछ लेना चाहिए।
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एक स्टडी से पता चला है कि भूमि आंवला के कई साइड इफेक्ट होते हैं। जानते हैं इनके बारे में:
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वैसे तो किसी भी दवाई का इस्तेमाल, डॉक्टर से बिना पूछे नहीं करना चाहिए। हालांकि, भुई आंवला एक हर्बल है इसलिए इसका इस्तेमाल हर तरह से फायदेमंद होता है। भूमि आंवला से बने जूस, चूरन, कैप्सूल और टैबलेट बाजार में मौजूद हैं।
भुई आंवला जूस: इसे 2-4 टेबल स्पून (15 से 20 मिलीलीटर) ले सकते हैं। इसके अलावा एक गिलास पानी के साथ ले सकते हैं। साथ ही, हर दिन नाश्ता करने से पहले लेने से भी फायदा होगा।
भुई आंवला चूरन: इसे आधा चम्मच (3 से 6 ग्राम) पानी के साथ ले सकते हैं। शहद के साथ मिलाकर लेने से भी फायदा होगा। साथ ही, हर दो दिन में एक बार लंच और डिनर के बाद भी ले सकते हैं।
भुई आंवला कैप्सूल: एक या दो कैप्सूल, लंच या डिनर के बाद ले सकते हैं।
भुई आंवला टैबलेट: एक या दो टैबलेट, लंच या डिनर के बाद लेने से फायदा होगा।
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भुई आंवला निम्नलिखित रूपों में उपलब्ध है:
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