के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Pooja Bhardwaj
अब आपका शिशु 41 सप्ताह का हो चुका है। उसने बहुत से शब्दों का अर्थ और उसे बोलना भी शुरू कर दिया होगा। इसलिए ये जरूरी है कि अब आप उससे बात करें ताकि उसकी बोलचाल की क्षमता बढ़े, साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि अगर बच्चा आपके सामने कोई शब्द तुतला कर बोलता है, तो आप उसके सामने सही शब्दों का उच्चारण करें। इससे वे उस शब्द का सही उच्चारण समझेगा। लेकिन, इससे बच्चे की बोलने की क्षमता बढ़ती है। इसके अलावा, हम बच्चे प्रोत्साहन बढ़ाने के लिए उसे सकारात्मक प्रतिक्रिया दें, जैसे कि आप उन्हें कुछ कहना या बताना चाहते हैं,तो उसकी प्रतिक्रिया में हम कहें कि अच्छा सच में, अरे वाह, ये तो बड़ा अच्छा है आदि। इसी के साथ ही मुस्कराते हुए उससे बातचीत को और भी आगे बढ़ाएं। इससे बच्चे में बातचीत करने की उत्सुकता बढ़ती है।
41 महीने के पहले सप्ताह में बच्चा ये करने में सक्षम होते है, जैसे कि
बच्चे के की बोलचाल की क्षमता के विकास के लिए उससे बातचीत करना सबसे अच्छा तरीका है, बच्चा जिस वस्तु की तरफ इशारा करें आप उसे उसका नाम बताएं, या अपनी तरफ से वस्तुओं का नाम बता कर उसे दें यह शिशु को नई-नई वस्तुओं के नाम सीखने में मदद करता है.
बच्चे के साथ शिक्षात्मक खेल खेले जैसे उसको वस्तु के बारे बता कर कुछ करने को कहें, जैसे कि आप उन्हें स्क्रोलर में डाल कर कह सकते हैं तुम अपने स्ट्रोलर में बैठ जाओ ,फिर बांधते समय कहे ,अब हम तुम्हारी बेल्ट को बांधेंगे ,फिर अब हम अब हम पार्क में चलेंगे इससे ,वह आपके कहे गए वाक्यों का अर्थ समझेगा , साथ ही बच्चो की कविताये एक्शन के साथ बोले ताकि बच्चे शब्दों के अर्थ को एक्शन दवारा समझ सके.
लेकिन खेलने के इस दौर में भी बच्चे के साथ तुतला कर नहीं बोले क्योंकि बच्चे में भाषा के सही विकास के लिए ज़रूरी हैं की वह आपसे सही शब्द सीखे।
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41 सप्ताह में शिशु के चेक-अप लगातार नहीं होते ,इसलिए अगर आपको शिशु की सेहत के सम्बन्ध में कोई चिंता का विषय नज़र आता है तो डॉक्टर से तुरंत मिले या कॉल करे।
इस समय शिशु में स्लीप एपनिया नोटिस किया जा सकता है ये ऐसी बीमारी है है जिसमे बच्चा अस्थायी तौर पर सोते समय सांस लेना बंद कर देता है ,इसके बहुत से कारण हो सकते है जो उसकी ऊपरी अँगो में ऑक्सीजन जाने के रास्ते में रुकावट डाल कर सांस लेने में कठिनाई को बढ़ा सकते है जिसके कारण वो आराम से सांस नही ले पता और बार बार जगता है, जैसे बढे हुए टॉन्सिल्स या लगातार बीमार रहना ,या कोई एलर्जी ,शिशु का तालु ,या अविकसित नर्वस सिस्टम आदि। ऐसे बच्चों को जो प्री मैच्योर बेबी हो या जिन्हे डाउन सिंड्रोम या मस्तिष्क पक्षाघात की शिकायत है उन्हें इस बीमारी के होने चांस होते है ।
जिन बच्चों को स्लीप एपनिया होता है वे ज़ोर से खर्राटे लेते है ,या खांसते है उन्हें सांस लेने में परेशानी होती है या रुक रुक कर सांस लेते है , उन्हें पसीना भी ज्यादा आता है और वे रात में कई बार जागते है और दिन में भी अच्छी नींद नहीं लेते।
स्लीप एपनिया का उचित समय पर उपचार न कराया जाए तो यह कार्डियोवैस्कुलर के ख़तरे साथ ही बच्चे की पढ़ाई और स्वभाव पर भी असर डालता है ,इसलिए इसके विषय में डॉक्टर से बात करना बेहद जरुरी होता है। अगर ये समस्या टॉन्सिल्स या गले में हुयी किसी ग्रंथि की वजह से हो रही है तो ,कभी कभी डॉक्टर सर्जरी की सलाह देता है। स्लीप एप्नीआ का पूर्ण विश्लेषण करने के लिए डॉक्टर एक रात के लिए बच्चे की नींद का विश्लेषण भी कर सकता है|
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41 महीने के पहले सप्ताह में आपका शिशु कई नयी आदते सीखता है – जैसे सर झुकना ,हिलना ,लोटना ये आदते सही नहीं होती है, किंतु आप अपने बच्चे पर दवाब डाल कर उसे ऐसा करने से नहीं रोक सकते जब तक की वे खुद इसके लिए तैयार न हो ,पर नीचे दिए गए टिप्स द्वारा बच्चे की इस आदत को छुड़वाया जा सकता है
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