लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disability), जिसका आसान मतलब है सीखने या समझने में दिक्कत आना। हमारे देश के हजारों बच्चे इस लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disability) की समस्या का सामना कर रहे हैं। जब भी कोई बच्चा लिखने, पढ़ने, बोलने और समझने में दिक्कत का सामना करता है, तो ये लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disability) के संकेत हो सकता है। लर्निंग डिसेबिलिटी एक मेंटल डिसऑर्डर (Mental Disorder) है, जो अक्सर बच्चों में देखने को मिलता है। अगर कुछ सीखने में जरूरत से ज्यादा समय लग रहा है, तो इसे हल्के में न लें। ये लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disability) के संकेत हो सकता है। भारत में ऐसे बहुत से मां-बाप हैं, जो अपने बच्चे की इस समस्या का निदान समय रहते नहीं कर पाते और न ही वो इस बीमारी को ही समझ पाते हैं। इसलिए आज इस आर्टिकल में हम इस समस्या के बारे में विस्तार से बात करेंगे। साथ ही लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disability) के उपचार भी बताएंगे।
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लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disability) क्या है?
इस स्थिति की शुरुआत में बच्चें को बोलने में, लिखने में, पढ़ने में, सुनने में, शब्दों के उच्चारण में बहुत ज्यादा दिक्कत होती है। सीखने में उसका मन नहीं लगता और वह चीजों से जी चुराने या उनसे भागने की कोशिश करता है।
लर्निंग डिसेबिलिटी के कारण क्या हैं? (Cause of Learning Disability)
इस विकार में न्यूरोलॉजिकल भिन्नता मुख्य कारण होती है। दिमाग किसी भी सूचना के सकेंत को सही ढंग से पास ऑन और रिसिव नहीं कर पाता, जिसके कारण बच्चे को सीखने में समस्या होती है। सिर में चोट (Injury) या किसी दिमागी बिमारी (Brain disease) के कारण भी बच्चें को लर्निंग डिसऑर्डर की समस्या हो सकती है। अनबॉर्न बेबी का दिमागी रूप पूर्ण रूप से विकसित न होने के कारण भी ये समस्या हो सकती है।
लर्निंग डिसेबिलिटी के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Learning Disability)
लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disability) होने पर कई तरह के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। नीचे हम आपको इसके कुछ सामान्य लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं। अगर आपको लगे कि आपको नीचे बताए गए लक्षण हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। ये लक्षण इस प्रकार हैं :
- पढ़ते समय दिक्कत होना और बहुत ही धीमी गति से पढ़ना। ऐसा होने पर व्यक्ति को पढ़ने में काफी कठिनाई होने लगती है।
- लिखते समय बहुत दिक्कत होना, ठीक से नहीं लिख पाना। ऐसा होने पर व्यक्ति को लिखने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
- एकेडमिक्स में कमी। ऐसा होने पर बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता और उसे स्कूल जाने का भी मन नहीं करता है।
- बहुत ही धीरे-धीरे बोलना भी लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disability) का एक लक्षण है। ऐसे में बच्चे को कॉन्फिडेंस (Confidence) की कमी भी होने लगती है। यही कारण है कि वो बोलने में भी डरने लगता है। उसे ऐसा महसूस हो सकता है कि वो जो बोल रहा है कहीं गलत तो नहीं बोल रहा।
- वर्णमाला को पहचानने में बहुत ज्यादा मुश्किल का सामना करना।
- मैथ (Maths) या पजल (Puzzle) जैसें खेलों में दिक्कत आना।
- किसी बात को कैसे या किस ढंग से कहना है, इसका आइडिया न लगा पाना।
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लर्निंग डिसेबिलिटी कितने प्रकार की होती है? (Types of Learning Disability)
बहुत-सी डिसेबिलिटी ऐसी हैं, जो हमें जन्म से होती हैं लेकिन, उनके बारे में हमें देर से पता चलता है। मेडिकल साइंस में कुछ निश्चित प्रकार की डिसेबिलिटी (Disability) को निर्धारित किया गया है। आइए जानते हैं मेडिकल साइंस के अनुसार लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disability) कितने प्रकार की होती है :
बौद्धिक विकलांगता या मेंटल डिसेबिलिटी (Mental disability) : एक ही उम्र के अन्य लोगों की तुलना में मानसिक विकास (Mental development), सीखने में कठिनाई और कुछ दैनिक जीवन कार्यों में दिक्कत आना इस समस्या के संकेत है। दिखाई देने वाली स्थितियों में शामिल हैं: डाउन सिंड्रोम (Down syndrome), ट्यूबरल स्केलेरोसिस (Tuberculosis), क्रि-डू-चैट सिंड्रोम। ऐसे में लर्निंग डिसेबिलिटी के उपचार (Treatment for Learning Disability) कराने जरूरी हो जाते हैं।
अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर (ADD) : इस वजह से भी लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disability) हो सकती है। लर्निंग डिसेबिलिटी, जिसे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की शिथिलता के कारण माना जाता है। इस स्थिति में सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना, तर्क करना या मेथमेटिकल स्किल में समस्या आती है। ऐसे में लर्निंग डिसेबिलिटी के उपचार कराने जरूरी हो जाते हैं।
ऑटिज्म की समस्या : ऑटिस्टिक बच्चे (Autistic children) और लोगों से कटे रहते हैं और अपनी ही धुन में रहते हैं। इस परेशानी से ग्रसित बच्चों का आईक्यू कमजोर होने के कारण वे और लोगों की बातें ठीक से समझ नहीं पाते हैं। इसके अलावा इस बीमारी का असर बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ता है। ऐसे में लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disability) के उपचार कराने जरूरी हो जाते हैं।
मस्तिष्क की चोट के कारण डिसेबिलिटी : दिमागी चोट इंसान को मेंटल डिसेबिलिटी की समस्या तक हो सकती है। दिमागी चोट के कारण इंसान की चेतना में कम होना या खत्म होना, याद्दाश्त (Memory) में कमजोरी आना, व्यक्तित्व में बदलाव और आंशिक या पूर्ण रूप से लकवे की भी समस्या हो सकती है। ऐसे में लर्निंग डिसेबिलिटी के उपचार कराने जरूरी हो जाते हैं।
आइए अब जानते हैं ऐसे में लर्निंग डिसेबिलिटी के उपचार के बारे में।
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लर्निंग डिसेबिलिटी के उपचार कैसे होते हैं? (Treatment for Learning Disability)
लर्निंग डिसेबिलिटी के उपचार के लिए आप अपने डॉक्टर से मदद ले सकते हैं। बच्चे के स्कूल टीचर से बात कर सकते हैं और बच्चे की स्थिति के बारे जानकारी दे सकते हैं। उसकी प्रोग्रेस रिपोर्ट के हिसाब से उसका स्टडी मॉडल, स्ट्रक्चर तैयार कर सकते हैं। आजकल बहुत से स्मार्ट लर्निंग ऐप (Smart learning app) हैं, जिसके द्वारा आप बच्चे को तेजी से सिखाने की दूसरी टेक्नीक अपना सकते हैं।
ये एक ऐसी बीमारी है, जिसमें इलाज के साथ प्यार और समर्पण की जरूरत होती है। लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disability) के उपचार के लिए घर में बच्चे के साथ दोस्ताना माहौल रखें, क्योंकि तभी बच्चा अपन मन में चल रही समस्याओं को बोल पाएगा। इस समस्या को ठीक करने लिए व्यक्तिगत ही नहीं, सामाजिक प्रयास की भी जरूरत होती है। लर्निंग डेसेबिलिटी के उपचार सही समय पर किए जाएं और परिवार, समाज के सहयोग से इस समस्या को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है।
तो अगर आपको लगे कि आपके बच्चे या किसी परिचित के बच्चे को लर्निंग डिसेबिलिटी की समस्या है, तो उसके लर्निंग डिसेबिलिटी (Learning Disability) के उपचार बिना देरी किए कराने चाहिए, ताकि ये समस्या आगे न बढ़े और बच्चे को भविष्य में किसी समस्या का सामना न करना पड़े। आशा करते हैं आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर ये लेख पसंद आया है, तो इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर करें और उनकी भी जानकारियां बढ़ाएं और अगर उनके परिवार में किसी को ये समस्या हैं तो वो लर्निंग डिसेबिलिटी के उपचार करा पाएं।
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