के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya
आयुर्वेद के अनुसार हर्निया शरीर में होने वाली गैर जरूरी वृद्धि होती है, जिसे अंतर वृद्धि कहते हैं। हर्निया की समस्या होने पर पेट के हिस्से पर एक उभार आने लगता है, जैसे शरीर के एक हिस्से पर सूजन आने लगती है। हर्निया की समस्या पुरुष या महिला किसी को भी हो सकती है। हर्निया की परेशानी पेट, कमर और जांघों के हिस्से में ही ज्यादा होता है। अगर हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज ठीक से नहीं किया जाए, तो स्थिति गंभीर हो सकती है। जर्नल ऑफ महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस द्वारा किये गए रिसर्च के अनुसार हर्निया की समस्या ग्रामीण इलाकों में जानकारी के अभाव में हर्निया की समस्या ज्यादा होती है।
हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज संभव है, लेकिन सबसे पहले समझने की कोशिश करते हैं कि हर्निया कितने तरह का होता है।
इनगुइनल हर्निया (inguinal hernia)- इनगुइनल हर्निया सबसे सामान्य हर्निया माना जाता है और यह विशेषकर जांघों में होता है। इनगुइनल हर्निया होने पर अंडकोष में सूजन की समस्या भी शुरू हो जाती है।
फेमोरल हर्निया (Femoral hernia) – फेमोरल हर्निया विशेषकर पेट पर और जांघ पर होता है।
अम्बिलिकल हर्निया (Umbilical Hernia)- नाभि पर होने वाले हर्निया को अम्बिलिकल हर्निया कहते हैं।
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निम्नलिखित कारणों से हर्निया की समस्या हो सकती है। जैसे:-
इन कारणों के अलावा हर्निया के अन्य कारण भी हो सकते हैं। इसलिए शरीर में होने वाले नकारात्मक बदलाव को नजरअंदाज न करें।
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हर्निया के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे:-
इन लक्षणों के साथ-साथ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। इसलिए किसी भी शारीरिक परेशानी को नजरअंदाज न करें और जल्द से जल्द स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें।
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आयुर्वेदिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ हर्निया के इलाज के लिए औषधीय तेल लगाने के साथ ही गर्म सिकाई करने की भी सलाह देते हैं। इसके साथ ही पेशेंट के डेली डायट में भी बदलाव किये जाते हैं और इसके बाद हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज निम्नलिखित तरह से शुरू किया जाता है:
हर्निया के आयुर्वेदिक इलाज में शामिल स्नेहन के दौरान जड़ी-बूटियों और औषधीय तेल से शरीर की मालिश की जाती है। मालिश के दौरान घी या तिल के तेल का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं आयुर्वेद में हर्निया का इलाज सरसों के तेल, कनौला का तेल या अलसी के तेल का इस्तेमाल तब किया जाता है, जब कफ की समस्या की वजह से हर्निया की परेशानी शुरू हुई हो।
शरीर में उत्पन्न हुए विषाक्त को दूर करने के लिए विरेचन पद्धति का प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेद में विरेचन की मदद से हर्निया का इलाज किया जाता है। वात दोष को खत्म करने के लिए नमक, अदरक या गर्म पानी का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद भूख न लगने या कम लगने की भी परेशानी दूर हो सकती है। अगर किसी व्यक्ति को अत्यधिक कमजोरी महसूस होती है या डायजेशन की समस्या हो रही है या बुखार है, तो ऐसी स्थिति में विरेचन कर्म नहीं किया जाता है। इसलिए विरेचन के पहले हर्निया के साथ-साथ कोई भी अन्य परेशानी होने पर इसकी जानकरी अपने आयुर्वेद डॉक्टर को अवश्य दें।
यह एक तरह का एनिमा प्रोसेस है। इसमें दूध में हर्बल काढ़े के साथ-साथ औषधीय तेल को मिलाकर मिश्रण तैयार किया जाता है और इसका प्रयोग किया जाता है। ऐसा करने से हर्निया की परेशानी दूर हो सकती है।
पिंड स्वेद की तहत हर्निया वाली जगह पर औषधीय तेल से मालिश की जाती है। मालिश के बाद चावल के गर्म पेस्ट की मदद से सिकाई की जाती है।
हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज ऊपर बताई गई, इन चार विकल्पों के साथ-साथ निम्नलिखित विकल्प भी अवश्य अपनाने चाहिए।
कैमोमाइल में मौजूद एंटी-इंफ्लमेटरी तत्व शरीर के लिए कई तरह से लाभदायक होते हैं। लेकिन, अगर आपको हर्निया की परेशानी है, तो इस परेशानी को भी दूर करने में कैमोमाइल सक्षम है। इसलिए कैमोमाइल से बनी चाय का सेवन करने से परेशानी धीरे-धीरे ठीक हो सकती है।
हर्निया की परेशानी को दूर करने के लिए आयुर्वेद में अदरक के सेवन की सलाह दी जाती है। दरअसल इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लमेटरी तत्व हर्निया की परेशानी दूर करने के साथ-साथ पेट दर्द से भी राहत दिलाने में मददगार होता है।
मुलेठी में मौजूद एंटीबायोटिक प्रॉपर्टी शरीर को फिट रखने में मददगार होने के साथ-साथ हर्निया के इलाज में भी भूमिका निभाता है। मुलेठी के सेवन से पेट दर्द और सूजन की परेशानी भी दूर होती है।
आयुर्वेद में हर्निया का इलाज एप्पल साइडर विनेगर से भी किया जाता है। आयुर्वेद से जुड़े जानकार मानते हैं कि एक या दो चम्मच एप्पल साइडर विनेगर को गर्म पानी में मिलाकर पीने से हर्निया की परेशानी दूर हो सकती है।
एलोवेरा में मौजूद फाइबर शरीर के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। अगर कब्ज की वजह से हर्निया की समस्या शुरू हुई है, तो एलोवेरा किसी रामबाण से कम नहीं माना जाता है। दरअसल एलोवेरा जूस के सेवन से कब्ज की परेशानी दूर होने के साथ-साथ हर्निया की भी परेशानी ठीक हो सकती है।
दालचीनी में मौजूद हाई फाइबर हर्निया के पेशेंट के लिए लाभकारी माना जाता है। इसमें उपस्थित फाइबर कॉन्स्टिपेशन की समस्या से भी निजात दिलाने में सक्षम है। दालचीनी में उपस्थित इन्हीं गुणों के कारण इसे औषधीय श्रेणी में रखा गया है।
आयुर्वेद में हिंगु को पाचन सुधारने वाली जड़ी-बूटी माना जाता है और इसमें भूख बढ़ाने वाले गुण होते हैं। इसे आम भाषा में हींग के नाम से भी जाना जाता है। इसके उपयोग से ऐंठन, गैस जैसी पेट की समस्याओं, बलगम से छुटकारा और पेट साफ करने की प्रक्रिया आसान बनाने में फायदा मिलता है। हर्निया की वजह से कब्ज जैसी परेशानी हो सकती है, जिसे दूर करने में हिंगु काफी मददगार साबित होती है।
सेन्ना एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो आपके आंतों की मूवमेंट को बढ़ाने में मदद करती है। इसकी मदद से आपके आंतों की मांसपेशियां मजबूत बन जाती है और कब्ज जैसी समस्या से राहत मिलती है। कब्ज से राहत पाने के बाद आंतों पर पड़ रहे अत्यधिक दबाव को कम किया जा सकता है।
करंज के सेवन से एसिडिटी की परेशानी दूर होती है और हर्निया की बीमारी भी धीरे-धीरे ठीक हो सकती है।
इन ऊपर बताये गए तरीकों से हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज किया जाता है। लेकिन, ध्यान रखें कि अगर आपको या आपके किसी करीबी को हर्निया की शिकायत है, तो सबसे से पहले आयुर्वेद एक्सपर्ट से सलाह लें और फिर तभी किसी भी खाद्य या पेय पदार्थों का सेवन करें। अपनी मर्जी या इच्छा अनुसार इनके सेवन से नुकसान भी पहुंच सकता है। इसलिए बिना एक्सपर्ट की राय लिए खुद से इलाज शुरू न करें।
हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज अपनाने के साथ-साथ योगासन भी आपकी परेशानी को कम करने में मददगार हो सकता है। इसलिए हर्निया की परेशानी को दूर करने के लिए योगासन किये जा सकते हैं। रिसर्च के अनुसार निम्नलिखित योगासन हर्निया के पेशेंट के लिए लाभकारी हो सकते हैं। जैसे:
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हर्निया का आयुर्वेदिक इलाज होने के साथ-साथ निम्नलिखित घरेलू उपायों के साथ-साथ अन्य बातों का भी ध्यान रखना जरूरी है। जैसे:
हर्निया के आयुर्वेदिक इलाज में आयुर्वेदिक एक्सपर्ट सबसे पहले आंतो की सफाई करते हैं और उसके बाद डायजेशन की परेशानी को दूर करते हैं। ऐसा करने से आंतो से बैड बैक्टीरिया को दूर किया जाता है।
हमें उम्मीद है कि हर्निया के आयुर्वेदिक इलाज के बारे में आपको पर्याप्त जानकारी मिल गई होगी कि यह कैसे काम करता है और इसे कैसे अपनाया जा सकता है। लेकिन हैलो स्वास्थ्य एक सलाह देता है कि आयुर्वेदिक उपायों को अपनाने से पहले किसी एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। क्योंकि, आमतौर पर तो आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां सभी के लिए सुरक्षित होती हैं, लेकिन कुछ खास स्थिति या बीमारी के कारण लोगों को इसके दुष्परिणामों का सामना करना पड़ जाता है। कैंसर, डायबिटीज, किडनी रोग आदि क्रॉनिक बीमारी के मरीजों को भी आयुर्वेदिक उपाय बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं करने चाहिए। डॉक्टर आपके स्वास्थ्य का पूरा अध्ययन करके आपको उचित जानकारी उपलब्ध करवाएगा।
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