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प्रेग्नेंसी में फ्लोराइड कम होने से शिशु का आईक्यू होता है कम

प्रेग्नेंसी में फ्लोराइड कम होने से शिशु का आईक्यू होता है कम

प्रेग्नेंसी में फ्लोराइड के सेवन से आपके शिशु का आईक्यू हो सकता है कमजोर। फ्लोराइड एक प्रकार का खनिज पदार्थ होता है जो हड्डियों और दांतों में पाया जाता है। इसके अलावा यह प्राकृतिक तौर पर निम्न चीजों में भी मौजूद होता है :

  • पानी
  • मिट्टी
  • पेड़-पौधे
  • पत्थर
  • हवा

फ्लोराइड का आमतौर पर डेंटिस्ट्री में दांतों को मजबूत बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। खासतौर से दांतों की बाहरी परत पर, फ्लोराइड कैविटी को बनने से भी रोकता है। भारत, अमेरिका और अन्य कई देशों में स्थानीय तौर पर फ्लोराइड युक्त पानी मुहैया करवाया जाता है। इस प्रकिया को फ्लोराइडेशन कहा जाता है।

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फ्लोराइड का इस्तेमाल

फ्लोराइड का मुख्य रूप से इस्तेमाल दांतों को स्वस्थ बनाने के लिए किया जाता है। कभी-कभी यह आपने नल के सादे पानी और ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दवाओं से भी प्राप्त हो सकता है। फ्लोराइड का सबसे अधिक और लोगों में लोकप्रिय इस्तेमाल निम्न प्रकार के ओटीसी प्रोडक्ट्स में होता है :

  • टूथपेस्ट
  • माउथ रिंस (गरारे करने का विशेष पानी)
  • सप्लीमेंट्स (दवा और आदि)

यह सभी चीजे मार्केट में बेहद आसानी से मिल जाती हैं और कई लोगों के घरों में पहले से ही मौजूद होती हैं। वैसे तो फ्लोराइड के सेवन से किसी को कोई कोई खतरा नहीं होता है लेकिन कुछ नए अध्ययनों के मुताबिक यह प्रेग्नेंट महिलाओं के भ्रूण में पल रहे शिशु के बौद्धिक विकास को प्रभावित कर सकता है।

आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि प्रेग्नेंसी में फ्लोराइड का सेवन करने से आपके शिशु को क्या-क्या नुकसान पहुंच सकते हैं। इसके साथ ही हाल ही में हुए कुछ शोध के बारे जानेंगे जिनमें इस बात की पुष्टि की गई है कि फ्लोराइड के सेवन से भ्रूण में पल रहे बच्चे पर उसका बुरा प्रभाव पड़ता है या नहीं। तो चलिए जानते हैं कि प्रेग्नेंसी में फ्लोराइड का शिशु पर क्या असर पड़ सकता है।

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क्या कहती है स्टडी

आप सभी ने पहले पढ़ा या सुना होगा कि प्रेग्नेंसी में फ्लोराइड का सेवन नहीं करना चाहिए। इस विषय को ध्यान में रखते हुए हाल ही में कनाडा की यूनिवर्सिटी ने शोध के जरिए इसके प्रभावों का पता लगाने की कोशिश की है। चलिए जानते हैं शोध के अनुसार शिशु पर फ्लोराइड का क्या असर पड़ सकता है।

एक नई कैनेडियन स्टडी के मुताबिक प्रेग्नेंसी में फ्लोराइड युक्त पानी के सेवन से शिशु का बौद्धिक विकास कम होता है। जिन महिलाओं के पेशाब में प्रेग्नेंसी के दौरान फ्लोराइड की मात्रा अधिक होती है उनके शिशु का आईक्यू लेवल कम होने की आशंका रहती है। यह स्टडी कनाडा के 6 शहरों में 601 महिलाओं पर की गई है।

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शोधकर्ताओं की मानें तो प्रेग्नेंसी में प्रति लीटर पेशाब में 1 मिलीग्राम फ्लोराइड होने पर 3 से 4 वर्ष की उम्र वाले लड़कों में 4.5 पॉइंट कम आईक्यू लेवल पाया गया।

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रिसर्च की वरिष्ठ शोधकर्ता और टोरंटो की यॉर्क यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के प्रोफेसर क्रिस्टीन टिल के अनुसार 4.5 पॉइंट कम आईक्यू लेवल सामाजिक और आर्थिक चिंता का विषय है। क्रिस्टीन के मुताबिक फ्लोराइड उतना ही खतरनाक साबित हो सकता है जितना की लेड के संपर्क में आने से भ्रूण को होता है। यदि भ्रूण के संपर्क में लेड पदार्थ जानलेवा माना जाता है तो फ्लोराइड के विषय में भी हमें जागरूकता फैलानी होगी। यह भी एक आवश्यक विषय है।

टिल ने अपने बयान के आखिर में कहा कि इसके कारण विश्व में ऐसे लाखों बच्चे और होंगे जिनका आईक्यू स्कोर 70 से कम होगा और उसे बौद्धिक विकलांगता करार दिया जाएगा, इसके साथ ही यदि इस विषय पर रोशनी नहीं डाली गई तो अच्छी बौद्धिक स्थिति वाले बेहद कम बच्चे ही बचेंगें।

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प्रेग्नेंसी में फ्लोराइड का आईक्यू पर प्रभाव

प्रेग्नेंसी में फ्लोराइड को लेकर एक और नई स्टडी सामने आई है जिसके मुताबिक भी प्रेग्नेंसी में फ्लोराइड का सेवन करने से शिशु के बौद्धिक विकास पर इसका असर पड़ सकता है। अर्ली लाइफ एक्सपोजर इन मेक्सिको टू एनवायर्नमेंटल टोक्सिकैंट्स के प्रोजेक्ट में करीब 299 महिलाओं ने अपने भ्रूण में पल रहे बच्चों के साथ इस शोध में हिस्सा लिया।

कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के डालो लाना स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर डॉक्टर हावर्ड हु की स्टेटमेंट के अनुसार “यह शोध बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पहले की स्टडी में स्थानीय पानी में मौजूद फ्लोराइड की मात्रा के अनुसार ही परिणामों को मापा गया था, जो कि फ्लोराइड के संपर्क में आने के लिए अप्रत्यक्ष और कम जोखिम वाले कारक हैं।”

इसके साथ ही डॉ हु ने बताया कि “हमने स्टडी में न केवल भ्रूण में पल रहे बच्चों पर शोध किया है बल्कि कम उम्र वाले बच्चों पर भी फ्लोराइड के प्रभावों के बारे में भी जांच की है।”

4 वर्ष की उम्र वाले सभी बच्चों के बौद्धिक स्तर का परीक्षण करने के लिए मक्कार्थी स्केल ऑफ चिल्ड्रन एबिलिटी (McCarthy Scales of Children’s Abilities) के जनरल कॉग्निटिव इंडेक्स (General cognitive index) का इस्तेमाल किया गया और साथ ही 6 से 12 वर्ष की उम्र वाले बच्चों के लिए वेक्सलर अब्रीवेटेड स्केल ऑफ इंटेलिजेंस (Wechsler Abbreviated Scale of Intelligence) का इस्तेमाल किया गया था।

इसके बाद शोधकर्तओं की टीम ने यह मापा कि प्रेग्नेंसी में यूरिन में फ्लोराइड का स्तर शिशु के बौद्धिक विकास को किस तरह प्रभावित करता है।

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परिणामों के अनुसार जिन महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान यूरिन में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होती है उनके बच्चों में बौद्धिक विकास की संभावना कम होने का खतरा रहता है। इसके कारण आगे चलकर शिशु को बौद्धिक विकलांगता का भी सामना करना पड़ सकता है।

शोधकर्ताओं ने विशेष रूप से पाया कि प्रेग्नेंसी में फ्लोराइड की 0.5 मिलीग्राम प्रति लीटर की बढ़ोतरी से उनके बच्चों के जनरल कॉग्निटिव इंडेक्स और वेक्सलर अब्रीवेटेड स्केल ऑफ इंटेलिजेंस के स्कोर में 3.15 और 2.5 पॉइंट की गिरावट देखी गई।

इसके अलावा शोध ने इस बात का भी खुलासा किया कि 6 से 12 वर्ष की उम्र में बच्चों के पेशाब में फ्लोराइड की मात्रा उनके बौद्धिक विकास को प्रभावित नहीं करती है। यह एक अच्छी बात है।

सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए शोधकर्ताओं ने कहा कि जांच परिणामस्वरूप प्रेग्नेंसी में फ्लोराइड के संपर्क में आने से शिशु के न्यूरोडेवलपमेंट (तंत्रिका विकास) पर प्रभाव पड़ता है जिसके कारण उसका बौद्धिक विकास कम हो पाता है।

अंत में शोधकर्ताओं ने कहा कि यह स्टडी जानवरों और इंसानों पर किए गए पुराने शोध के प्रमाणों पर आधारित है, फ्लोराइड का प्रेग्नेंसी और बच्चों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की पुष्टि के लिए और शोध करने की आवश्यकता है।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Prenatal Fluoride Exposure and Cognitive Outcomes in Children at 4 and 6–12 Years of Age in Mexico/https://ehp.niehs.nih.gov/doi/10.1289/ehp655/accessed on 09/04/2020

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Current Version

30/09/2021

Shivam Rohatgi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: [email protected]


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

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Shivam Rohatgi द्वारा लिखित · अपडेटेड 30/09/2021

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