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कब और कैसे करें पेरिनियल मसाज? जानिए इसके फायदे

कब और कैसे करें पेरिनियल मसाज? जानिए इसके फायदे

वजायनल डिलिवरी के बाद ज्यादातर महिलाओं के पेरिनियम में क्षति पहुंचती है। कुछ मामलों में महिलाओं को एपीसीओटॉमी से होकर गुजरना पड़ता है। इसकी वजह से उन्हें यूरिन इनकोन्टिनेंस (यूरिन पास करने पर कंट्रोल खो देना), और दर्द जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है।यदि डिलिवरी से पहले ही पेरिनियल मसाज की जाए तो इन समस्याओं को कम किया जा सकता है।पुराने जमाने से ही पेरिनियल मसाज प्रचलन में है। ज्यादातर बुजुर्ग महिलाएं इसे करने की सलाह देती हैं। यह प्रेग्नेंसी के दौरान की जाती है। पेरिनियल मसाज में वजायना और पेरिनियम के बीच के हिस्से को लचीला बनाया जाता है। सावधानी पूर्वक इस हिस्से में मौजूद ऊतकों की मसाज की जाती है। हालांकि, यह मसाज बिना किसी मशीन की सहायता से हाथों से ही की जाती है। डिलिवरी के 3-4 हफ्ते पहले पेरिनियल मसाज करने से एपीसीओटॉमी का खतरा कम हो जाता है। जब बच्चा वजाइना से आसानी से निकल जाता है तो डॉक्टर को किसी भी तरह के कट लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है। इस आर्टिकल में पेरिनियल मसाज और इसको करने के तरीके के बारे में भी बता रहे हैं।

पेरिनियल मसाज क्यों जरूरी है?

वजायना का पिछला हिस्सा और वुल्वा एनस और रेक्टम के नजदीक होते हैं। इसमें बर्थ कैनाल का पिछला हिस्सा भी शामिल होता है। पेरिनियम के टिशूज एक मजबूत पेल्विक फ्लोर मसल का निर्माण करते हैं। इससे आपको आगे चलने और खांसी के दौरान यूरिन लीकेज पर कंट्रोल करने में मदद मिलती है। इस हिस्से को मजबूत रहने की आवश्यकता होती है लेकिन, शिशु को जन्म देते वक्त इस हिस्से का लचीला होना जरूरी होता है। इससे शिशु को बर्थ कैनाल के रास्ते वजायना से आसानी बाहर आने में मदद मिलती है। जो महिलाएं पहली बार मां बन रही हैं, उनके लिए ये मसाब काफी फायदेमंद साबित हो सकती है।

हालांकि, कई महिलाओं के पेरिनियम टिशूज कमजोर होते हैं और यह डिलिवरी के वक्त स्ट्रेच होने में सक्षम नहीं होते हैं। इसकी वजह से उन्हें पेरिनियल ट्रॉमा या टीयरिंग होने की संभावना होती है। इस स्थिति में दूसरी मसाज की तरह ही डिलिवरी से कुछ सप्ताह पहले पेरिनियल मसाज करने से यह हिस्सा लचीला बनता है।

पेरिनियल मसाज करने से इस जगह के टिशूज लचीले रहते हैं और डिलिवरी के वक्त यह टिशूज अपने आकार को फैलाने में सक्षम रहते हैं। इससे डिलिवरी आसान हो जाती है। अगर टिशूज डिलिवरी के समय ढीले नहीं होते हैं तो लेबर के दौरान महिला के पुश करने पर भी बच्चे को बाहर आने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है।

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पेरिनियल मसाज कैसे किया जाता है ?

इस पर हमने सेंट्रल मुंबई में स्थित वॉकहार्ट हॉस्पिटल की कंसल्टेंट ओबस्टेट्रिक्स गायनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर गंधाली देवरुखर पिल्लई से खास बातचीत की। इस खास बातचीत में डॉक्टर गांधाली ने बताया कि पेरिनियम की मसाज प्रेग्नेंसी का नौंवा महीना शुरू होने के बाद ही की जानी चाहिए। पेरिनियल मसाज में ऑलिव ऑयल या कोकोनट ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है।

पेरिनियल मसाज करने के तरीके के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘पेरिनियल मसाज में उंगलियों को वजायना के अंदर से होते हुए बाहर की तरफ मसाज करते हुए लाया जाता है। इसके बाद वजायना के बाहर पेरिनियल पर अच्छे से मसाज करें।’ आप चाहे तो इस बारे में घर बुजुर्ग महिला से भी जानकारी ले सकती हैं।

पेरिनियल मसाज के फायदे

डॉक्टर गंधाली के अनुसार पेरिनियल मसाज नियमित रूप से करने पर महिलाओं की वजायनल डिलिवरी कराने में आसानी होती है। पेरिनियल मसाज वजायनल डिलिवरी में किसी भी प्रकार के नुकसान की संभावना को न्यूनतम करने में मददगार साबित होती है। मसाज करने के दौरान विशेष सावधानी की जरूरत पड़ती है। आप चाहे तो इस बारे में एक्सपर्ट से भी राय ले सकते हैं।

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प्रेग्नेंसी में मसाज में इन बातों का रखें ध्यान

डॉक्टर गंधाली के मुताबिक, ‘पेरिनियल मसाज करते वक्त महिलाओं को काफी सावधानी रखनी चाहिए। मसाज करते वक्त वजायना या अन्य संवेदनशील अंगों में किसी भी प्रकार की खरोंच नहीं आनी चाहिए।’ डॉक्टर गंधाली कहती हैं कि, ‘पेरिनियल मसाज करते वक्त महिलाओं के नाखून कटे होने चाहिए। ऐसा ना होने पर वजायना के भीतर खरोंच आ सकती है। मसाज से पहले महिलाओं को अपने हाथों को अच्छे से साफ कर लेना चाहिए।’

प्रेग्नेंसी में मसाज में बरतें सावधानी

पेरिनियल मसाज करते वक्त क्या सावधानी बरतनी चाहिए? इस सवाल के जवाब में डॉक्टर गंधाली ने कहा, ‘सारे एहतियात बरतने के बावजूद भी यदि महिला को वजायना से ब्लीडिंग या वॉटरी डिस्चार्ज होने लगता है तो उन्हें मसाज को तुरंत रोक देना है। इस स्थिति में तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।’ मजास के दौरान हाइजीन का विशेषतौर पर ख्याल रखना चाहिए। ऐसा करने से आप इंफेक्शन के खतरे से बच सकती हैं।

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अध्ययनों में पेरिनियल मसाज के फायदे

2006 में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) में एक शोध प्रकाशित किया गया। यह शोध पेरिनियल मसाज को लेकर किया गया। इस शोध में 2434 महिलाओं के डेटा को शामिल किया गया। शोध में पाया गया कि पेरिनियल मसाज करने वाली महिलाओं में पेरिनियल ट्रॉमा का खतरा  कम था।

प्रेग्नेंसी में मसाज करने वाली कुल महिलाओं में एपीसीओटॉमी का खतरा 15 प्रतिशत कम हुआ। ज्यादातर इन महिलाओं की पहली प्रेग्नेंसी थी लेकिन, दूसरे ट्रायल में यह भी पाया गया कि पहले ही वजायनल डिलिवरी से गुजर चुकी महिलाओं में प्रेग्नेंसी में मसाज बर्थ ट्रॉमा को रोक नहीं पाई। लेकिन, पेरिनियल मसाज करने से उन्हें तीन महीने में दर्द कम हुआ। इस शोध के मुताबिक, पेरिनियल मसाज पहले, दूसरे, तीसरे या चौथे डिग्री वजायनल टीयर से सुरक्षा प्रदान नहीं करती है।

शोध में यह भी कहा गया कि ना ही यह इंस्टूमेंटल डिलिवरी को रोकने में मदद करती है। डिलिवरी के बाद इसका सेक्स लाइफ पर भी कोई असर नहीं पड़ता है। शोध में पाया गया कि पेरिनियल मसाज पहली प्रेग्नेंसी के मामले में एपीसीओटॉमी के खतरे को कम करती है। हालांकि, वजायना टीयर में इसकी प्रभाविकता को लेकर जानकारों में अभी एक राय नहीं है।

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अंत में हम यही कहेंगे कि समस्या से पहले उसकी रोकथाम सबसे ज्यादा बेहतर होती है। यदि आप भी वजायनल डिलिवरी को आसान करना चाहती हैं तो पेरिनियल मसाज आपके लिए एक अच्छा विकल्प है। हालांकि, किसी भी प्रकार के उपायों को शुरू करने से पहले आपको अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी है।

उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल की जानकारी पसंद आई होगी और आपको पेरिनियल मसाज से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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डिस्क्लेमर

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Current Version

15/12/2021

Sunil Kumar द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar

Updated by: Nikhil deore


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

Dr Sharayu Maknikar


Sunil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/12/2021

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