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7.हमेशा दस्तानों का इस्तेमाल करें- जब भी घाव को छूएं दस्तानें जरूर पहनें। हाथों में कई तरह के बैक्टीरिया होते हैं जिससे इंफेक्शन होने का खतरा रहता है इसलिए दस्तानों का इस्तेमाल जरूर करें।
8.हाथों को हमेशा साफ रखें- हाथों को हमेशा किसी साबुन या हैंड सेनेटाइजर से साफ करें, इससे इंफेक्शन नहीं फैलेगा।
9.घाव को साफ करने के लिए कैमिकल का इस्तेमाल नहीं करें- हाइड्रोजन परोक्साइड या इसी की तरह किसी अन्य चीज से घाव को साफ नहीं करें, इससे समस्या बढ़ सकती है।
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10.हमेशा साफ पानी और कपड़े का इस्तेमाल करें- जब भी घाव साफ करें, साफ पानी और कपड़े का इस्तेमाल करें, अगर गुनगुने पानी का इस्तेमाल करेंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
11.एंटीबायोटिक क्रीम का इस्तेमाल करें– एंटीबायोटिक (Anti Biotech) क्रीम का इस्तेमाल करें यदि एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से रेशेज हो रहे हैं तो डॉक्टर को जरूर बताएं।
12.पट्टी का इस्तेमाल करें- यदि घाव ज्यादा हो गया है तो पट्टी का इस्तेमाल करें, इससे घाव में इंफेक्शन का खतरा कम हो जाएगा।
13.अंडरगारमेंट का इस्तेमाल नहीं करें- घाव को जल्दी से जल्दी ठीक करने के लिए हवा लगना जरूरी है, इसलिए हो सके तो अंडरगारमेंट का इस्तेमाल नहीं करें, अगर अंडरगारमेंट पहनना जरूरी है तो फिर उन्हें रोज बदलते रहें। इसके अलावा कॉटन के अंडरगारमेंट का इस्तेमाल करें।
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एपीसीओटॉमी प्रक्रिया के साइड इफेक्ट्स (Side Effects of Episiotomy Procedure)
एपीसीओटॉमी प्रक्रिया (Episiotomy Procedure) से डिलिवरी तो आसानी से हो जाती है, लेकिन इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं। आइए एक नजर इसके साइड इफेक्ट्स पर डालते हैं:
- एपीसीओटॉमी के साइड इफेक्ट्स में सबसे आम है वजायना के आस पास चोट लगना। कई बार महिलाओं को इसके बाद स्टूल या यूरिन पास करने की परेशानी होती है। हालांकि यह समस्या दो से तीन हफ्ते बाद ठीक हो जाती है।
- एपीसीओटॉमी के बाद कई महिलाओं में यूरिन इंफेक्शन (Urine Infection) की परेशानी हो सकती है। इसमें महिला को बार-बार पेशाब जाने के साथ पेट में दर्द की शिकायत हो सकती है।
- कई बार महिला के एनस के बीच टिशू में चीरा लगाने से उसके आस पास के हिस्सों में सूजन हो सकती है। यह सूजन डिलिवरी के कुछ वक्त बाद दूर हो जाती है।
- इस प्रक्रिया में चीरा लगाकर डिलिवरी की जाती है। इसके बाद टांगे लगाए जाते हैं। आमतौर पर इन्हें भरने में तीन हफ्ते का समय लगता है, लेकिन कई बार टांके सही से भरते नहीं हैं। इस कारण ब्लीडिंग की परेशानी हो सकती है।
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एपीसीओटॉमी प्रक्रिया डिलिवरी के दौरान अपनाई जाने वाला एक प्रॉसेस है, जिसमें गर्भवती महिला की योनि और एनस के बीच चीरा लगाकर गर्भस्थ शिशु को बाहर निकाला जाता है। एपीसीओटॉमी प्रक्रिया में कई तरह की सावधानियां रखना जरूरी है।
हम उम्मीद करते हैं कि एपीसीओटॉमी प्रक्रिया (Episiotomy Procedure) पर आधारित यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा। यदि इस लेख से जुड़ा आपका कोई प्रश्न है तो आप कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं। हम अपने एक्सपर्ट्स द्वारा आपके सवालों के उत्तर दिलाने का पूरा प्रयास करेंगे। किसी प्रकार की अन्य जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।