डीएनए के साथ नेचुरल और आर्टिफिशियल दोनों तरह की अल्ट्रावॉयलेट लाइट (यूवी) की इंटरैक्शन जेनेटिक डैमेज का कारण बनती है। जिससे मेलेनोमा और अन्य तरह के स्किन कैंसर का विकास हो सकता है। सन एक्सपोजर बचपन या यंग एडल्टहुड के दौरान हो सकता है और बाद यह स्किन कैंसर का कारण बन सकता है है। न्यू मोल्स (New moles) के कारणों में यह सब भी शामिल हैं:
- उम्र का बढ़ना
- साफ स्किन और लाइट या रेड हेयर
- एटिपिकल मोल्स की फैमिली हिस्ट्री
- उन ड्रग्स का रिस्पांस जो इम्यून सिस्टम को सप्रेस करती हैं
- अन्य ड्रग्स का रिस्पांस जैसे कुछ एंटीबायोटिक, हार्मोन या एंटीडेप्रेसेंट्स
- जेनेटिक म्युटेशन
- सनबर्न और सन एक्सपोजर
न्यू मोल्स (New moles) कैंसरस हो सकते हैं। अगर आप एडल्ट हैं और आप नए मोल्स का अनुभव करते हैं, तो आपको सबसे पहले डॉक्टर से बात करनी चाहिए। अब जानते हैं इससे जुड़े कुछ चेतावनी के संकेतों के बारे में।
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न्यू मोल्स (New moles) से जुड़े वार्निंग साइन्स कौन से हैं?
जब एडल्टहुड में ओल्ड मोल्स में बदलाव आता है और इस उम्र में नए मोल्स नजर आते हैं, तो सबसे पहले मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए। अगर आपके मोल में खुजली,ब्लीडिंग, दर्द आदि हो, तो भी डॉक्टरों की सलाह जरूरी है। मेलेनोमा एक गंभीर स्किन कैंसर है लेकिन न्यू मोल्स (New moles) भी बेसल सेल (Basal cell) या स्क्वैमस सेल कैंसरस (Squamous cell cancers) का कारण हो सकते हैं। यह शरीर के अन्य हिस्सों में नजर आ सकते हैं जो हिस्से सूरज की हानिकारक किरणों के संपर्क में आते हैं जैसे चेहरे, सिर और गर्दन। हालांकि, इनका उपचार आसानी से हो सकता है।
मेलेनोमा (Melanoma)की पहचान करने का ABCDE क्रायटेरिया इस प्रकार हैं:
- असयंमेट्रिकल शेप (Asymmetrical shape): मेलेनोमा कैंसर वाले मोल का हर आधा हिस्सा अलग होता है।
- बॉर्डर (Border): इस मोल का इर्रेगुलर बॉर्डर होता है।
- रंग (Color): ऐसे मोल का रंग बदल जाता है या कई या मिश्रित रंगों का होता है।
- डायमीटर (Diameter): यह मोल बड़ा होता है और इसका डायमीटर 1/4 इंच से अधिक होता है।
- इवॉल्विंग (Evolving): इन मॉल्स का साइज, रंग, शेप और थिकनेस बदलती रहती है।
यह तो थी न्यू मोल्स (New moles) के बारे में जानकारी। अब जानते हैं की मोल में बदलाव को कैसे स्पॉट किया जा सकता है?
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मोल में बदलाव को कैसे स्पॉट करें?
मोल्स में होने वाले बदलावों को जांचना और उनकी सही समय पर जांच व उपचार बेहद जरूरी है। इससे बड़ी परेशानी से बचा जा सकता है। मोल्स में बदलाव को इस तरह से स्पॉट किया जा सकता है:
- रोजाना अपनी स्किन की जांच करें ताकि मोल में परिवर्तन को पहचाना जा सके। आधे से अधिक स्किन कैंसर शरीर के उन हिस्सों पर होते हैं जिन्हें आप आसानी से देख सकते हैं।
- जिन बॉडी पार्ट्स पर सूरज की हानिकारक किरणें नहीं पड़ती है, वहां मेलेनोमा होना असामान्य है। महिलाओं में मेलेनोमा के लिए सबसे आम बॉडी पार्ट्स हाथ और पैर हैं। पुरुषों में यह कैंसर अधिकतर पीठ, गर्दन और सिर में होता है।
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यह तो थी जानकारी न्यू मोल्स (New moles) के बारे में। उम्मीद है कि यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। जो मोल्स एडल्टहुड में नजर आते हैं, उनकी जांच डॉक्टर से करवाना आवश्यक है। साल में एक बार डॉक्टर से स्किन की जांच कराना भी जरूरी है। अगर आपको मेलेनोमा का रिस्क है तो आपको हर छह महीने बाद स्किन की जांच करानी चाहिए। अगर आपको अपनी स्किन पर ऐसा मोल नजर आता है जो बदलता रहता हो खासतौर पर वो मोल जिसकी कैरेक्टरस्टिक्स ऊपर दी ABCDE गाइड में से एक या अधिक मापदंडों में मिलती हों, तो भी आपके लिए तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। अच्छी बात यह है कि मेलेनोमा के जल्दी डिटेक्शन से इसका उपचार आसानी से हो सकता है। अगर आपके मन में न्यू मोल्स (New moles) को लेकर कोई भी सवाल है तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।