एसाइटिस
लिवर, कैंसर, कंजस्टिव हार्ट फेलियर या किडनी जैसी अन्य बीमारियों की वजह से पेट (एब्डॉमिनल कैविटी) में पेल येलो या पानी की तरह तरल पदार्थ जमा होने लगता है, जिसे एसाइटिस कहते हैं। एब्डॉमिनल कैविटी और चेस्ट कैविटी डायफ्रम से अलग होती है।
क्या एसाइटिस सामान्य बीमारी है ?
किसी भी बीमारी का इलाज शुरुआती दौर से करने पर बीमारी को आसानी से मात दिया जा सकता है। इसलिए एसाइटिस या कोई और बीमारी होने पर डॉक्टर से संपर्क करना बेहतर होगा।
लक्षण
एसाइटिस के लक्षण क्या हैं ?
एब्डॉमिनल कैविटी में तरल पदार्थ बनने कई कारण हो सकते हैं। एसाइटिस के लक्षण अचानक से भी नजर आ सकते हैं। हालांकि ऐसा नहीं है की लक्षण नजर आते ही स्थिति गंभीर हो जाये।
निम्नलिखित लक्षण होने पर डॉक्टर से संपर्क करना बेहतर होगा:
- अचानक वजन कम होना।
- पेट में सूजन आना।
- लेटने के दौरान सांस लेने में परेशानी महसूस होना।
- भूख कम लगना।
- पेट में दर्द महसूस होना।
- मतली और उल्टी होना।
- ब्लोटिंग की समस्या।
- सीने में जलन महसूस होना।
इन लक्षणों के अलावा एसाइटिस के और भी लक्षण हो सकते हैं।
[mc4wp_form id=’183492″]
डॉक्टर से कब मिलना चाहिए ?
ऊपर बताए गए लक्षण नजर आने पर या कोई शारीरिक परेशानी महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
कारण
किन कारणों से हो सकता है एसाइटिस ?
लिवर में घाव (liver scarring) की वजह से एसाइटिस की समस्या होती है। इससे ब्लड वेसेल्स में ब्लड का दवाब बढ़ता है। दवाब बढ़ने की वजह से एब्डॉमिनल कैविटी में तरल पदार्थ जमा होने लगता है, जिस कारण एसाइटिस की बीमारी होती है। निम्नलिखित कारणों से लिवर से जुड़ी परेशानी हो सकती है।
- सिरोसिस
- हेपिटाइटिस-बी या सी
- एल्कोहॉल का अत्यधिक सेवन करना
यह भी पढ़ें – Liver biopsy: लिवर बायोप्सी क्या है?
किन कारणों से बढ़ सकती है एसाइटिस की समस्या ?
निम्नलिखित कारणों की वजह से एसाइटिस की समस्या बढ़ सकती है:
- ओवरियन, पैंक्रिएटिक, लिवर या इंडोमेट्रियल कैंसर होना।
- हार्ट या किडनी फेल होने की स्थिति पर।
- पैंक्रिया में सूजन और इंफेक्शन होना।
- ट्यूबरक्यूलॉसिस।
- हायपोथायरॉइडिस्म।
निदान और उपचार
दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से संपर्क करें और सलाह लें।
एसाइटिस का निदान कैसे किया जाता है ?
निम्नलिखित टेस्ट की जा सकती है:
- अल्ट्रासाउंड
- सीटी स्कैन
- एमआरआई
- ब्लड टेस्ट
- यूरिन टेस्ट
- लैप्रोस्कोपी
- एंजियोग्राफी
एसाइटिस का इलाज कैसे किया जाता है ?
किन कारणों से एसाइटिस हुआ है स्थिति कैसी है, यह ध्यान में रखकर इसका इलाज किया जाता है।
डाइयूरेटिक
डाइयूरेटिक से एसाइटिस का इलाज किया जाता है। शरीर में नमक और पानी की बढ़ी हुई मात्रा जिससे वेन्स और लिवर के पास बढ़े हुए दवाब को कम किया जाता है। डाइयूरेटिक से इलाज के दौरान डॉक्टर पेशेंट के ब्लड प्रेशर और प्लस रेट की लगातार जांच की जाती है।
एसाइटिक टैपिंग
इस प्रक्रिया में पेट में जमा हुआ पानी सुई और ट्यूब की सहायता से निकाला जाता है। डॉक्टर एक बार में ज्यादा से ज्यादा से डेढ़ से दो लीटर तक तरल पदार्थ को निकाल सकते हैं।
इनसब के अलावा डॉक्टर इलाज से पहले और बाद भी पेशेंट के ब्लड प्रेशर की जांच करते हैं।
जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार
निम्नलिखित टिप्स अपनाकर एसाइटिस से बचा जा सकता है:
- एल्कोहॉल का सेवन न करें।
- हेपिटाइटिस-बी से बचने के लिए टीका जरूर लगवाएं।
- हेपिटाइटिस की बीमारी सेक्सशुयली भी हो सकती है। इसलिए सेक्स के दौरान सेफ्टी का ख्याल अवश्य रखें।
- इन दवाओं से होने वाले साइड इफेक्ट को जरूर समझें। लिवर से जुड़ी परेशानी होने पर डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
अगर इस बीमारी से जुड़े कोई प्रश्न हैं आपके पास तो समझने के लिए कृपया अपने चिकित्सक से संपर्क करें। ।
और पढ़ें:हेल्दी लिवर के लिए खतरनाक हो सकती हैं ये 8 चीजें
[embed-health-tool-bmr]