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Degenerative Disc: डिजेनेरेटिव डिस्क डिजीज क्या है?

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya


Sunil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 03/09/2020

Degenerative Disc: डिजेनेरेटिव डिस्क डिजीज क्या है?

परिचय

डिजेनेरेटिव डिस्क (Degenerative Disc) डिजीज क्या है?

डिजेनेरिटिव डिस्क डिजीज वास्तव में कोई बीमारी नहीं है। यह एक ऐसी समस्या है, जिसमें उम्र के हिसाब से स्पाइनल डिस्क में परिवर्तन आता जाता है। उम्र के हिसाब से डिस्क में मौजूद पानी की मात्रा कम हो जाती है। उम्र के बढ़ने से यह अपनी लंबाई कम हो जाती है। रीढ़ में स्थित वर्टिब्रा एक दूसरे के करीब आ जाती हैं। इसके परिणामस्वरूप स्पाइन में खुलने वाली तंत्रिकाएं और सिकुड़ जाती हैं। यह स्थिति पैदा होने पर डिस्क किसी भी झटको को सहन नहीं कर पाती हैं। विशेषकर चलने, दौड़ने या कूदने की स्थिति में लगने वाले झटके को सहना मुश्किल होता है।

डिजेनेरिटिव डिस्क डिजीज पूरी स्पाइन में फैल सकती है, लेकिन अक्सर यह लोअर बैक (लुंबर सेक्शन) और गर्दन (सर्वाइकल सेक्शन) में होती है।

  • डिजेनेरिटिव डिस्क में परिवर्तन आने से कमर दर्द या गर्दन दर्द होता है, साथ ही आपको ऑस्टियोअर्थराइटिस हो सकता है, जिसमें कार्टिलेज को नुकसान पहुंचता है। कार्टिलेज जोड़ों की रक्षा करते हैं। यह एक प्रकार की कोमल हड्डियां होती हैं, जो  कार्टिलेज दो जोड़ों के बीच में घर्षण की स्थिति पैदा होने से रोकती हैं।
  • हर्टिनेटेड डिस्क, स्पाइनल डिस्क का बाहरी हिस्सा टूट जाता है, जो उभरे हुए रूप में दिखता है। स्पाइनल स्टेनोसिस (Spinal stenosis), में स्पाइनल कैनाल संकरी हो जाती है। ऐसे में स्पाइन खुला क्षेत्र, रीढ़ की हड्डी का भार उठाता है।

इस प्रकार की स्थितियां स्पाइनल कॉर्ड और नर्व पर दबाव डालती हैं। इससे दर्द पैदा होता है और संभावित रूप से तंत्रिका का कार्य प्रभावित होता है।

डिजेनेरेटिव डिस्क होना कितना सामान्य है?

डिजेनेरिटिव डिस्क डिजीज किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। हालांकि, बुजुर्गों में इसका ज्यादा खतरा रहता है। इसकी विस्तृत जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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लक्षण

डिजेनेरेटिव डिस्क डिजीज के लक्षण हैं?

डिजेनेरेटिव डिस्क से आपको कमर या गर्दन में दर्द हो सकता है। लेकिन यह हर व्यक्ति के मामले में अलग-अलग हो सकता है। कुछ लोगों को दर्द नहीं होता है, जबकि कुछ लोगों की स्पाइन में समान नुकसान पहुंचने पर गंभीर दर्द होता है। उन्हें अपनी दिनचर्या को सीमित करना पड़ता है। डिस्क में दर्द कहां होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि डिस्क का कौन सा हिस्सा प्रभावित है।

गर्दन में डिजनेरिटिव डिस्क होने पर गर्दन दर्द या बाजुओं में दर्द हो सकता है। जबकि लोअर बैक में डिस्क के प्रभावित होने पर कमर, बटक या पैरों में दर्द हो सकता है। आगे झुकने, ऊपर पहुंचने या मुड़ने से दर्द बदतर हो जाता है। किसी गंभीर चोट (जैसे कार दुर्घटना) के बाद दर्द शुरू हो जाता है। वहीं, एक हल्की चोट (कम ऊंचाई से गिरना) या सामान्य मोशन (जैसे आगे झुककर कुछ उठाना) में हल्का दर्द होता है। बिना किसी कारण के यह दर्द धीरे-धीरे और बढ़ जाता है।

कुछ मामलों में आपको पैरों और बाजुओं में सुन्नता या कंपकंपी हो सकती है। उपरोक्त लक्षण के अलावा भी डिजेनेरिटिव डिस्क के कुछ लक्षण हो सकते हैं। इसकी अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

उपरोक्त लक्षणों में से किसी का अहसास होने पर या किसी सवाल की विस्तृत जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह लें। हालांकि, डिजेनेरेटिव डिस्क डिजीज में हर व्यक्ति की बॉडी अलग ढंग से प्रतिक्रिया देती है। ऐसे में बेहतर होगा कि आप बेहतर सलाह के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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कारण

डिजेनेरिटिव डिस्क डिजीज के क्या कारण हैं?

उम्र बढ़ने से स्पाइनल डिस्क में नुकसान पहुंचता है या यह डिजेनेरेट होती है। नतीजतन कुछ लोगों में डिजेनेरेटिव डिस्क डिजीज सामने आती है।

उम्र से संबंधित यह परिवर्तन निम्नलिखित हैं:

  • डिस्क में फ्लूड (तरल पदार्थ) कम हो जाता है। झटका सहने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे डिस्क का लचीलापन कम हो जाता है। डिस्क में फ्लूड कम हो जाने से वह पतली और संकरी हो जाती है। साथ ही रीढ़ की वर्टिब्रा के बीच का दायरा कम हो जाता है।
  • डिस्क की बाहरी परत (एननुलुस या केप्सूल (Annulus or capsule)) में चोट या दरार आ जाती है। डिस्क में जैली की तरह चिपचिपा पदार्थ (न्यूक्लियस) पर इन दरार के माध्यम से बाहर आने का दबाव पड़ता है। इससे डिस्क में उभार, रप्चर या टुकड़ों में टूट जाती है।

अचानक लगने वाली चोट (जैसे गिरना) से हेरिनेटेड डिस्क (herniated disc) हो जाती है, जो डिजेनेरिटिव डिस्क डिजीज की शुरुआत होती है।

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जोखिम

डिजेनेरिटिव डिस्क डिजीज के साथ मुझे क्या समस्याएं हो सकती हैं?

डिजेनेरिटव डिस्क से निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं:

जैसे आपकी उम्र बढ़ती है आपकी डिस्क जैसे जॉइंट्स का ब्रेकडाउन होना शुरू हो जाता है। यह एक बड़ी समस्या होती है। हालांकि, डिजेनेरेटिव डिस्क डिजीज 20 वर्ष के लोगों में भी सामने आ सकती है। हकीकत में कुछ मामलों में लोगों को समय से पहले रीढ़ की उम्र बढ़नी की समस्या वंशानुगत मिलती है।

उपचार

यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

डिजेनेरिटिव डिस्क डिजीज का निदान कैसे किया जाता है?

  • डिजेनेरिटिव डिस्क डिजीज का निदान फिजिकल बॉडी एग्जामिनेशन से किया जाता है। इसमें पीठ और निचले छोरों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
  • डॉक्टर आपकी पीठ के लचीलेपन, रेंज ऑफ मोशन और कुछ संकेतों की जांच कर सकता है। यह लक्षण बताते हैं कि आपकी तंत्रिकाओं की जड़ें पीट में डिजेनेरेटिव बदलावों से प्रभावित हुई हैं।
  • अक्सर इस जांच में मांसपेशियों की ताकत और रिफ्लेक्सेस से यह सुनिश्चित होता है कि यह सामान्य तरीकों से कार्य कर रही हैं।
  • इस जांच में अक्सर आपसे एक डाइग्राम भरने के लिए कहा जा सकता है। यह डाइग्राम उन जगहों को बताता है, जहां पर आपको दर्द, सुन्नता, कंपकंपी और कमजोरी का अहसास हो रहा है। एक्स-रे या एमआरआई कराने की सलाह दी जा सकती है।

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डिजेनेरेटिव डिस्क डिजीज का इलाज कैसे किया जाता है?

  • डिजेनेरेटिल डिस्क में दर्द से राहत पाने के लिए बर्फ या गर्माहट (इससे बेहतर अहसास होता है) को प्रभावित हिस्से पर लगाया जाता है। साथ ही इसमें एसिटामिनोफेन (जैसे टायलेनोल) acetaminophen (Tylenol) या नॉनस्टेरॉयडल एंटी-इनफ्लेमेटरी दवाइयां (nonsteroidal anti-inflammatory drugs) जैसे आइब्रुफेन (ibuprofen) या नेप्रोक्सेन (naproxen) का इस्तेमाल किया जाता है।
  • आवश्यकता पड़ने पर आपका डॉक्टर एक बेहतर दवा की सलाह दे सकता है। सुरक्षा की दृष्टि से बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी दवा का सेवन न करें। साथ ही दवा के लेबल पर छपे दिशा निर्देशों का पालन अवश्य करें।
  • ऑस्टियोअर्थराइटिस, एक हेरिनेटेड डिस्क है या स्पाइनल स्टेनोसिस होने पर आपको अन्य इलाज की जरूरत पड़ सकती है। इसमें फिजिकल थेरेपी और एक्सरसाइज भी शामिल हैं। एक्सरसाइज और स्ट्रेचिंग कमर को मजबूत और लचीला बनाएंगे। कुछ मामलों में सर्जरी की सलाह दी जा सकती है। आमतौर पर सर्जरी में क्षतिग्रस्त डिस्क को निकाल दिया जाता है। कुछ मामलों में हड्डियां स्पाइनल कॉर्ड को सुरक्षित रखने के लिए स्थाई रूप से जुड़ जाती हैं। कुछ दुर्लभ मामलों में आर्टिफिशियल डिस्क को निकाली गई डिस्क की जगह लगा दिया जाता है।

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घरेलू बदलाव

जीवन शैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो मुझे डिजेनेरेटिव डिस्क डिजीज को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?

इस समस्या से बचने के लिए आप इस तरह बदलाव अपने जीवनशैली में अपना सकते हैं:

  • डिजेनेरेटिव डिस्क डिजीज में दर्द से राहत पाने के लिए दवाइयों के बजाय कुछ दिनों के लिए आराम करें।
  • दर्द बढ़ाने वाली एक्टिविटी को सीमित करना।
  • डॉक्टर द्वारा सुझाई गई हल्की एक्सरसाइज (चलना, स्विमिंग आदि) करना।

इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।

हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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