परिभाषा
आपने सेक्सुअली ट्रांस्मिटेड डिसीज के बारे में तो सुना ही होगा जिसमें से एड्स सबसे ज़्यादा पॉप्युलर है, लेकिन क्या आप अन्य सेक्सुअली ट्रांस्मिटेड डिसीज के बारे में जानते हैं? अगर नहीं तो हमारा यह आर्टिकल ज़रूर पढ़िए, क्योंकि इसमें हम आपको लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम (Lymphogranuloma venereum) के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि एक सेक्सुअली ट्रांस्मिटेड डिसीज है।
लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम (LGV) क्या है?
लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम एक सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज है, जो क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है यानी यह एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है। अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया, भारत, कैरेबियन और दक्षिण अमेरिका के कुछ क्षेत्रों में आम है। यदि लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम का जल्दी उपचार न किया जाए तो संक्रमण गंभीर हो सकता है। LGV जेनिटल अल्सर का एक सबटाइप है जिसमें एचएसवी -2, सिफलिस, और चेंक्रोइड जैसे अन्य सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज शामिल है।
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लक्षण
लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम के लक्षण
लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम के मरीजों को जननांगो (जेनिटल एरिया) में कुछ बदलाव नज़र आ सकते हैं जिसमें शामिल हैः
- जेनिटल पर छोटे दाने नज़र आना जो सतह पर उभरे हुए या बम्प्स के रूप में नज़र आते हैं।
- अल्सर
- लिम्फ ग्लैंड में सूजन
लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम के कुछ अन्य लक्षण भी दिख सकते हैं, खासतौर पर उन लोगों में जो एनल इंटरकोर्स करते हैं। इसमें शामिल हैः
- दर्द
- डिस्चार्ज
- रेक्टम अल्सर
- ब्लीडिंग
- महिलाओं में लेबिया की सूजन
- ग्रोइन एरिया की स्किन का लाल और सूज जाना
- ग्रोइन में लिम्फ नोड्स की स्किन से ड्रेनेज होना
- मल त्याग में दर्द होना
- रेक्टम से खून या पस आना
- पुरुष या महिला के जेनिटल ट्रैक्ट में छोटे दर्द रहित घाव होना
आमतौर पर एलजीवी में पहले रेक्टम या जेनिटल एरिया में छोटे घाव होते हैं जो धीरे-धीरे यानी 3 से 30 दिन के भीतर अल्सर में बदल जाते हैं। यूरेथ्रा, वजायना और रेक्टम के अल्सर के बारे में पता नहीं चल पाता है इसलिए वहां लंबे समय तक रह सकते हैं। अन्य सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज जिसके कारण अल्सर होता है, के साथ मिलकर एलजीवी एड्स के ट्रांस्मीशन की संभावना बढ़ा देता है। कई बार रेक्टल इंफेक्शन के लक्षणों को गलती से अल्सरेटिव कोलाइटिस से जोड़कर देखा जाने लगता है। लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम की पहचान जल्दी नहीं हो पाती इसलिए इसके कई मामलों का पता ही नहीं चल पाता। इसके अलावा पुरुषों के पुरुषों के साथ सेक्स संबंध बनाने पर इसका खतरा और बढ़ जाता है।
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कारण
लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम के कारण
लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है। प्रभावित हिस्से के सीधे संपर्क में आने पर संक्रमण फैल जाता है। यह आमतौर पर सेक्सुअल इंटरकोर्स और त्वचा के संपर्क में आने से फैलता है।
लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम लिम्फैटिक सिस्टम में होने वाला दीर्घकालिक (क्रोनिक) संक्रमण है। यह बैक्टीरिया क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस के तीन अलग-अलग प्रकार (सेरोवर्स) में से किसी के भी कारण हो सकता है। यह बैक्टीरिया सेक्सुअल संबंध बनाने पर फैलते हैं। यह संक्रमण उसी बैक्टीरिया के कारण नहीं होता है जो जेनिटल क्लैमाइडिया के लिए जिम्मेदार होते हैं। यह महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक होता है और एचआईवी पॉजिटिव लोगों में इसका खतरा अधिक होता है।
संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद कितनी जल्दी आप इसका शिकार हो सकते हैं, इस बारे में साफ तौर पर तो कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन अन्य सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज की तलुना में यह कम संक्रामक होता है। यदि किसी व्यक्ति ने लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम से संक्रमित व्यक्ति के साथ संक्रमण के लक्षण दिखने के 60 दिनों के अंदर यौन संबंध बनाए हैं तो उसे मूत्रमार्ग या ग्रीवा क्लैमाइडियल संक्रमण की जांच करवानी चाहिए, और 7 दिनों के लिए रोजाना दो बार डॉक्सीसाइक्लिन दवा दी जानी चाहिए।
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निदान
लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम का निदान
लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम को डायग्नोस करना मुश्किल होता है। घाव से बैक्टीरिया की सीधे तौर पर पहचान क्लैमाइडिया टेस्टिंग के जरिए की जा सकती है, लेकिन इससे यह पता नहीं चलेगा कि क्लैमाइडिया संक्रमण लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम है। हालांकि आपके लक्षणों के आधार पर लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम की पुष्टि के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट और जांच की सलाह देगा। निदान के लिए डॉक्टर आपसे आपकी मेडिकल और सेक्सुअल हिस्ट्री पूछेगा। ऐसे में यदि आपने किसी ऐसे व्यक्ति के साथ संबंध बनाए है जिसमें लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम के लक्षण मौजूद थे, तो इस बारे में डॉक्टर को अवश्य बताएं। लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम के निदान के लिए डॉक्टर जो टेस्ट करते हैं, उसमें शामिल हैः
फिजिकल एग्जाम जो बताते हैं
- ग्रोइन में लिम्फ नोड्स की स्किन से ड्रेनेज
- महिलाओं के वुल्वा या लेबिया में सूजन
- रेक्टल (गुदा) एरिया में एक ओजिंग, असामान्य संबंध (फिस्टुला)
- जेनिटल (जननांग) पर घाव
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टेस्ट में शामिल हैः
- लिम्फ नोड की बायोप्सी
- लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट
- क्लैमाइडिया की जांच के लिए लैब टेस्ट
कब जाए डॉक्टर के पास?
इन स्थितियों में आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क की आवश्यकता हैः
- यदि आपने किसी ऐसे व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाए हैं जो शायद सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन या एलजीवी से संक्रमित था।
- आपमें लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम के लक्षण दिखने लगे।
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उपचार
लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम का उपचार
एलजीवी के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बनी है। इसे ठीक करने के लिए तीन हफ्ते तक एंडीबायोटिक का डोज दिया जाता है। CDS STD ट्रीटमेंट गाइडलाइन में लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम के उपचार में इस्तेमाल किए जाने वाले डॉक्सीसाइलाइन की दवा का डोज तय है। इसके अनुसार डॉक्सीसाइलाइन 21 दिनों तक दिन में दो बार दिया जा सकता है। एलजीवी के लिए उपलब्ध वैकल्पिक उपचार में शामिल एरिथ्रोमाइसिन बेस या एजिथ्रोमाइसिन शामिल है। आपके लिए कौन सा ट्रीटमेंट अच्छा रहेगा यह डॉक्टर आपकी स्थिति के अनुसार तय करता है।
महत्वपूर्ण बात
यदि आपका एलजीवी का उपचार चल रहा है तो एक बात याद रखें कि आप अपने उस सेक्सुअल पार्टनर को इस बारे में बताएं जिसके साथ आपने लक्षण शुरू होने के 60 दिनों के भीतर संबंध बनाए थे। ताकि वह भी अपनी जांच करवा सके और लक्षण दिखने पर इलाज करवाए ताकि भविष्य में आपको दोबारा एलजीवी होने का खतरा न रहे।
लिम्फोग्रैनुलोमा वेनेरम से संक्रमित होने के बाद किसी भी व्यक्ति को तब तक यौन संबंध नहीं बनाने चाहिए जब तक संक्रमण पूरी तरह से समाप्त नहीं हो जाता।
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