के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडी (ANA) टेस्ट रक्त में एंटीबॉडीज की मात्रा और स्वरूप को मापता है, जो शरीर के विरुद्ध काम करते हैं (ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया)।
इम्यून सिस्टम आमतौर पर बैक्टीरिया और वायरस के हमले से शरीर को बचाता है, लेकिन इस डिसऑर्डर में (जिसे ऑटोइम्यून डिसीज कहते हैं) इम्यून सिस्टम शरीर के सामान्य टिश्यू को नष्ट कर देता है।
जब किसी व्यक्ति को यह बीमारी होती है, तो उसका इम्यून सिस्टम एंटीबॉडीज बनाता है जो शरीर की अपनी कोशिकाओं से जुड़ा होता है, अक्सर ये एंटीबॉडीज अच्छे सेल्स पर ही हमला करके उन्हें खत्म कर देता है। रुमेटोइड गठिया और सिस्टमेटिक ल्यूपस ऑटोइम्यून बीमारी के उदाहरण हैं।
एएनए (ANA) के साथ ही आपके लक्षण और शारीरिक जांच के जरिए ऑटोइम्यून बीमारी का पता लगाया जा सकता है।
यदि आपके डॉक्टर को संदेह होता है कि आपको ल्यूपस, रूमेटॉइड गाठिया या स्क्लेरोडर्मा जैसी ऑटोइम्यून बीमारी है, तो भी ए.एन.ए टेस्ट की सलाह दी जा सकती है।
कई रुमेटिक बीमारी के संकेत और लक्षण एक जैसे ही होते हैं- जोड़ों का दर्द, थकान और बुखार।
ए.एन.ए टेस्ट डॉक्टर तब भी रिकमेंड कर सकते हैं जब उन्हें आपमें निम्नलिखित ऑटोइम्यून बीमारी के लक्षण नजर आएं:
ए.एन.ए टेस्ट किसी विशिष्ट निदान की पुष्टि नहीं करता है, लेकिन यह कुछ बीमारियों को दूर कर सकता है, और यदि आपका एएनए टेस्ट पॉजिटिव आता है तो विशेष एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडीज की मौजूदगी जांचने के लिए ब्लड टेस्ट किया जा सकता है, जिसमें से कुछ एंटीबॉडीज किसी खास बीमारी के वजह से हो सकते हैं।
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ऑटोइम्यून बीमारी का निदान सिर्फ एएनए (ANA) टेस्ट के परिणाम के आधार पर नहीं किया जा सकता।
सिस्टमेटिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (SLE) और रुमेटोइड गठिया जैसी ऑटोइम्यून बीमारी का पता लगाने के लिए एएनए टेस्ट के साथ ही मरीज की मेडिकल हिस्ट्री, शारीरिक जांच, दूसरे टेस्ट के परिणाम की भी मदद ली जाती है।
कुछ स्वस्थ लोगों के रक्त में भी एएनए की ज्यादा मात्रा हो सकती है। उदाहरण के लिए, ऐसे लोग जिनके परिवार में पहले से ही किसी को ऑटोइम्यून बीमारी हो। एएनए (ANA) का स्तर जितना ज्यादा होगा ऑटोइम्यून बीमारी का खतरा उतना ही अधिक होगा।
उम्र के साथ भी एएनए का स्तर बढ़ता है।
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किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं है। हालांकि कुछ दवाइयां बर्थ कंट्रोल पिल्स, प्रोकेनामाइडख, थियाज़ाइड टेस्ट को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए जो भी दवाइयां ले रहे हैं, उस बारे में डॉक्टर को बताएं। यदि आप विटामिन टैबलेट या कोई सप्लीमेंट ले रहे हैं तो इसकी जानकारी भी अपने चिकित्सक को जरूर दें। क्योंकि इससे भी टेस्ट के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।
हेल्थकेयर प्रोफेशनल आपका ब्लड सैंपल लेता है, जिसके लिए वह निम्न कदम उठाएगा:
आपके रक्त का नमूना लैब में भेजा जाता है। इस टेस्ट के तुरंत बाद आप अपनी नियमित दिनचर्या शुरू कर सकते हैं।
एंटीन्यूक्लियर एंडीबॉडी टेस्ट के बारे में किसी तरह का प्रश्न होने पर और उसे बेहतर तरीके से समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
इस टेस्ट को कराने के बहुत कम जोखिम हैं। हो सकता है इसे कराते वक्त जब आपका खून लिया जाए तो आपको चीटी के काटने जैसा महसूस हो। जिस जगह पर सुई लगाकर खून निकाला जाए वहां आपको खरोंच भी महसूस हो सकती है। इसके अलावा इस टेस्ट को कराने से निम्नलिखिस साइड इफेक्ट होने की भी संभावना होती है।
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एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडीज़ की मौजदूगी का मतलब है कि आपकी टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव है, लेकिन रिपोर्ट के पॉजिटिव होने का यह मतलब नहीं है कि आपको बीमारी है। कई लोगों में बीमारी न होने के बावजूद एएनए रिपोर्ट नॉर्मल आ सकती है, विशेष रूप से 65 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में।
मोनोन्यूक्लिओसिस और अन्य पुरानी संक्रामक बीमारी एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडीज़ के विकास के साथ जुड़ी है।
कुछ ब्लड प्रेशर कम करने वाली दवा और एंटी सीज़र दवाओं से भी एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडीज़ बढ़ जाता है। रक्त में एएनए की मौजूदगी के कारण हो सकते हैं-
यदि आपके डॉक्टर को ऑटोइम्यून बीमारी का संदेह होता है तो वह कुछ टेस्ट की सलाह दे सकता है। एएनए टेस्ट का परिणाम सिर्फ एक छोटी सी जानकारी है जिसकी मदद से डॉक्टर आपके संकेत और लक्षणों के कारण का पता लगाता है।
सभी लैब और अस्पताल के आधार पर एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडी की सामान्य सीमा अलग-अलग हो सकती है। परीक्षण परिणाम से जुड़े किसी भी सवाल के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडी टेस्ट से जुड़ी ज्यादातर जानकारियां देने की कोशिश की है, जो आपके काफी काम आ सकती हैं। एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडी टेस्ट से जुड़ी यदि आप अन्य जानकारी चाहते हैं तो आप हमसे कमेंट कर पूछ सकते हैं।
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