किसी बीमारी से ग्रस्त होने पर हमें खानपान पर विशेष ध्यान रखना चाहिए नहीं तो स्थिति और ज्यादा बिगड़ने की आशंका बनी रहती है। अगर कोई ऑटिज्म का शिकार है, तो उसे कुछ खास तरह के खाने से बचना चाहिए जो स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इसके साथ ही ऑटिज्म में डायट (Diet for Autism) का भी विशेष ख़याल रखें।
ऑटिज्म में डायट (Diet for Autism) का ख्याल रखना इसलिए भी जरूरी हो जाता है क्योंकि ऑटिज्म का असर बच्चों के दिमागी विकास पर भी पड़ता है। ऐसे में सही समय पर ऑटिज्म में डायट पर ध्यान देने की जरूरत होती है। ऑटिज्म में डायट (Diet for Autism) प्लान करते हुए किन चीजों से बचने की जरूरत होती है इसकी जानकारी रखना एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
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ग्लूटेन (Gluten) और केसिन (Casein) युक्त खाने से बचें
ऑटिज्म (स्वलीनता) एक दिमागी बीमारी है, जो शरीर के विकास में भी बाधा पैदा कर सकती है। इसकी वजह से व्यक्ति के बात करने, सीखने और दूसरों से अपने विचार प्रकट करने की क्षमता प्रभावित होती है। ऐसे में इस बीमारी को लक्षणों को कम करने के लिए ऑटिज्म में डायट (Diet for Autism) को इसी के लिहाज से प्लान किया जा सकता है।
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ऐसा माना जाता है कि ऑटिज्म के रोगियों को ग्लूटेन (Gluten) और केसिन (Casein) युक्त खाने से एलर्जी (Allergy) और परेशानी होती है। जब ऑटिज्म में डायट प्लान तैयार कर रहे हो, तो ग्लूटेन (Gluten) और केसिन (Casein) युक्त खाना खाने से बचने की जरूरत होती है। ऑटिज्म में डायट (Diet for Autism) लेते समय ग्लूटेन और केसिन लेने से पेप्टाइड्स और प्रोटीन (Protein) को अलग तरीके से प्रॉसेस करता है। यह किसी सामान्य इंसान से अलग हो सकता है। इस कारण इनके सेवन से ऑटिज्म के पीड़ित लोगों की स्थिति और बिगड़ सकती है।
ऑटिज्म में डायट (Diet for Autism) तय करते समय सोया प्रोडक्ट का रखें ध्यान
सोया और सोया से बनी अन्य खाद्य सामग्री भी ऑटिज्म रोगियों में एलर्जी पैदा करने के साथ-साथ उन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। इसी वजह से सोया से बनी खाद्य सामग्री जैसे सोया सॉस, सोया, टोफु और सोया मिल्क के सेवन से बचना चाहिए।
अगर आपको लगता है कि ऑटिज्म एक दिमाग संबंधी बीमारी है और खान-पान का इस पर असर नहीं पड़ता, तो आप गलत सोच रहे हैं, क्योंकि खानपान का सीधा असर इस बीमारी पर पड़ता है। ऐसे में ग्लूटेन, केसिन और सोया से बनी चीजों को ऑटिज्म में डायट (Immune system) प्लान तैयार करते समय में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
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ऑटिज्म में न खाएं भुट्टा (Corne)
भुट्टे का 85 प्रतिशत उत्पादन कीड़े मारने वाली दवा से होता है। 2013 में हुई एक स्टडी में यह पाया गया था कि हर्बीसाइड ग्लाइफोसेट नामक पेस्टिसाइड के संपर्क में आने से ऑटिज्म का खतरा होता है। इसके साथ ही भुट्टा एक ऐसा आनाज है जिसके फैटी एसिड (Fatty acid) की क्वालिटी सबसे खराब होती है। भुट्टे से किसी भी प्रकार के खास फायदे नहीं होते हैं बल्कि इसके नुकसान अधिक माने हैं। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
मीठे (Sugar) का न करें सेवन
शुगर न केवल प्रो-इंफ्लामेट्री होती है बल्कि यह मस्तिष्क में इरेटिक ब्रेन कोशिकाओं को अत्यधिक बढ़ा देती है और इसके खाने की लत भी लग सकती है। फ्रंटियर्स इन एंडोक्रिनोलॉजी की एक स्टडी में यह पाया गया कि जो व्यक्ति ऑटिज्म के साथ टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) से भी ग्रस्त होते हैं उनमें शुगर और इन्सुलिन टॉलरेंस झेलने की क्षमता बेहद कम होती है। इसके कारण शुगर खाने से इंसुलिन (Insulin) का स्तर बहुत बिगड़ सकता है।
शुगर और अन्य रिफाइन कार्ब्स की बजाए लीन प्रोटीन का सेवन करने से एकाग्रता और निर्णय लेने की क्षमता में बढ़ोतरी होती है जबकि जल्दबाजी भरे निर्णय लेने में कमी आती है।
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ऑटिज्म के कारण इम्यून सिस्टम (Immune system) पर प्रभाव
ऑटिज्म का प्रभाव शरीर के इम्यून सिस्टम (Immune system) पर भी पड़ता है। ऑटिज्म के कारण शरीर का इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो सकता है। इस कारण शरीर में संक्रमण का खतरा भी बढ़ सकता है। वहीं इम्यून सिस्टम (Immune system) और डायट (Diet) का संबंध भी बहुत गहरा है। ऐसे में ऑटिज्म में डायट (Diet for Autism) का खास ख्याल रखने की भी जरूरत हो सकती है। ऑटिज्म के कारण शरीर में कई तरह की परेशानियां देखने को मिल सकती है:
हाइपर सेंसिटिविटी (Hyper sensitive)
कई मामलों में देखा गया है कि ऑटिज्म के कारण लोगों में हाइपर सेंसिटिविटी (Hyper sensitive) की परेशानी हो सकती है। इस स्थिति में शरीर किसी संक्रमण में जरूरत से ज्यादा सक्रिय हो जाता है और कई बार ओवर एक्टिव होने पर इसके दुष्प्रभाव शरीर को भुगतने पड़ जाते हैं।
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पैक्ड फूड (Packed food) के लेबल को भी चेक करने की होगी जरूरत
ऑटिज्म से जूझ रहे अपने बच्चे के लिए पैक्ड फूड (Packed food) खरीदते समय हमेशा इस बात का ख्याल रखें कि आप पैक्ड फूड के लेबल को ठीक से पढ़ें। इससे आपको पता लग जाएगा कि अपने बच्चे के लिए आप जो खाना खरीद रहे हैं उसमें क्या इंग्रीडिएंट्स हैं। इसके अलावा आप यह भी जान पाएंगे कि इस खाने की न्यूट्रिशन वैल्यू क्या है और यह आपके बच्चे के लिए कोई और परेशानी तो खड़ी नहीं करेगा। जैसा कि हम जानते ही हैं कि ग्लूटेन और केसिन युक्त खाना बच्चे की ऑटिज्म की स्थिति को और खराब कर सकता है।
किसी विशेषज्ञ से लें मदद
ऑटिज्म में डायट (Immune system) तय करने के लिए आप किसी विशेषज्ञ से मदद ले सकते हैं। बच्चे को इस बीमारी से बाहर निकालने के लिए उसकी देख भाल के साथ-साथ आपको उसकी डायट का भी खास ख्याल रखने की जरूरत हो सकती है।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे की डायट से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
नए संशोधन की समीक्षा डॉ. प्रणाली पाटील द्वारा की गई, अगर आपको अपनी समस्या को लेकर कोई सवाल हैं, तो कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श लेना ना भूलें।
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