परिचय
विधारा (ऐलीफैण्ट क्रीपर) क्या है?
विधारा (Vidhara Plant) एक औषधीय गुणों वाली सदाबहार लता है जो भारतीय उपमहाद्वीप में मुख्य रूप से पाई जाती है। भारत के जरिए ही विधारा हवाई, अफ्रीका, केरेबियन देशों में जाना जाता है। विधारा को कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है। विधारा को अधोगुडा, समन्दर का पाटा, घावपत्ता भी कहते हैं। विधारा के औषधीय गुण किसी भी प्रकार के घाव के मांस को जल्दी भर सकते हैं जिसकी वजह से इसे घाव बेल भी कहते हैं। इसका वानस्पतिक नाम अर्गीरिया नर्वोसा (Argyreia nervosa) और यह कान्वाल्वुलेसी (Convolvulaceae) कुल का पौधा है। इसे अंग्रेजी में ऐलीफैण्ट क्रीपर (Elephant Creeper) और वूली मार्निंग ग्लोरी (Wolly morning glory) कहते हैं।
विधारा की लता लंबे समय तक हरी-भरी रह सकती है। इसकी लता की आकृति बकरी की आंत जैसी टेढ़ी-मेढ़ी होती है, जिसकी वजह से ऐलीफैण्ट क्रीपर को अजांत्री या छागलांत्रिका भी कहा जाता है। ऐलीफैण्ट क्रीपर की लता लंबी भी होती है। इसलिए इसे दीर्घवल्लरी भी कहते हैं। इसकी पत्तियां हरे रंग की बड़ी और दिल के आकार की होती हैं। पत्तियां 15 से 25 सेमी लंबी और 13 से 20 सेमी तक चौड़ी हो सकती हैं। पत्तियों का ऊपरी भाग हरा और चमकदार (चिकना और बालों वाला) होता है, जबकि निचला भाग सफेद तनों जैसा होता है। वहीं, इसके फूल तुरही के आकार के होते हैं, जो रंग में सफेद, गुलाबी, नीले और बैंगनी हो सकते हैं। फूलों के मखमली डंठल होते हैं जो 15 सेमी तक लंबे हो सकते हैं। इसके फूल 5 से 7.5 सेंटीमीटर लंबे हो सकते हैं। इसके फूलों को अगर डंठल से पकड़कर उल्ट कर देखा जाए, तो ये एक घंटी की तरह दिखाई देते हैं। फूलों के सूखने के बाद उनके डंठल पर पीले और भूरे रंग के सूखे गोल फल लगते हैं, जो 2 सेमी चौड़े हो सकते हैं। एक फल में 4 से 6 बीज हो सकते हैं जो जहरीले होते हैं, जिनका सेवन नहीं करना चाहिए। इसके बीजों में एल्कलॉइड की मात्रा होती है।
विधारा की दो प्रजातियों होती हैं और दोनों का ही इस्तेमाल चिकित्सा में किया जा सकता है।
और पढ़ेंः पाठा (साइक्लिया पेल्टाटा) के फायदे एवं नुकसान – Health Benefits of Patha plant (Cyclea Peltata)
ऐलीफैण्ट क्रीपर या विधारा की प्रजातियां
- अर्गीरिया नर्वोसा प्रजाति नर्वोसा (Argyreia nervosa var. nervosa)
- अर्गीरिया नर्वोसा प्रजाति स्पेसिओसा (Argyrea nervosa var. speciosa)
अर्गीरिया नर्वोसा प्रजाति नर्वोसा से मन को प्रभावित करने वाले ड्रग जिसे साइकोएक्टिव ड्रग (psychoactive drug) कहते हैं, को बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके फूल सिर्फ बारिश के मौसम में ही खिलते हैं। हालांकि, इसकी दोनों ही प्रजातियों का इस्तेमाल कई तरह के शारीरिक समस्याओं के उपचार के लिए भी किया जा सकता है।
और पढ़ेंः शतावरी के फायदे एवं नुकसान – Health Benefits of Asparagus (Shatavari Powder)
विधारा (ऐलीफैण्ट क्रीपर) का उपयोग किसलिए किया जाता है?
विधारा (ऐलीफैण्ट क्रीपर) का इस्तेमाल निम्न स्वास्थ्य स्थितियों के उपचार के लिए किया जा सकता है, जिसमें शामिल हैंः
- जोड़ों का दर्द
- गठिया
- बवासीर
- सूजन
- डायबिटीज
- खांसी
- पेट में कीड़ों की समस्या
- एनीमिया
- मिर्गी
- दर्द
- दस्त
- मूत्र के प्रवाह को बढ़ाने में मदद करें
- गोनोरिया के उपचार के लिए
- त्वचा के रोगों के उपचार के लिए
- शारीरिक, मानसिक या सेक्स की कमजोरी दूर करने के लिए
और पढ़ेंः क्षीर चम्पा के फायदे एवं नुकसान – Health Benefits of Plumeria (Champa)
इसके अलावा, ऐलीफैण्ट क्रीपर के अलग-अलग हिस्सों जैसे, पत्तियां, फूल, फल, बीज और जड़ का इस्तेमाल अलग-अलग रोगों के उपचार के लिए किया जा सकता हैः
विधारा की जड़ (Vidhara Root)
ऐलीफैण्ट क्रीपर की जड़ का इस्तेमाल पेशाब के रोगों, त्वचा संबंधी रोगों, बुखार दूर करने, सूजन की समस्या के उपचार के लिए किया जा सकता है। विधारा की जड़ में एथेनॉलिक की मात्रा पाई जाती है। साथ ही, विधारा की जड़ के पाउडर में मेथेनॉल के गुण होते हैं, जो दर्द निवारक औषधि के तौर पर अपना प्रभाव दिखा सकते हैं। एक शोध के अनुसार इसकी जड़ का इस्तेमाल सेक्स की इच्छा बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है। हालांकि, इसका प्रभाव महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों पर अधिक सफल देखा गया है।
अगर किसी को पेशाब से जुड़ी समस्या है, तो ऐलीफैण्ट क्रीपर की जड़ के काढ़े का उपयोग उनके शरीर में मूत्र के प्रवाह को बढ़ा सकता है।
विधारा की पत्तियां
इसकी पत्तियों का उपयोग बाहरी रूप से दाद, एक्जिमा, खुजली और अन्य त्वचा रोगों के इलाज के लिए भी किया जा सकता है। फोड़े और सूजन को ठीक करने के लिए पत्तियों का उपयोग आंतरिक रूप से भी किया जाता है। इसके लिए इसकी पत्तियों का काढ़ा पीना भी लाभकारी साबित हो सकता है। इसकी पत्तियां मुख्य रूप से वात का उपचार कर सकती हैं। इसका उपयोग उत्तेजक और रूबेफेशिएंट के रूप में भी किया जा सकता है। असम और बिहार के साथ, अन्य राज्यों में विधारा की पत्तियों को सब्जी के रूप में भी खाया जाता है।
विधारा के फूल
इसके फूलों में भी ऐथेनॉल की उपयुक्त मात्रा होती है, जो घावों को भरने में मदद कर सकता है।
विधारा के बीज
ऐलीफैण्ट क्रीपर के बीज में ह्यग्रोफिला ऑरिकुल्लाटा (Hygrophila auriculata) के जैसे गुण पाए जा सकते हैं। जिसका इस्तेमाल शारीरिक शक्ति बढ़ाने के लिए एक टॉनिक के रूप में किया जा सकता है। इसके बीज का अर्क जीवाणुरोधी, एंटीफंगल, एंटीप्रोटोजोअल, एंटीवायरल और एंटीकैंसर के गुणों से भरपूर होता है।
और पढ़ेंः केवांच के फायदे एवं नुकसान – Health Benefits of Kaunch Beej
विधारा (ऐलीफैण्ट क्रीपर) कैसे काम करता है?
ऐलीफैण्ट क्रीपर में निम्न औषधीय गुण पाए जा सकते हैंः
- नॉट्रोपिक
- कामोत्तेजक
- इम्युनोमोडायलेटरी
- हेपेटोप्रोटेक्टिव
- एंटीऑक्सिडेंट
- एंटीइंफ्लेमेटरी
- एंटीहाइपरग्लिसेमिक
- एंटीडियरेहियल
- एंटीकोर्सोबियल
- एंटीवायरल
- नेमाटाइडल
- एंटीकुलर
- एंटीकॉन्वेलसेंट
- एनाल्जेसिक
और पढ़ेंः पुष्करमूल के फायदे एवं नुकसान – Health Benefits of Pushkarmool (Inula racemosa)
उपयोग
विधारा (ऐलीफैण्ट क्रीपर) का उपयोग करना कितना सुरक्षित है?
ऐलीफैण्ट क्रीपर के पत्तों, फल, जड़, तने, बीज या इनसे बने पाउडर या काढ़े का इस्तेमाल करना औषधीय रूप से लाभकारी माना जा सकता है। हालांकि, आपको इसका सेवन हमेशा अपने डॉक्टर के निर्देश पर ही करना चाहिए। आपको इसके ओवरडोज से भी बचना चाहिए। सिर्फ उतनी ही खुराक का सेवन करें, जितना आपके डॉक्टर द्वारा निर्देशित किया गया हो।
और पढ़ेंः कदम्ब के फायदे एवं नुकसान – Health Benefits of Kadamba Tree (Neolamarckia cadamba)
[mc4wp_form id=’183492″]
साइड इफेक्ट्स
विधारा (ऐलीफैण्ट क्रीपर) से क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?
अधिकांश अध्ययनों के मुताबिक एक औषधी के तौर पर ऐलीफैण्ट क्रीपर का सेवन करना पूरी तरह से सुरक्षित है। वैसे तो इसके उपयोग से किसी तरह के गंभीर दुष्प्रभाव के मामले नहीं मिलते हैं। हालांकि, इसके बीज में जहरीले पदार्थ पाए जा सकते हैं, इसलिए इसके सेवन से पहले अपने डॉक्टर की उचित सलाह लें। साथ ही, अगर आपको इसके सेवन से किसी भी तरह के साइड इफेक्ट् के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत इसका सेवन करना बंद करें और अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
और पढ़ेंः अर्जुन की छाल के फायदे एवं नुकसान – Health Benefits of Arjun Ki Chaal (Terminalia Arjuna)
डोसेज
विधारा (ऐलीफैण्ट क्रीपर) को लेने की सही खुराक क्या है?
विधारा (ऐलीफैण्ट क्रीपर) का इस्तेमाल आप विभिन्न रूपों में कर सकते हैं। इसकी मात्रा आपके स्वास्थ्य स्थिति, उम्र और लिंग के आधार पर आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित की जा सकती है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
प्रतिदिन विधारा (ऐलीफैण्ट क्रीपर) के सेवन की अधिकतम खुराक हो सकती हैः
- विधारा का चूर्ण – 2 से 4 ग्राम
- विधारा का काढ़ा – 15 से 30 मिली
- विधारा का रस – 5 से 10 मिली
और पढ़ेंः बरगद के फायदे एवं नुकसान – Health Benefits of Banyan Tree (Bargad ka Ped)
उपलब्ध
यह किन रूपों में उपलब्ध है?
विधारा (ऐलीफैण्ट क्रीपर) के निम्न रूपों का इस्तेमाल आप कर सकते हैंः
- विधारा की जड़
- विधारा की पत्तियां
- विधारा के फूल
- विधारा के बीज
- विधारा का चूर्ण
- विधारा का काढ़ा
- विधारा का कैप्सूल
अगर आपका इससे जुड़ा किसी तरह का कोई सवाल है, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
[embed-health-tool-bmi]